देश में 1975-77 के दौरान अनुच्छेद 352 के संवैधानिक प्रावधान के तहत राष्ट्रीय आपातकाल लगाया था। आपातकाल में जेल जाने वाले लोकतंत्र सेनानियों को कई राज्यों में आर्थिक सहयोग दिया जा रहा है। अब दिल्ली की रेखा गुप्ता सरकार ने भी पेंशन की घोषणा की है। मंगलवार को 1984 के सिख विरोधी दंगे में मारे गए लोगों के परिवार के सदस्यों को सरकारी नौकरी की नियुक्ति पत्र देने के लिए आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इसकी घोषणा की। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए जेल जाने वाले सेनानियों को पूर्व की सरकारों ने कोई सम्मान नहीं दिया। अब हमारी सरकार ने अन्य राज्यों की तरह दिल्ली में भी इन्हें सम्मान देने का संकल्प लिया है। बता दें कि भाजपा शासित कई राज्यों में लोकतंत्र सेनानियों को पेंशन के रूप में सम्मान निधि दी जाती है।
क्या कहा रेखा गुप्ता ने?
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने मंगलवार को कहा कि दिल्ली की भाजपा सरकार आपातकाल के दौरान राजनीतिक बंदी रहे लोगों को पेंशन प्रदान करेगी और उनका सम्मान करेगी। उन्होंने यह बात 1984 के सिख विरोधी दंगा पीड़ितों के परिवारों को जॉब लेटर देने के लिए दिल्ली सचिवालय में आयोजित एक कार्यक्रम में कही। गुप्ता ने कहा कि देश में आपातकाल के दौरान लोकतंत्र की रक्षा के लिए जिन लोगों को महीनों तक जेलों में रखा गया था, उन्हें पिछली सरकारों ने कोई राहत नहीं दी। उन्होंने कहा, ‘हमारी सरकार ने लोकतंत्र सेनानियों (राजनीतिक कैदियों) को पेंशन देने का निर्णय लिया है। अन्य राज्यों की तरह दिल्ली सरकार भी उन्हें सम्मानित करेगी।’
क्या है आर्टिकल 352?
अनुच्छेद 352 भारत के संविधान का एक महत्वपूर्ण अनुच्छेद है, जो राष्ट्रीय आपातकाल से संबंधित है। यह आपातकाल की घोषणा, उसके आधार और प्रभाव के बारे में बताता है। राष्ट्रपति अनुच्छेद 352 के तहत राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कर सकते हैं, यदि उन्हें यह लगता है कि आंतरिक अशांति, युद्ध, बाहरी आक्रमण से भारत या उसके किसी भाग की सुरक्षा खतरे में है। हालांकि, 44वें संशोधन के तहत आंतरिक अशांति को ‘सशस्त्र विद्रोह’ में बदल दिया गया है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने आंतरिक अशांति की वजह से देश में आपातकाल घोषित किया था। 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सलाह पर राष्ट्रपति ने आपातकाल घोषित किया था। अनुच्छेद 352 के तहत राष्ट्रीय आपातकाल युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह के कारण लगाया जा सकता है, लेकिन राष्ट्रपति द्वारा आपातकाल की घोषणा के एक महीने के भीतर संसद की स्वीकृति आवश्यक होती है। आपातकाल की घोषणा होने पर राष्ट्रपति को कुछ विशेष अधिकार प्राप्त होते हैं और नागरिक के कुछ मौलिक अधिकार निलंबित हो जाते हैं। अब तक भारत में अनुच्छेद 352 के तहत कुल तीन बार आपातकाल लग चुका है, वर्ष 1962, 1971 और 1975 में राष्ट्रीय आपातकाल लगाया गया था।
दिल्ली सरकार ने ‘लोकतंत्र विजय दिवस’ का किया था आयोजन
बता दें कि देश में कांग्रेस सरकार ने 1975-77 के दौरान राष्ट्रीय आपातकाल लगाया था। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा घोषित आपातकाल के दौरान कई भाजपा नेताओं और अन्य विपक्षी दलों के राजनेताओं को जेल में डाल दिया गया था। इस साल 21 मार्च को भाजपा की दिल्ली इकाई ने नई दिल्ली नगरपालिका परिषद के कन्वेंशन सेंटर में आयोजित ‘लोकतंत्र विजय दिवस’ समारोह में आपातकालीन बंदियों को सम्मानित किया था। दिल्ली में 2014 में लोकतंत्र सेनानी संघ का गठन किया गया था और भाजपा नेताओं ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान इन्हें सम्मान देने का वादा किया था।
अभी कितने राज्यों में मिलती है पेंशन?
देश के कई राज्य 1975-77 में आपातकाल के दौरान जेल गए लोगों को पेंशन प्रदान करते हैं। इनमें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और ओडिशा जैसे भाजपा शासित राज्य भी शामिल हैं।
ओडिशा में भाजपा की सरकार बनने पर इस साल जनवरी में लोकतंत्र सेनानियों को प्रति माह 20 हजार रुपये आर्थिक मदद करने की घोषणा की गई। मार्च में राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा में मीसा बंदियों को पेंशन देने का विधेयक पारित किया गया। हरियाणा सरकार ने इसी वर्ष फरवरी में इनकी पेंशन राशि बढ़ाकर 20 हजार रुपये प्रति माह की है। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार में भी लोकतंत्र सेनानियों को पेंशन मिलती है।