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छत्तीसगढ़

39 साल बाद बरी होने वाले शख्स ने बताई आपबीती, कैसे पुलिस वाले के बेटे और SP ने रची थी साजिश?

छत्तीसगढ़ के रायपुर के रहने वाले जागेश्वर प्रसाद अवधिया 39 साल पुराने रिश्वत मामले से आखिरकार बरी हो गए हैं. उन पर 100 रुपये रिश्वत लेने का आरोप लगाया गया था, लेकिन अदालत ने अब उन्हें निर्दोष करार दिया है. इस लंबे संघर्ष ने उनकी जिंदगी को बुरी तरह प्रभावित किया. नौकरी चली गई, पत्नी का निधन हो गया और आर्थिक तंगी से गुजरना पड़ा.

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : Avinash Tiwari Updated: Sep 25, 2025 22:41
Jageshwar Prasad Awadhiya
Jageshwar Prasad Avadhiya

39 साल बाद 100 रुपये रिश्वत लेने का आरोप जब माथे से हटा तो छत्तीसगढ़ के रायपुर के रहने वाले जागेश्वर प्रसाद अवधिया चर्चाओं में आ गए. 39 साल बाद उन्हें कोर्ट ने बरी कर दिया है. बरी होने के बाद जागेश्वर ने बताया कि किस तरह उन्हें फंसाया गया और कैसे इस दौरान वह अपनी जिंदगी जी रहे थे. पिछले 39 सालों में दुनिया बदल गई लेकिन जागेश्वर के माथे का कलंक नहीं हटा, जो तत्कालीन एसपी की मदद से लगाया गया था.

उन्होंने बताया कि कैसे एक पुलिस वाले के बेटे को बिना ऊपर के आदेश से बिल नहीं देने पर ऐसा फंसाया गया कि 39 साल तक वह केस लड़ते रहे. नौकरी चली गई, दूसरी जगहों पर काम करना पड़ा. पत्नी की मौत हो गई, अब तो आंखों की रोशनी भी चली गई है. अब कोर्ट ने उन्हें न्याय दिया है और बरी कर दिया है. हालांकि एक मौका ऐसा भी आया था, जब जज ने उन्हें बेगुनाह मानने से इनकार कर दिया था.

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जागेश्वर प्रसाद अवधिया ने बताई आपबीती

समाचार एजेंसी ANI से बात करते हुए जागेश्वर प्रसाद अवधिया ने कहा कि अशोक वर्मा नाम का एक शख्स काम करता था. वो मेरे पास आया और बोला कि मैं कोर्ट से केस जीत गया हूं, अब मेरा बिल बनाओ. मैंने उससे कहा कि बिना आदेश के बिल नहीं बनता. वह चला गया लेकिन कुछ दिन बाद वह फिर से आया और फिर मैंने उसे बिल देने से मना कर दिया. उसका पिता पुलिस में था. तीसरी बार वह एसपी को लेकर पूरी टीम बनाकर आ गया, मेरे पीछे पड़ा था. जैसे ही ऑफिस जाने के लिए मैं घर से निकला थोड़ी दूर जाते ही मेरी जेब में पैसे डाल दिए और मुझे पकड़ लिया.

उन्होंने कहा कि इसके बाद मुझे चौकी लेकर गए. मुझ पर कार्रवाई की. मेरे घर और ऑफिस में छापा मारा गया. उन्हें बस साइकिल, पंखा आदि मिला और इसे नोट किया. हेड ऑफिस भी चले गए. मेरे ऑफिस के सभी लोगों ने लिखकर दिया कि इसने किसी से पैसा नहीं लिया है, यह ईमानदार है लेकिन इस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया.

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‘मेरी बात कोई नहीं समझ रहा’

जागेश्वर प्रसाद ने बताया कि कोर्ट में केस गया, जिसे गवाही बनाई, सभी ने मेरे पक्ष में गवाही दी लेकिन जज कुछ नहीं माने. ना एसपी समझे, ना जज समझे, उन्हें तो मेरे अधिकारी से मिलना चाहिए था. तकनीकी चीजें कोई समझ ही नहीं रहा था. मेरा इतना समय इन लोगों ने खराब कर दिया. इन्हीं सब के बीच मेरी पत्नी चल बसी. बच्चों की पढ़ाई नहीं हो पाई. ठीक से शादी नहीं हो पाई. मेरे पास कमाई का कोई जरिया नहीं है, ना पेंशन है और ना ही पुराना पैसा मिला है. मैं बहुत परेशानी में जिंदगी जी रहा हूं.

उन्होंने कहा कि मेरी गुजारिश है सरकार से, मुख्यमंत्री, वित्त मंत्री और अधिकारियों से कि मेरा बकाया पैसा, पेंशन दिलवाने की कृपा करें. मुझे तो अब एक आंख से दिखाई भी नहीं देता है. मैं लाचार हो गया हूं. जो होना था हो गया. 39 साल का भुगतान करवा दिया जाए. कई लोग कहते हैं कि मैंने पैसा लिया है लेकिन कोई सामने आकर बोलने को तैयार नहीं हुआ कि मैं बेकसूर हूं. केस लड़ता रहा, अब जाकर न्याय मिला है. जागेश्वर प्रसाद ने बताया कि हालत इतनी खराब हो गई कि सत्तू खाकर जिंदा रहता था. मैं अलग-अलग जगहों पर नौकरी करता था. मैं बीच में फंसा हुआ था, ना इधर का था और ना ही उधर का. अब तो मैं कुछ कर भी नहीं पाता, दिनभर बस पड़ा रहता हूं.

यह भी पढ़ें: 100 रुपये की रिश्वत के झूठे आरोप में काटी 39 साल की सजा, अब कोर्ट बोला ‘आप बेकसूर हैं’

हालांकि अपने बयान में उन्होंने एक बार भी किसी के खिलाफ कार्रवाई की मांग नहीं की और ना ही नाराजगी जताई है. उनकी सिर्फ इतनी मांग है कि जो भी उनके पैसे रुके हुए हैं, उन्हें वापस कर दिया जाए. ताकि वह अब अच्छी जिंदगी जी सकें.

First published on: Sep 25, 2025 10:41 PM

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