Delhi Baby Care Center Fire Accident Heroes: अंडरग्राउंड फ्लोर पर आग लगी थी, अचानक ब्लास्ट हुआ और पूरी बिल्डिंग धू-धू कर जलने लगी। डॉक्टर और बाकी स्टाफ कर्मी जान बचाकर भाग गए थे, लेकिन 2 नर्सें अपनी जान की परवाह किए बिना नवजातों को बचाने में लगी रहीं। दमकल कर्मियों का एक ग्रुप लगातार पानी की बौछारें फेंक रहा था, लेकिन आग की लपटें इतनी विकराल थीं कि उसके बुझने का इंतजार करना मुश्किल था।
यह देखते हुए पड़ोसी दौड़े आए और वार्ड रूम की पीछे की खिड़की तोड़कर नवजातों को निकालना शुरू कर दिया। दोनों नर्सों ने 5 लोगों के साथ मिलकर अपनी जान जोखिम में डालकर 5 नवजात शिशुओं को बाहर निकाला, लेकिन बाकी 7 की जान वे बचा नहीं पाए। उन्हें निकालकर अस्पताल पहुंचा दिया गया था, लेकिन कमरे से निकले जाने तक वे आग में झुलस चुके थे। इस बीच आइए जानते हैं उन 2 नर्सों और 5 लोगों के बारे में जिन्होंने 5 जिंदगियां बचाईं…
#Delhi The game of ‘setting’ was going on in the New Born Baby Care Center of Delhi, the standards were not being followed!
There was an illegal hospital in Rekaishi House, after the delivery of a woman in another hospital, newborn babies were shifted here, they could not go to… pic.twitter.com/eLr2BE0we6---विज्ञापन---— Journalist Sanjay Sahu चित्रकूटी (@Sahu24x7) May 26, 2024
लोगों को रोककर मदद करने के लिए मनाया
पूर्वी दिल्ली के विवेक विहार स्थित बेबी केयर न्यू बोर्न अस्पताल में शनिवार रात को भीषण आग लगी थी, जिसमें झुलसने से 7 नवजातों की मौत हो गई। अस्पताल के मालिक डॉ. नवीन खिची और एक डॉक्टर को गिरफ्तार किया गया है। इनके खिलाफ IPC की धारा 336, 304A और 34 के तहत FIR दर्ज की गई है। सी-ब्लॉक RWA के प्रमुख विनय नारंग ने बताया कि वे घर वापस आ रहे थे, तभी उन्हें एक पड़ोसी का फोन आया। फोन करने वाले ने बताया कि मेन रोड पर बने छोटे से अस्पताल के अंदर धमाका हुआ है।
वे अपनी कार पार्क करके घटनास्थल की ओर भागे। उन्होंने देखा कि 2 नर्सें अपने हाथों में एक-एक बच्चे को लेकर जा रही थीं, जिसे चादरों में लपेटा गया था। वे मदद के लिए चिल्ला रही थीं। पड़ोसी अरुणिमा शर्मा, जो एक स्कूल चलाती हैं, चीखें सुनकर तुरंत नीचे आईं। उन्होंने एक नवजात को नर्सों से लिया, जबकि अरुणिमा ने दूसरे को गोद में लिया। हम अपनी फोर्ड एंडेवर की ओर भागे, जिसे मैंने अपने घर के पास पार्क किया था और एसी चलाकर नवजातों को अंदर रखा।
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खिड़की के रास्ते रोते-बिलखते नवजात निकाले
अरुणिमा शर्मा ने बताया कि वे दोनों बच्चों के चेहरे कभी नहीं भूल पाएंगी। कालिख के कारण उनके चेहरे काले पड़ गए थे। नर्सों ने बताया कि अस्पताल के अंदर और भी नवजात शिशु हैं। यह सुनकर विनय ने स्कूटर पर जा रहे दंपति को मदद के लिए रोका। एक अन्य पड़ोसी ने पहले ही पुलिस कंट्रोल रूम को फोन कर दिया था और वह भी मदद करने में जुट गया। एक और पड़ोसी इंद्रदीप सिंह भी उनके साथ आ गया था। पांचों ने दोनों नर्सों के साथ मिलकर पीछे के एंट्री गेट पर सीढ़ी लगाकर खिड़की तोड़ी और उस कमरे में गए, जहां नवजात थे।
सभी को एक-एक करके सफेद कपड़े में लपेटा। वेंटिलेटर बंद थे। अंदर इतना धुंआ था कि हम सांस नहीं ले पा रहे थे। नवजात बिलख-बिलख कर रो रहे थे। हमने उन्हें एक-एक करके उठाया और सीढ़ी के पास खड़ी नर्सों और दूसरे पड़ोसियों को सौंप दिया। विनय और अरुणिमा बच्चों को लेकर नजदीकी नर्सिंग होम में गए, लेकिन उन्होंने बच्चों को भर्ती करने से इनकार कर दिया। विनती करने पर नर्सिंग होम ने बच्चों को फर्स्ट ऐड दिया।
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