वैभव शिव पांडेय, छत्तीसगढ़
Chhattisgarh Congress Candidates Victory Equations: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 का परिणाम 2018 की तरह ही इस बार भी चौंकाने वाला हो सकता है, क्योंकि कांग्रेस और भाजपा के दिग्गज नेता कड़े मुकाबले में फंस गए हैं। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव मतदान 2 चरणों में हुआ। पहले चरण में 20 सीटों के लिए 7 नवंबर को मतदान हुआ, जबकि दूसरे चरण में 70 सीटों के लिए 17 नवंबर को मतदान हुआ। कुल 90 सीटों में मतदान का औसत प्रतिशत 76.31 रहा। 2018 में मतदान का प्रतिशत 76.88 रहा था। 2018 के मतदान प्रतिशत के आस-पास मतदान प्रतिशत के चलते कांग्रेस और भाजपा दोनों ही भारी बहुमत से सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं, लेकिन इन दावों के बीच बात उन सीटों की करते हैं, जहां कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों के दिग्गज नेता कड़े मुकाबले के बीच फंस गए हैं। दुर्गा महाविद्यालय में राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर और चुनाव का सटीक विश्लेषण करने वाले डॉ. अजय चंद्राकर का कहना है कि दोनों दलों के मंत्रियों और पूर्व मंत्रियों के लिए जीत की राह आसान नहीं है, जानते हैं कैसे?
कांग्रेस प्रत्याशियों की स्थिति…
कोंटा, प्रत्याशी कवासी लखमा
कोंटा से 5 बार के विधायक और भूपेश सरकार में उद्योग एवं आबकारी मंत्री कवासी लखमा कड़े मुकाबले के बीच फंस गए हैं। भाजपा प्रत्याशी सोयम मुका भी जीत की दहलीज पर खड़े दिखाई दे रहे हैं। वैसे CPI के मनीष कुंजाम भी जीत-हार की रेस में शामिल हैं।
कोंडागांव, प्रत्याशी मोहन मरकाम
कोंडागांव से 2 बार के विधायक और भूपेश सरकार में SC-ST-OBC-अल्पसंख्यक मंत्री मोहन मरकाम भी कड़े मुकाबले में फंसे हैं। मरकाम को लेकर भी कहीं से भी यह दावा पुख्ता तौर पर नहीं किया जा रहा है कि वे जीत रहे हैं। भाजपा प्रत्याशी लता उसेंडी ने कड़ी टक्कर देकर खुद की जीत के दावे को मजबूत कर दिया है।
दुर्ग ग्रामीण, प्रत्याशी ताम्रध्वज साहू
कई बार विधायक और सांसद रहे भूपेश सरकार में गृह एवं कृषि मंत्री ताम्रध्वज साहू को लेकर भी यह चर्चा है कि वे कड़े मुकाबले में फंस गए हैं। इस बार दुर्ग ग्रामीण से आसानी से जीत हो, ऐसा दावा स्थानीय रिपोर्ट्स में नहीं किया जा रहा है। पहली बार चुनाव लड़ रहे भाजपा प्रत्याशी ललित चंद्राकर ने उन्हें कड़ी टक्कर दी है।
कवर्धा, प्रत्याशी मो. अकबर
2018 में 60 हजार रिकॉर्ड वोटों से जीतने वाले कवर्धा और पंडरिया से कई बार के विधायक और भूपेश सरकार में वन मंत्री मो. अकबर के लिए भी इस बार जीत आसान नहीं है। सियासी चर्चाओं में कवर्धा की सीट को फंसी हुई बताया जा रहा है। भाजपा प्रत्याशी और पहली बार चुनाव लड़ रहे विजय शर्मा ने कड़ी टक्कर देकर यहां मुकाबला बहुत ही दिलचस्प बना दिया है।
साजा, प्रत्याशी रविन्द्र चौबे
