Delhi High Court: दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) से पूछा है कि क्या ऐसे विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के खिलाफ कार्रवाई जी जा रही है, जो छात्रों को कोर्स की ऐसी डिग्रियां ऑफर करते हैं, जो अमान्य हैं। ऐसे विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के खिलाफ UGC एक्ट, 1956 के सेक्शन 24 के तहत जुर्माने का प्रावधान है।
विश्वविद्यालयों में नहीं दी जाएगी अमान्य डिग्री
दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि समय-समय पर यूजीसी द्वारा वेबसाइट पर सूचनाएं प्रकाशित की जाती हैं, सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में दाखिला लेने वाले छात्रों के लिए यह सुनिश्चित करना है कि छात्रों की डिग्रियां अमान्य डिग्री (Unspecified Degree)पाठ्यक्रमों का अध्ययन करने से ऐसी अमान्य डिग्रियां यूजीसी द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं हो जाएंगी। यह शिक्षा के मानकों में समानता बनाए रखने के लिए किया जाता है।
दो बार अमान्य डिग्रियों की मिलान सूची प्रकाशित करने की मांग
वहीं, न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने यह आदेश विश्वविद्यालय अनुदान की लापरवाही को उजागर करने वाली जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान सुनाया। कोर्ट ने कहा कि ऐसे अमान्य विश्वविद्यालयों,संस्थानों और कॉलेजों के संबंध में आयोग आएगा। याचिका में यूजीसी से प्रत्येक शैक्षणिक सत्र शुरू होने से पहले वर्ष में कम से कम दो बार अमान्य डिग्रियों की मिलान सूची का व्यापक प्रकाशन सुनिश्चित करने का निर्देश देने की भी मांग की गई है।
छात्रों का भविष्य,समय और पैसा बर्बाद
वकील विक्रम सिंह कुशवाह ने याचिकाकर्ता की ओर से तर्क दिया कि यूजीसी के कानूनों, नियमों और विनियमों में खामियों की जवाबदेही की कमी के कारण, छात्रों को ऐसी डिग्री दी जाती है जो यूजीसी द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है। यह एक ऐसी स्थिति पैदा करता है जिसमें छात्रों को ऐसे भविष्य के लिए अपना समय, पैसा और प्रयास बर्बाद करना पड़ता है जिसका अस्तित्व ही नहीं है।
यूजीसी नियमों का विश्वविद्यालय करेगी अनिवार्य रूप से पालन
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यूजीसी द्वारा सभी विश्वविद्यालयों को उपरोक्त पत्र में यह भी स्पष्ट किया गया था। यूजीसी नियमों का सभी विश्वविद्यालयों को अनिवार्य रूप से पालन करना होगा। यूजीसी डिग्री के विनिर्देश(specification)के संबं