Delhi Air Pollution: राजधानी दिल्ली में प्रदूषण एक चिंता का सबब बना हुआ है। इसे लेकर 13 नवंबर से दिल्ली में ऑड-ईवन स्कीम लागू करने की घोषणा कर चुकी दिल्ली सरकार ने स्कीम के फायदों से सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराने के लिए हलफनामा दायर किया है। आज यानी शुक्रवार को प्रदूषण के मुद्दे पर होने वाली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट इस पर संज्ञान ले सकता है।
#WATCH दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा, "बारिश की वजह से वायु गुणवत्ता में सुधार दिख रहा है। हमें उम्मीद है कि इसमें और सुधार होगा…हम ऑड-ईवन योजना के कार्यान्वयन पर अपना अध्ययन सुप्रीम कोर्ट के सामने रखेंगे…अगर जरूरत पड़ेगी तो ऑड-ईवन की तरफ बढ़ेंगे…" pic.twitter.com/mxa5vTQJpN
---विज्ञापन---— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 10, 2023
निजी कारों की संख्या में 30 फीसदी की कमी आई
बता दें कि दिल्ली सरकार के अनुरोध पर 2019 में लागू हुए ऑड-ईवन सिस्टम के दौरान दिल्ली इंटीग्रेटेड मल्टी-मोडल ट्रांजिट सिस्टम (डिम्ट्स) ने ऑड-ईवन स्कीम के ट्रैफिक पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर एक स्टडी की। इस दौरान इकट्ठा किए गए तथ्यों से यह बात सामने आई कि ऑड-ईवन लागू होने के दौरान सड़कों पर निजी कारों की संख्या में 30 फीसदी की कमी आई।
#WATCH दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी में हल्की बारिश के बाद मौसम में बदलाव देखने को मिला।
(ड्रोन वीडियो आज सुबह 9:00 बजे ओखला डंप यार्ड से रिकॉर्ड की गई है।) pic.twitter.com/hkz5mDBw5v
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 10, 2023
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प्रदूषण को कम करने में काफी मददगार
हालांकि, इस दौरान टू व्हीलर्स के प्रयोग में 6.5 प्रतिशत, टैक्सी के इस्तेमाल में 19.5 प्रतिशत, ऑटो के इस्तेमाल में 7.5 प्रतिशत की और बसों के इस्तेमाल में 4.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। वहीं, जीटी रोड पर 18 प्रतिशत और दिल्ली नोएडा लिंक रोड पर 15 प्रतिशत से ज्यादा ट्रैफिक का दबाव कम हुआ। इस बीच प्रति किमी ट्रैफिक कंजेशन कम होने और गाड़ियों के चलने की स्पीड में बढ़ोतरी होने के बाद ईंधन की खपत में भी करीब 15 प्रतिशत की कमी आई, जो प्रदूषण को कम करने में काफी मददगार साबित हुई।
डिम्ट्स की स्टडी के अलावा दो अन्य स्टडीज की रिपोर्ट
दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर करने के साथ डिम्ट्स की इस स्टडी के अलावा दो अन्य स्टडीज की रिपोर्ट भी दी है, जो कुछ अन्य संस्थानों ने अपने स्तर पर की थी और जिनको आधार बनाकर ट्रांसपोर्ट विभाग ने वर्ष 2016 में इस योजना को लागू करने का समर्थन किया था।