Delhi Violence Case: सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली हिंसा के आरोपी ताहिर हुसैन ने चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दिए जाने की मांग को लेकर याचिका दाखिल की थी। कोर्ट ने मामले में सख्त टिप्पणियां करते हुए सुनवाई 21 जनवरी तक टाल दी है। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि ऐसे सभी लोगों को चुनाव लड़ने से रोका जाना चाहिए। मामले में जस्टिस पंकज मिथल और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने समय की कमी का हवाला देते हुए सुनवाई स्थगित कर दी। पूर्व पार्षद और दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर ने मांग की थी कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दी जाए।
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कोर्ट में जैसे ही मामले की सुनवाई शुरू हुई, ताहिर के वकील ने अपना पक्ष रखा और 21 जनवरी को सुनवाई करने का अनुरोध किया। कोर्ट ने कहा कि जेल में बैठकर चुनाव लड़ना और जीतना आसान है। ऐसे सभी लोगों को चुनाव लड़ने से रोका जाना चाहिए। ताहिर के वकील ने कहा कि उनका नामांकन स्वीकार कर लिया गया है। इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने ताहिर को नामांकन दाखिल करने के लिए 14 जनवरी को पैरोल दी थी।
‘All such persons should be barred from contesting’: J. Pankaj Mithal of #SupremeCourt on plea filed by AIMIM candidate and Delhi Riots accused Tahir Hussain seeking interim bail to campaign for Delhi Assembly polls
---विज्ञापन---Recently, Delhi HC granted Hussain parole to file nomination pic.twitter.com/ukkHz01Fzs
— Live Law (@LiveLawIndia) January 20, 2025
ओवैसी की पार्टी ने दिया है टिकट
बता दें कि ताहिर हुसैन को असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने मुस्तफाबाद विधानसभा सीट से टिकट दिया है। चुनाव प्रचार के लिए ताहिर ने 14 जनवरी से 9 फरवरी तक अंतरिम जमानत दिए जाने की मांग को लेकर याचिका दाखिल की थी। कोर्ट ने उनकी याचिका को अस्वीकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि आरोपी हिंसा के मामले में मुख्य अभियुक्त के तौर पर नामजद है। ऐसे में आरोपों की गंभीरता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। हिंसा की वजह से कई लोगों की मौत हुई है। दिल्ली पुलिस ने मामले में 11 FIR दर्ज की थीं। आरोपी मनी लॉन्ड्रिंग और UAPA के मामलों में भी हिरासत में था।
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ताहिर के वकील ने कोर्ट में दलील दी कि चुनाव लड़ना जटिल प्रक्रिया है। न केवल उनको 17 जनवरी तक नामांकन करना था, बल्कि चुनाव प्रचार और बैंक खाता खुलवाने के लिए भी समय चाहिए। पुलिस के अनुसार आरोपी फरवरी 2020 में हुए दंगों में मुख्य साजिशकर्ता है। वह औपचारिकताएं पूरी कर हिरासत में भी चुनाव लड़ सकता है।
चुनाव लड़ना मौलिक अधिकार नहीं है। याचिका में ताहिर ने कहा कि वह 4.9 साल जेल में काट चुका है। केस का ट्रायल शुरू हो चुका है। मामले में 114 गवाह हैं, जिनमें से 20 की गवाही हुई है। कई गवाहों की जांच होनी बाकी है। याचिका के अनुसार जो लोग हिंसा और मर्डर के मामलों में नामजद थे, उनमें से कई को हाई कोर्ट से जमानत मिल चुकी है।