दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा-कांग्रेस के बीच मिलीभगत थी। इस बात का संकेत चुनाव आयोग द्वारा जारी पार्टियों को मिले चंदे के आंकड़े दे रहे हैं। आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनुराग ढांडा ने कहा कि दिल्ली में भाजपा और कांग्रेस के बीच मिलीभगत थी। कांग्रेस को 44 करोड़ रुपए कैश में चंदा मिला था, जबकि उसका कोई अस्तित्व नहीं था और न ही किसी सर्वे में वह कोई सीट जीतती दिखाई दे रही थी। फिर भी उसे 44 करोड़ रुपए कैश किसने दिया? मुख्य मुकाबला “आप” और भाजपा के बीच था, तब भी “आप” को कैश में मात्र 2 हजार रुपए मिले और भाजपा को एक भी रुपया नहीं मिला। कांग्रेस को मिले 44 करोड़ रुपए कैश पर भाजपा की जांच एजेंसियों की चुप्पी से साफ है कि इस पैसे का इस्तेमाल “आप” के बड़े नेताओं को चुनाव में हराने में किया गया।
AAP का बीजेपी पर बड़ा आरोप
“आप” के वरिष्ठ नेता व राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनुराग ढांडा ने शनिवार को पार्टी मुख्यालय में प्रेस वार्ता कर कहा कि दिल्ली विधानसभा चुनाव के समय बार-बार यह सवाल उठ रहा था कि क्या भाजपा के इशारे पर मिलीभगत करके कांग्रेस ने दिल्ली विधानसभा का चुनाव लड़ा। “आप” के कई नेताओं और लोगों ने यह आरोप लगाया था कि “आप” के बड़े नेताओं की सीटों को टारगेट करके कांग्रेस को भाजपा फाइनेंस कर रही थी। भाजपा की तरफ से कांग्रेस को पैसा मुहैया कराया जा रहा था, ताकि वह वोटों का बंटवारा करके भाजपा को फायदा पहुंचा सके।
अनुराग ढांडा ने कहा कि चुनाव के बाद सभी पार्टियों ने चुनाव आयोग में दस्तावेज जमा किए थे, जिनमें चुनाव के दौरान उनके खर्च और चंदे का ब्योरा दिया गया था। इन दस्तावेजों में बहुत ही हैरान करने वाले आंकड़े सामने आए हैं, जो इस दावे को और पुख्ता करते हैं कि कांग्रेस दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा के इशारे पर काम कर रही थी। उन्होंने कहा कि यह सबको पता था कि दिल्ली में मुख्य मुकाबला भाजपा और “आप” के बीच था। कोई सर्वे या व्यक्ति यह नहीं कह रहा था कि कांग्रेस का कहीं कोई अस्तित्व है या उसे कोई सीट मिल सकती है। सारे सर्वे बता रहे थे कि कांग्रेस को शून्य सीट मिल रही थी। इसके बावजूद दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान, दिल्ली में सरकार चला रही “आप” को कैश में मात्र 2,000 रुपए चंदा मिला और केंद्र में सरकार चला रही भाजपा को भी कैश में कोई चंदा नहीं मिला, लेकिन दिल्ली में कोई अस्तित्व न होने और सर्वे में एक भी सीट जीतने की उम्मीद न होने के बावजूद कांग्रेस को 44 करोड़ रुपए कैश चंदे के रूप में मिले।
कांग्रेस को 44 करोड़ रुपए किसने दिए?
अनुराग ढांडा ने पूछा कि कांग्रेस को यह 44 करोड़ रुपए किसने दिए? दिल्ली के अंदर कांग्रेस से किसे यह उम्मीद थी कि वह कुछ कर सकती है, जबकि किसी सर्वे में उसकी कोई मौजूदगी नहीं थी। ज़मीन पर भी कांग्रेस कहीं नज़र नहीं आ रही थी। फिर यह 44 करोड़ रुपए कैश में कांग्रेस को चुनाव के दौरान किसने दिए? “आप” दिल्ली में सत्ता में थी और मुख्य मुकाबले में थी, फिर भी “आप” से कई गुना ज़्यादा पैसा कांग्रेस को मिला, जिसका ज़्यादातर हिस्सा कैश में था। उन्होंने कहा कि पिछले चुनाव में भी कांग्रेस को जितना चंदा मिला था, इस बार उससे 44 करोड़ ज़्यादा मिला। कैश में मिले यह 44 करोड़ कांग्रेस की मंशा, उसके चुनाव लड़ने के तरीके और भाजपा से मिलीभगत पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा करते हैं।
अनुराग ढांडा ने कहा कि अगर आम आदमी पार्टी को कोई चंदा दे दे, चाहे वह कैश में हो या किसी अन्य रूप में, तो भाजपा तुरंत इनकम टैक्स या ईडी जैसी एजेंसियों को उसके पीछे लगा देती है। लेकिन कांग्रेस को 44 करोड़ कैश में मिले और न तो कोई इनकम टैक्स का नोटिस गया, न किसी को पकड़ा गया और न ही कोई एजेंसी उसके पीछे लगी। इससे यह साफ पता चलता है कि कहीं न कहीं भाजपा और कांग्रेस की मिलीभगत थी।
कांग्रेस सिर्फ भाजपा के हाथों की कठपुतली
अनुराग ढांडा ने कहा कि कांग्रेस भाजपा को अलग-अलग राज्यों में चुनाव जिताने में मदद करती है और बदले में भाजपा और मोदी जी गांधी परिवार को जेल जाने से बचाते हैं। चाहे दिल्ली के कॉमनवेल्थ घोटाले में क्लीन चिट देना हो, 2जी स्कैम में क्लीन चिट देना हो या रॉबर्ट वाड्रा और गांधी परिवार के खिलाफ चल रहे केसों में उन्हें जेल से बाहर रखना हो, भाजपा नेता कांग्रेस को बचाने की जिम्मेदारी निभाते हैं। वहीं, भाजपा को सत्ता में लाने और चुनाव जितवाने की जिम्मेदारी कांग्रेस निभा रही है। यह जुगलबंदी अब पूरे देश के सामने धीरे-धीरे उजागर हो रही है कि कांग्रेस सिर्फ भाजपा के हाथों की कठपुतली बनकर रह गई है।