कुमार गौरव
Delhi BJP Mission ‘Special 30’: अगले साल दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। चुनाव को लेकर भाजपा और आम आदमी पार्टी ने अपनी तैयारियां तेज कर ली हैं। सभी पार्टियां चुनाव जीतने और वोटर्स को लुभाने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रही हैं। भाजपा द्वारा दिल्ली विधानसभा चुनाव में दलित वोटरों को साधने का प्रयास किया जा रहा है, जिनकी सीटों पर जीत हासिल करके पार्टी दिल्ली की सत्ता प्राप्त करना चाहती है। इसके लिए भाजपा ने दिल्ली की उन 30 विधानसभा सीटों को जीतने के लिए विशेष रणनीति बनाई है, जहां अनुसूचित जाति के वोटर्स की बहुलता है।
विधानसभा सीटों पर नियुक्त किए गए विस्तारक
भाजपा द्वारा दिल्ली के अनुसूचित जाति के मतदाताओं की अच्छी-खासी आबादी वाले 30 विधानसभा क्षेत्रों में पैठ बढ़ाने का काम शुरू कर दिया गया है। इसमें वो 12 विधानसभा सीटें भी शामिल हैं, जो अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व हैं। भाजपा सूत्रों के मुताबिक, इन सभी विधानसभा सीटों पर 1-1 विस्तारक नियुक्त किए गए हैं। ये विस्तारक वहीं के लोकल अनुसूचित जाति वर्ग से बहाल किए गए हैं। इन 30 चुनावी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के साथ घर-घर संपर्क बढ़ाने के लिए समर्पित ‘विस्तारक’ (दिल्ली भाजपा के वरिष्ठ कार्यकर्ता) और अनुसूचित जाति के एक जनप्रतिनिधि को लगातार क्षेत्र में लगाया गया है।
बेहतर प्रदर्शन करना जरूरी
पार्टी प्रवक्ता आरपी सिंह ने बताया कि पार्टी ने हाल के लोकसभा चुनावों में 7 संसदीय सीटों में फैले 12 अनुसूचित जाति (SC) रिजर्व विधानसभा क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन किया। 12 में से 8 सीटों पर भाजपा को इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवारों से अधिक वोट मिले। इससे पार्टी में इन सीटों को लेकर विश्वास बढ़ा। भाजपा में उम्मीद जागी कि दिल्ली की इन दलित मतदाताओं के प्रभुत्व वाली सीटों पर विधानसभा चुनाव में भी जीत हासिल की जा सकती है। साल 2013 के बाद से भाजपा लगातार दिल्ली के दलित बहुल सीटों को जीतने में विफल रही है। दिल्ली में सरकार बनाने के लिए भाजपा का इन निर्वाचन क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन करना जरूरी है।
4000 बूथों पर रहेगा फोकस
बीजेपी का मानना है कि इन्हीं अनुसूचित जाति वर्ग का वोट लेकर आम आदमी पार्टी विधानसभा चुनाव में लगातार बेहतर प्रदर्शन करती रही है। दिल्ली में SC कोटे की आरक्षित 12 सीटों के अलावा 18 निर्वाचन क्षेत्र ऐसे हैं, जहां दलित मतदाता चुनाव में उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन सभी विधानसभा क्षेत्रों में अनुसूचित जाति के 17 से 43 प्रतिशत तक वोटर्स मौजूद हैं। पार्टी ने जिन विस्तारकों को नियुक्त किया है, वो इन इलाकों के लगभग 4000 बूथों पर फोकस करेंगे। इसमें 1-11-121 के फार्मूले के तहत काम करने की योजना बीजेपी ने बनाई है। यानि एक स्थानीय विस्तारक में अंदर बाहर के 11 कार्यकर्ता होंगे और उन 11 के नीचे फिर लोकल स्तर के 121 कार्यकर्ता बूथ पर काम करेंगे। मतदाताओं के साथ घर-घर संपर्क सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक बूथ के लिए 1-11-121 स्ट्रेटेजी के तहत काम किया जाएगा। इन सभी 30 सीटों में एक पूर्व सांसद या विधायक को यहां का इंचार्ज नियुक्त किया गया है।
भाजपा की इंटरनल मीटिंग में मिले कई संकेत
दूसरी तरफ बीजेपी ने दिल्ली में 8 दिसंबर से शुरू होने वाली रथयात्रा को रोक दिया है। अब यह रथयात्रा करीब 15 से 16 दिन बाद शुरू की जाएगी। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, रथयात्रा शुरू करने से पहले बीजेपी अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी करना चाहती है। जानकारी के अनुसार, 21 से 23 दिसंबर के बीच पार्टी के उम्मीदवारों की पहली सूची जारी हो सकती है। पहली सूची में करीब 30 नाम शामिल होंगे। इस बीच, भाजपा ने इंटरनल मीटिंग में संकेत दिए हैं कि कोई भी सीटिंग सांसद विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेगा। इसके साथ ही उन्होंने यह संकेत दिए हैं कि इस चुनाव में ज्यादातर सीटिंग विधायकों के टिकट कट सकते हैं। विधानसभा चुनाव की तैयारियों को ध्यान में रखते हुए दिल्ली के सभी 14 जिलों में भाजपा के चुनाव प्रभारी विजयंत पांडा और सह प्रभारी अतुल गर्ग लगातार मीटिंग कर रहे हैं।।
दलित वोटरों के बीच पैठ
उन्होंने बताया कि अब तक लगभग 70 प्रतिशत जिलों में मीटिंग की जा चुकी है। इन बैठकों में स्थानीय समस्याओं, उम्मीदवारों और चुनाव की दृष्टि से किए जाने वाले कामों की विस्तृत जानकारी ली जा रही है। गौरतलब है कि बीजेपी ने इसी तरह दो महीने पहले हरियाणा और हाल में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में भी व्यापक दलित आउटरीच कार्यक्रम चलाया था और विशेष संपर्क अभियान चलाकर बीजेपी ने दलित मतदाताओं को अपने पक्ष में खड़ा कर लिया था। महाराष्ट्र की लगभग 124 विधानसभा सीटों में दलित वोटरों के बीच पैठ का फॉर्मूला बीजेपी ने लगाया था। अब वही फॉर्मूला लगाकर बीजेपी दिल्ली में सत्ता हासिल करना चाहती है।