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Chhattisgarh: विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरे की हुई शुरुआत, देश-दुनियां से पहुंचते हैं सैलानी

बस्तर: छत्तीसगढ़ में विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा कि शुरूआत हो चुकी है। 75 दिनों तक चलने वाले इस दशहरा में सबसे प्रमुख परम्परा है रथ परिक्रमा। इसके लिए रथ निर्माण की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। इसी रथ में दंतेश्वरी देवी की छत्र को बैठाकर शहर कि परिक्रमा कराई जाती है। देश-विदेश से पहुंचते हैं […]

Edited By : Yashodhan Sharma | Updated: Sep 21, 2022 16:11
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Bastar dussehra

बस्तर: छत्तीसगढ़ में विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा कि शुरूआत हो चुकी है। 75 दिनों तक चलने वाले इस दशहरा में सबसे प्रमुख परम्परा है रथ परिक्रमा। इसके लिए रथ निर्माण की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। इसी रथ में दंतेश्वरी देवी की छत्र को बैठाकर शहर कि परिक्रमा कराई जाती है।

देश-विदेश से पहुंचते हैं सैलानी

लगभग 30 फूट उंचे इस विशालकाय रथ को परिक्रमा कराने के लिए 400 से अधिक आदिवासियों की जरूरत पड़ती है। बस्तर के इस सबसे बड़े त्यौहार को देखने देश-विदेश से अनेक सैलानी बस्तर पंहुचते हैं।

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निर्माण की प्रक्रिया भी होती है विशेष

बस्तर दशहरा पर्व के अध्यक्ष व ग्रामीणों के मौजुदगी मे मंगरमुंही की रसम अदायगी के साथ ही रथ निर्माण कार्य शुरू हो चुका है। इस एतिहासिक पंरपरा में खींचे जाने वाले रथ के निर्माण के प्रक्रिया भी काफी विशेष होती है।

इस रथ निर्माण की पूरी प्रक्रिया स्थानीय गांवों के विशेष वर्गों में बंटी होती हैं। रथ निर्माण में प्रयुक्त सरई की लकडियों को एक विशेष वर्ग के लोगों के द्वारा लाया जाता है और बडेउमर और झाडउमर गांव के ग्रामीण आदिवासियों द्वारा 20 दिनों में इन लकड़ियो से रथ का निर्माण किया जाता है।

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बुधवार को बस्तर दशहरा की चौथी रस्म की अदायगी की गई। इस रस्म को नार फोडनी रस्म कहा जाता है। रथ के एक पहिए को तैयार करने के बाद पहिये के बीचोबीच एक होल किया जाता है और उसकी पूजा अर्चना कर बाकी बचे रथ नमन में लग जाते हैं।

 

HISTORY

Edited By

Yashodhan Sharma

First published on: Sep 21, 2022 04:11 PM

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