Diwali lamps more danger from firecracker: दीपावली का पर्व नजदीक आ गया है और इसे लेकर तैयारियां भी जोरों पर की जा रही हैं। इन तैयारियों के बीच कहीं पटाखों की खरीदारी चल रही है तो कहीं घर को सजाने का इंतजाम हो रहा है। इन सबके बीच घर के बच्चे दिवाली पर खुशियां मनाने के लिए पटाखों को अत्यधिक प्राथमिकता देते हैं और बड़ी सूझबूझ के साथ प्रकाश पर्व पर उसका उपयोग करते हैं। हालांकि, हर बार दिवाली से ठीक पहले पटाखों को लेकर सावधानियां बरतने की कई बातें सामने आती हैं लेकिन इस बार दिल्ली एम्स के जुड़े डॉक्टरों ने कुछ आंकड़ों को जारी करते हुए बताया है कि दीवाली पर पटाखों से ज्यादा पूजन और साजसज्जा के दौरान जलाए जाने वाले दीये हादसों का कारण बनते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि पटाखों से ज्यादा दीये लोगों को नुकसान पहुंचाते हैं।
पटाखों से ज्यादा दीयों से पहुंचता है नुकसान
दिवाली पर हर वर्ष आतिशबाजी की वजह से बच्चों और बड़ों के जलने की घटनाएं सामने आती हैं, लेकिन नई दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डॉक्टरों का कहना है कि आतिशबाजी के साथ लक्ष्मी पूजन और दीपमालिका के समय भी लोगों को विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है। एम्स के शुरुआती चिकित्सा अध्ययन में इस बात की पुष्टि हुई है कि पटाखों से ज्यादा दीयों की वजह से लोगों को नुकसान पहुंचा है। इतना ही नहीं, पटाखों के मुकाबले दीयों से लोगों की अधिक मौतें भी हुई हैं।
2022 में 9 मरीज हुए थे भर्ती, 7 की हो गई थी मौत
मिली जानकारी के मुताबिक, दीपावली पर आतिशबाजी और दीपमालिका को लेकर दिल्ली एम्स के अलग-अलग चिकित्सा अध्ययन सामने आए हैं। इनमें से एक अध्ययन बर्न एवं प्लास्टिक सर्जरी विभाग के विशेषज्ञों की ओर से भी किया गया है। विशेषज्ञों के अनुसार, साल 2022 में उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और दिल्ली से दिवाली के समय कुल 9 मरीजों को AIIMS की इमरजेंसी में भर्ती किया गया, जिनमें से 7 लोगों की इलाज के दौरान मौत हो गई। इसमें ये भी खुलासा हुआ कि यह सभी लोग दीपावली के दिन शाम के समय लक्ष्मी पूजन और दीपमालिका के दौरान दीयों के संपर्क में आने से आग की चपेट में आए थे।
दिवाली पर पटाखों से ज्यादा दीये से जलकर होती है मौत
विभाग के प्रमुख डॉ. मनीष सिंघल ने जानकारी देते हुए बताया कि आतिशबाजी की वजह से लोग खासतौर पर बच्चे आग की चपेट में आ जाते हैं लेकिन विश्लेषण से यह भी पता चला है कि दीयों से जलने वालों में मृत्यु दर 70 फीसदी दर्ज की गई है जो आतिशबाजी की तुलना में बहुत ज्यादा है। इसलिए लोगों को दिपावली के समय न सिर्फ पटाखों बल्कि दीयों से भी खुद का बचाव रखने के साथ-साथ सावधान रहने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि इस त्योहार पर लोगों को यह भी ध्यान रखने की जरूरत है कि वे कैसे कपड़े पहनकर दीपमालिका करते हैं क्योंकि सिंथेटिक कपड़े बहुत जल्दी आग को आकर्षित करते हैं। इसे लेकर AIIMS की डॉ. शिवांगी का कहना है कि एहतियात और सावधानी के साथ त्योहार मनाना बेहद जरूरी है।
दिल्ली एम्स के डॉ. राजेंद्र प्रसाद नेत्र विज्ञान केंद्र (आरपी सेंटर) के डॉक्टरों ने 2016 से 2018 के बीच दिवाली के आसपास एक महीने तक भर्ती होने वाले 3,374 मरीजों पर अध्ययन किया है। इसमें से 83 ऐसे मरीजों को चुना गया, जो सीधे आतिशबाजी की वजह से घायल हुए।