Organs Donate: इस दुनिया में सबसे बड़ा दान अंगदान को कहा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि अंगदान के द्वारा किसी अन्य व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है। ऐसा ही एक मामला छत्तीसगढ़ के रायपुर से सामने आया है, जहां एक 18 वर्षीय युवक ने अपने अंगों का दान करके पांच लोगों को नया जीवन दिया है।
हीमोफीलिया बीमारी से पीड़ित था
दरअसल, रायपुर के फाफाडीह निवासी गुजराती परिवार का 18 वर्षीय युवक बचपन से ही हीमोफीलिया बीमारी से पीड़ित था, जिसे सिर में तेज दर्द होने की शिकायत पर 10 नवंबर को एम्स के मेडिसिन विभाग में भर्ती कराया गया था। इस दौरान डॉक्टरों ने जांच में पाया कि युवक के मस्तिष्क में आंतरिक रक्तस्राव (इंट्रा-सेलेब्रल हेमरेज) है, जिसे रोका नहीं जा सकता है। इसके बाद एम्स के विभिन्न विभागों के डॉक्टरों के प्रयास के बाद भी ज्यादा खून बहने के कारण मरीज का ब्रेन डेड हो गया। इसके बाद 13 नवंबर को डॉक्टरों की कमेटी ने युवक का ब्रेन डेड होने की पुष्टि की।
बचपन से थी इच्छा
मरीज की बहन ने डॉक्टरों को बताया कि भाई को जन्म से ही हीमोफीलिया होने की वजह से उसकी बचपन से ही इच्छा थी कि यदि उसे कुछ हो जाए तो, उसके अंग व शरीर को दान कर दिया जाए। इसके बाद परिजनों की सहमति लेकर मरीज के दोनों किडनी, दोनों आंखें, स्किन और शरीर को दान कर दिया गया। दान किए गए अंगों को सुरक्षित ले जाने के लिए विशेष व्यवस्था की गई, जिसमें विभिन्न अस्पतालों से डॉक्टरों की टीम ने सहयोग किया। AIIMS के नेफ्रोलाजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. विनय राठोर ने बताया कि एक किडनी रामकृष्ण केयर हॉस्पिटल, एक किडनी एम्स व स्किन डीकेएस हॉस्पिटल में इलाज करा रहे मरीज को दान की गई, साथ ही आंखों को एम्स के आई बैंक और शरीर को भी एनाटोमी लैब में दान कर दिया गया।
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डॉक्टरों ने दी सलामी
इस दौरान अंगदान की पूरी प्रक्रिया के आखिर में मरीज के शरीर के प्रति सम्मान प्रकट करते हुए एम्स के अधिष्ठाता डॉ. आलोकचन्द्र अग्रवाल एवं समस्त डॉक्टरों और कर्मचारियों ने सलामी दी। डॉक्टरों ने कहा कि अंगदान को लेकर अभी भी कुछ लोगों के मन में भ्रांतियां हैं। इससे अंगदान के प्रति जागरुकता आएगी। इस दौरान डॉक्टरों की टीम में डॉ. अमित शर्मा, डॉ. दीपक बिस्वाल, डॉ. सत्यदेव, डॉ. कृष्णदत्त चावली, डॉ. रोहित बाड़गे, डॉ. चंदन, डॉ. विजया साहू एवं अन्य डॉक्टर्स शामिल थे।