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दिल्ली हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, पति को पत्नी के नौकरी छोड़ने पर बच्चे की देखभाल के लिए देना होगा गुजारा भत्ता

Delhi News: जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा कि नाबालिग बच्चे की देखभाल की जिम्मेदारी माता-पिता द्वारा समान रूप से की जाती है। जो फुल टाइम रोजगार करने की उनकी क्षमता को प्रभावित कर देती है। खासकर ऐसे मामलों में जहां मां के काम पर रहने के दौरान बच्चे की देखभाल करने के लिए परिवार को कोई समर्थन भी नहीं होता है।

Author Edited By : Md Junaid Akhtar Updated: May 15, 2025 20:46
Delhi High Court, Delhi News, दिल्ली हाईकोर्ट, दिल्ली न्यूज
दिल्ली हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

Delhi News: दिल्ली हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए नौकरीपेशा महिलाओं के हक में एक बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि नौकरी करने वाली महिलाएं अगर अपने बच्चे की देखभाल के लिए नौकरी छोड़ती हैं तो पति द्वारा उसे गुजारा भत्ता दिया जाएगा। इस मामले में एक युवक ने कोर्ट में अपनी पत्नी के खिलाफ याचिका दायर की थी।

बच्चे की देखभाल जरूरी 

जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा कि नाबालिग बच्चे की देखभाल की जिम्मेदारी माता-पिता द्वारा समान रूप से की जाती है। जो फुल टाइम रोजगार करने की उनकी क्षमता को प्रभावित कर देती है। खासकर ऐसे मामलों में जहां मां के काम पर रहने के दौरान बच्चे की देखभाल करने के लिए परिवार को कोई समर्थन भी नहीं होता है। ऐसी परिस्थितियों में प्रतिवादी (पत्नी) द्वारा नौकरी छोड़ने को स्वैच्छिक रूप से काम छोड़ने के रूप में नहीं देखा जा सकता है,बल्कि इसे बच्चे की देखभाल के सर्वोच्छ कर्तव्य के परिणामस्वरूप आवश्यक माना जा सकता है।

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युवक ने दायर की थी याचिका

कोर्ट ने यह टिप्पणी एक युवक द्वारा दायर की अर्जी पर विचार करते समय दी है। युवक ने अपनी अर्जी में पारिवारिक कोर्ट के आदेश में संशोधन की मांग की थी, जिसमें उसे अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता देने को कहा गया था। युवक ने तर्क दिया कि उसकी पत्नी अच्छी पढ़ी लिखी है और बतौर टीचर बच्चों को ट्यूशन पढ़ा रही थी। उसे इस काम में प्रति माह 40 हजार से 45 हजार रुपये कमाती थी।

पत्नी ने किया ये दावा

इस मामले में युवक की पत्नी का दावा है कि वह अपने नाबालिग बेटे की देखभाल की जिम्मेदारियों के कारण नौकरी नहीं कर पा रही है। वह घर से दूर नौकरी करती थी। आने-जाने में बहुत समय लगता था। सिंगल मदर के रूप में नाबालिग की देखभाल के चलते उसे अपनी नौकरी छोड़नी पड़ी।

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कोर्ट ने पत्नी को ठहराया सही

इस मामले में कोर्ट का कहना है कि संबंध समाप्त होने पर, यदि पत्नी शिक्षित और पेशेवर रूप से योग्य है लेकिन नाबालिग बच्चों और परिवार के बड़े सदस्यों की प्राथमिक देखभाल करने वाली होने के परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए उसे अपने रोजगार के अवसरों को छोड़ना पड़ा, तो इसे उचित महत्व दिया जाना चाहिए।

First published on: May 15, 2025 08:46 PM

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