रायपुर: आज मैं जिस मुकाम पर पहुंचा हूं उसमें मेरे गुरुजनों का योगदान रहा है। जिस स्कूल परिसर में हम खड़े हैं। वो बहुत पुराना है। यहां विनोबा भावे का आगमन हुआ था और यहां उन्होंने भूदान के लिए लोगों को प्रेरित किया था। आज जिस अवसर पर मैं यहां आया हूं। वो शिक्षक दिवस का है। मैं पूर्व राष्ट्रपति और शिक्षक डा. राधाकृष्णन को भी नमन करता हूं। यह बात सीएम भूपेश बघेल ने आज पाटन ब्लाक के ग्राम मर्रा में संत विनोबा भावे महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र के नवनिर्मित महाविद्यालय का लोकार्पण करने और शिक्षक दिवस के अवसर पर सेवानिवृत्त शिक्षकों के सम्मान कार्यक्रम के दौरान अपने संबोधन में कही।
इसके साथ ही इस महाविद्यालय में हाइटेक नर्सरी, बीज भंडार गृह, टिश्यू कल्चर प्रयोगशाला, इंप्लीमेंट शेड, कृषक विश्राम गृह, तीन खाद गोदाम व महाविद्यालय के 2 अतिरिक्त कक्षों को लोकार्पण किया। शिक्षक दिवस के अवसर पर यहां 1500 सेवानिवृत्त शिक्षकों को सम्मानित किया गया। समारोह को सम्बोधित करते हुए सीएम बघेल ने कहा कि मर्रा में स्थापित कृषि महाविद्यालय के तकनीक से खेती-किसानी में सुधार होगा। आधुनिक खेती से उत्पादन में बढ़ोतरी होगी। प्रदेश में 10 हजार गौठान बनाए गए हैं।
यह भी पढ़ें-‘पोषण माह-2023’ राज्य में पोषण जागरुकता के लिए आयोजित की जा रहीं गतिविधियां
जिसमें आज 6 हजार गौठान स्वावलम्बी हो गए हैं। प्राथमिक शिक्षा विस्तार के लिए 700 स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोले गए हैं। स्कूल जतन योजना के तहत स्कूलों का जीर्णोद्धार किया गया है। 30 हजार टीचरों की भर्ती की गई है। सीएम ने कहा कि बेहतर वातावरण बनाना सरकार की मंशा है। छत्तीसगढ़ की संस्कृति, यहां के रहन-सहन, खान-पान को पहचान दिला कर स्वाभिमान को बढ़ावा देने का काम सरकार कर रही है। पुरखों के बनाए परम्परा को आगे बढ़ाने का काम कर रही है।
संत विनोबा भावे कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र मर्रा (पाटन) को छत्तीसगढ़ शासन द्वारा लगभग 87 एकड़ भूमि का आबंटन किया गया है जिसके अंतर्गत कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान हेतु नवीन महाविद्यालय भवन जो कि समस्त शैक्षणिक सुविधाओं से सुसज्जित है एवं 3730 वर्गमीटर में विस्तारित है, जिसकी लागत लगभग 5 करोड़ 25 लाख रुपए है। यहां पर कृषि, सम्मुनत प्रयोगशालाएं, पुस्तकालय, शिक्षा एवं अनुसंधान कार्य हेतु स्मार्ट क्लास रूम, खेलकूद एवं एन.एस.एस., पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति आदि की सुविधाएं विद्यार्थियों को प्रदान की जा रही है।
यह भी पढ़ें-‘छत्तीसगढ़ पर्यटन नीति 2020’ के तहत राज्य में पर्यटन स्थलों का हो रहा विकास
कालेज कैम्पस पूर्णतः वाई-फाई एवं इंटरनेट से जुड़ा हुआ है। विद्यार्थियों को कृषि क्षेत्र में अनुसंधान हेतु 72 एकड़ में कृषि प्रक्षेत्र का विकास किया गया है, जहां हाइटेक नर्सरी का निर्माण किया गया है। जिसकी लागत लगभग 1 करोड़ रुपए की है जो कि लगभग 15 एकड़ क्षेत्र में विस्तारित है। हाइटेक नर्सरी में विभिन्न प्रकार के फलों, सब्जियों तथा फूलों का पौधा तैयार करके कृषकों को वितरित किया जाता है ताकि कृषकगण इनका प्रयोग करके आर्थिक रूप से सशक्त बन सकें।
टिशू कल्चर प्रयोगशाला का निर्माण लगभग 2.50 करोड़ की लागत से किया गया है, जहां गन्ना, बांस, केला, गुलाब एवं अन्य पौधों का टिशू कल्चर के माध्यम से विकास कर किसानों का वितरित किया जाएगा। छत्तीसगढ़ मंडी बोर्ड के सहयोग से बीज भंडार गृह इम्प्लीमेंट शेड एवं कृषक प्रशिक्षण हेतु कृषक विश्राम गृह का निर्माण लगभग 2.37 करोड़ में किया गया है। 200 मेट्रिक टन क्षमता वाले 3 खाद गोदामों का भी निर्माण 32.93 लाख की लागत से किया गया है।