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दिल्ली चुनाव में हार से AAP को पंजाब में क्या सबक लेना चाहिए? 5 पॉइंट में जानें

Delhi Assembly Elections 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में आम आदमी पार्टी को करारी शिकस्त मिली, लेकिन इस चुनाव से पार्टी को पंजाब के लिए सबक लेना चाहिए। आइए 5 पॉइंट में हम आपको बताते हैं कि दिल्ली चुनाव से AAP को क्या सबक लेने चाहिएं?

Author Edited By : Khushbu Goyal Updated: Mar 5, 2025 11:15
Arvind Kejriwal, Bhagwant Mann
अरविंद केजरीवाल, भगवंत मान

Delhi Elections Learning for AAP in Punjab: दिल्ली विधानसभा चुनाव जीतकर आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस का सफाया किया था और वहीं आम आदमी पार्टी दिल्ली चुनाव में भाजपा से हारकर सिमट गई। अब राजनीतिक विशेषज्ञ आम आदमी पार्टी के अस्तित्व पर संकट भी बता रहे हैं, लेकिन दिल्ली में पार्टी ने क्या गलतियां कीं और चुनाव में करारी शिकस्त से वह पंजाब में क्या सबक लेगी, यह अब उसके लिए बड़ा सवाल है। अगर वह आने वाले पंजाब विधानसभा चुनाव में हारती है तो पार्टी के लिए जरूर अस्तित्व का संकट खड़ा हो जाएगा। हालांकि दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 42 फीसदी से ज्यादा वोट शेयर हासिल करके यह दिखाया है कि अब भी वह यहां पर मजबूत है और प्रमुख विपक्ष है, लेकिन पंजाब में पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं।

 

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पहला सबक

जिस तरह से अरविंद केजरीवाल दिल्ली में बिजली पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य के मुद्दे तक सिमटे रहे, पंजाब में पार्टी को उससे आगे जाना होगा। लोगों को यह सब तो चाहिए ही, लेकिन पंजाब में किसानों समेत और भी कई बड़े मुद्दे हैं जिन्हें पार्टी को आगे आकर हल करना होगा। पार्टी को नीतिगत फैसले लेने होंगे, जो राज्य में उसकी पकड़ मजबूत कर सकें।

दूसरा सबक

जिस तरह से पार्टी ने दिल्ली में भाजपा से बड़ी हिंदूवादी इमेज बनाने की कोशिश की, वैसी कोशिश पंजाब में सिर्फ पंजाबी परस्त होने की इमेज बनाने की नहीं होनी चाहिए। पंजाब के लोग कांग्रेस का विकल्प देखकर आम आदमी पार्टी को चुनते हैं और उसे साबित करना होगा कि वह कांग्रेस का विकल्प है। इसके लिए उसे शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली पानी से आगे जाकर पंजाब के बड़े मुद्दे हल करने होंगे।

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तीसरा सबक

पार्टी को पंजाब में सिर्फ किसानों के लिए हमदर्द नहीं दिखना है, बल्कि उनके लिए ठोस कदम उठाने होंगे। एमएसपी समेत उनके अन्य मुद्दे हल करने के लिए साथ आना होगा, सिर्फ समर्थन देने से काम नहीं चलेगा। किसानों ने पंजाब में भगवंत मान सरकार के खिलाफ भी प्रदर्शन किए थे और उनसे किसानों के हित में नीतियां बनाने की मांग की थी।

चौथा सबक

जिस तरह दिल्ली में यमुना की सफाई और पानी का मुद्दा अहम है, उसी तरह पंजाब में भी जल संकट और भूजल के जहरीले होने से निपटना होगा। वहां जिस तरह से धान की खेती के कारण भूजल संकट की स्थिति बन रही है, उससे निपटना होगा। किसान वैकल्पिक खेती अपनाएं, इसके लिए राज्य सरकार को नीतियां बनानी होंगी।

चूंकि लोगों ने कांग्रेस के विकल्प के तौर पर आम आदमी पार्टी की सरकार वहां बनाई है, लेकिन केवल राजनीतिक विकल्प बनकर नहीं रहना होगा। क्योंकि दिल्ली के ग्रामीण क्षेत्र में खासकर यहां के किसानों के लिए पार्टी ने कोई बड़ी घोषणा नहीं की है। वह बस जाट रिजर्वेशन का मुद्दा उठाकर शांत रही, जबकि भाजपा ने दिल्ली के ग्रामीण इलाकों में खास फोकस किया और उसे सफलता भी मिली।

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पांचवां सबक

लोग अब केवल राजनीति का विकल्प नहीं, बल्कि विकल्प की राजनीति खोज रहे हैं। पंजाब में पार्टी को साबित करना होगा कि वह केवल राजनीतिक विकल्प नहीं, बल्कि वहां के बेसिक मुद्दों को हल करके नई राजनीति दे सकती है। इसके लिए पार्टी को लोगों के मूलभूत मुद्दों जैसे बेरोजगारी को हल करना होगा। इसके लिए आप सरकार को बड़ी नीति बनानी होगी। हाल ही में अमेरिका से डिपोर्ट किए भारतीय अप्रवासियों का मुद्दा सामने आया, जो राज्य में बेरोजगारी के संकट को दिखाता है। इस मुद्दे को सरकार को हल करना होगा और इसका ठोस समाधान खोजना होगा।

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Edited By

Khushbu Goyal

First published on: Mar 05, 2025 11:01 AM

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