Chhattisgarh Teachers Order: एक तरफ जहां SIR में लगी घंटों की ड्यूटी से शिक्षक परेशान पहले से ही हैं वहीं छत्तीसगढ़ के शिक्षा विभाग ने एक ऐसा फरमान जारी किया है जिसने पूरे प्रदेश में खलबली मचा दी है. विभाग ने शिक्षकों को एक नई जिम्मेदारी सौंपी है. जिसके तहत स्कूल परिसर में आवारा कुत्तों की निगरानी करने की. जिसको लेकर सियासी घमासान मचा है. वहीं ये आदेश बेअसर साबित हो रहा है. बहरहाल पहले से ही स्कूलों में शिक्षकों की कमी से जूझ रहे छत्तीसगढ़ में जिन शिक्षकों की ड्यूटी नौनिहालों का उज्जवल भविष्य बनाने की है. उन्हें गेट पर खड़े होकर कुत्तों को भगाना कितना सही साबित होगा ये बड़ा सवाल है.
20 नवंबर को जारी किया गया सर्कुलर
छत्तीसगढ़ के लोक शिक्षण संचालनालय ने 20 नवंबर को एक सर्कुलर जारी करके टीचरों को स्कूल परिसर और आसपास घूमने वाले आवारा कुत्तों पर नजर रखने का निर्देश दिया गया है. शिक्षकों से कहा गया है कि वो ऐसे कुत्तों की सूचना तुरंत ही ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत, नगर निगम या डॉग कैचर नोडल अधिकारी को दें. इतना ही नहीं, इस आदेश में शिक्षकों को ऐसे आवश्यक इंतजाम करने को भी कहा गया है. जिससे आवारा कुत्ते स्कूल परिसर में न घुस पाएं. सरकार का तर्क है कि ये फैसला सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर ये फैसला लिया गया है, क्योकि स्कूलों के आस पास पालतू कुत्ते घूमते नज़र आ रहा है. जिनसे बच्चों के जीवन को ख़तरा है. पहले इस तरह की घटना हो चुकी हैं. जिसका जुर्माना सरकार को देना पडा था. कुत्तों की गणना करना इसका मकसद नहीं है. ये फैसला बच्चों के हित में लिया गया है.
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शिक्षक संघ ने इस आदेश का किया विरोध, की ये मांग
लेकिन सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का हवाला देते हुए जारी किए गए स्कूल शिक्षा विभाग के आदेश को शिक्षकों ने ठेंगा दिखा दिया है. स्कूलों में आवारा कुत्तों की निगरानी का ज़िम्मेदारी शिक्षकों को दी थी. न्यूज 24 ने पाया कि आदेश के बावजूद स्कूल परिसर में और आस पास कुत्ता घूम रहे हैं. जिनकी निगरानी 4 दिन बाद भी नही की जा रही है. इस अजीब आदेश के खिलाफ शिक्षक संघ ने मोर्चा बुलंद कर दिया है और इसे शिक्षकों के सम्मान पर हमला बताते हुए तुरंत वापस लेने की मांग की है. शिक्षक संगठनों का कहना है कि वह पहले से ही गैर शिक्षण कार्यों का बोझ उठा रहे हैं, अब ये निर्देश शिक्षक वर्ग के सम्मान के खिलाफ है. सरकार के इस फरमाना पर राजनीति भी गरमा गई है. कांग्रेस का कहना है कि पहले से शिक्षकों को जबरदस्ती बीएलओ की जिम्मेदारी दे रखी है. अब कुत्ते की निगरानी भी शिक्षकों से क्यों कराई जा रही है, जबकि ये काम पंचायत, नगर निगम से कराया जा सकता है. ये आदेश गलत हैं इसे वापस लेना चाहिए. वहीं बीजेपी ने पलटवार करते हुए कहा कि सरकार का फैसला बच्चों की सुरक्षा से जुड़ा है. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का पालन किया जा रहा है. कांग्रेस को इस पर राजनीति नहीं करना चाहिए.
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