साजा से कई बार के विधायक और भूपेश बघेल सरकार में पंचायत एवं स्कूल शिक्षा मंत्री रविन्द्र चौबे के लिए भी इस बार सबकुछ आसान नहीं रहा है। बिरनपुर हिंसा के पीड़ित ईश्वर साहू को भाजपा ने प्रत्याशी बनाकर चौबे को साजा में घेर दिया है। बताया जा रहा है कि इस सीट पर मुकाबला बहुत ही कड़ा है।
सीतापुर, प्रत्याशी अमरजीत भगत
सीतापुर से लगातार 4 बार के विधायक और भूपेश बघेल सरकार में खाद्य एवं संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत भी आसानी से जीत रहे हैं, यह दावा पुख्ता नहीं है। ग्राउंड रिपोर्ट्स के मुताबिक, भगत इस बार बहुत कड़े मुकाबले में फंस गए हैं। पहली बार चुनाव लड़ रहे पूर्व सैनिक भाजपा प्रत्याशी रामकुमार टोप्पो ने उन्हें कड़ी टक्कर दी है।
कोरबा, प्रत्याशी जय सिंह अग्रवाल
3 बार से लगातार विधायक रहे भूपेश बघेल सरकार के राजस्व मंत्री जय सिंह अग्रवाल को लेकर भी यह पुख्ता दावा नहीं है कि बीते 3 चुनाव की तरह इस बार वे आसानी से चुनाव जीत रहे हैं। भाजपा प्रत्याशी और पूर्व महापौर लखन देवांगन ने कड़े मुकाबले में जय सिंह को फंसा दिया है।
भाजपा के दिग्गज प्रत्याशियों की स्थिति…
कुरुद, प्रत्याशी अजय चंद्राकर
कुरुद से कई बार के विधायक और पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर के लिए इस बार जीत आसान नहीं है। ग्राउंड रिपोर्ट के मुताबिक, चंद्राकर की सीट फंसी हुई है। पहली बार चुनाव लड़ रहीं कांग्रेस प्रत्याशी तारिणी चंद्राकर ने उन्हें कड़ी टक्कर दी है।
बिलासपुर, प्रत्याशी अमर अग्रवाल
बिलासपुर से 4 बार विधायक और रमन सरकार में मंत्री रहे अमर अग्रवाल इस बार भी कड़े मुकाबले में फंसे हुए हैं। कांग्रेस प्रत्याशी शैलेष पांडेय ने उन्हें कड़ी टक्कर दी है।
बिल्हा, प्रत्याशी धरम लाल कौशिक
बिल्हा से कई बार के विधायक और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष धरम लाल कौशिक की सीट भी फंसी हुई है। पंरपरागत रूप से कांग्रेस प्रत्याशी सियाराम कौशिक से एक बार फिर उन्हें हार का सामना करना पड़ सकता है।
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तखतपुर, प्रत्याशी धर्मजीत सिंह
पहले कांग्रेस, फिर जोगी कांग्रेस और अब भाजपा के नेता धर्मजीत सिंह इस बार चुनाव तखतपुर से लड़ रहे हैं। कई बार के विधायक हैं, विधानसभा उपाध्यक्ष रहे हैं, लेकिन सीट बदलकर चुनाव लड़ना धर्मजीत सिंह को भारी पड़ गया है। कांग्रेस प्रत्याशी और विधायक रश्मि सिंह ने उन्हें कड़ी टक्कर दी है।
जांजगीर, प्रत्याशी नारायण चंदेल
कई बार के विधायक और नेता-प्रतिपक्ष नारायण चंदेल को लेकर भी यह दावा किया जा रहा है कि वे आसानी से नहीं जीत रहे हैं। कांग्रेस प्रत्याशी व्यास कश्यप ने कड़ी टक्कर देते हुए चंदेल को उन्हीं के घर में घेर लिया है।
भरतपुर-सोनहत, प्रत्याशी रेणुका सिंह
मोदी सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री रहीं रेणुका सिंह भी इस बार कड़े मुकाबले में फंस गई हैं। रेणुका सिंह सीट बदलकर भरतपुर-सोनहत से चुनाव लड़ रही हैं, लेकिन जीत-हार के बीच फंस गई हैं। पहली बार के विधायक और तीसरी बार चुनाव लड़ने वाले कांग्रेस प्रत्याशी गुलाब कमरो ने उन्हें कड़ी टक्कर दी है।