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बिहार

खाकी छोड़कर राजनीति में उतरने वाले नुरुल होदा कौन हैं? जॉइन करेंगे मुकेश सहनी की पार्टी

बिहार की राजनीति में पुलिस अधिकारियों की एंट्री कोई नई बात नहीं है, लेकिन सफलता आज भी उनसे कोसों दूर है। डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे और आशीष रंजन जैसे बड़े नाम जब राजनीति में आए तो बड़ी उम्मीदें थीं, लेकिन राजनीति में उन्हें भी असफलता मिली। आईजी शिवदीप लांडे ने भी 'हिंद सेना' नामक एक नई पार्टी बनाई है। इसी बीच एक और अधिकारी का नाम सामने आया है जो खाकी छोड़कर राजनीति की राह पर चल पड़े हैं।

Author Edited By : Satyadev Kumar Updated: Apr 15, 2025 23:51
Md Nurul Hoda
आईजी मो. नुरुल होदा।

अमिताभ ओझा, पटना।

बिहार की राजनीति में खाकी वर्दी का रंग फीका ही रहा है। कई पुलिस अधिकारी राजनीति में किस्मत आजमाने आए, लेकिन सफलता कुछ को ही मिली। अक्सर उन्हें ही सफलता मिलती है जिनके पीछे किसी बड़ी पार्टी का हाथ होता है। अपने दम पर या छोटी पार्टियों के सहारे आने वालों को ज्यादातर हार का सामना करना पड़ा। हाल ही में एक और आईपीएस अधिकारी ने नौकरी छोड़कर राजनीति में उतरने का फैसला किया है। इनका नाम है मोहम्मद नुरुल होदा। आइए जानते हैं कौन हैं नुरुल होदा और क्या है उनका राजनीति में आने का उद्देश्य?

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नुरुल होदा ने अपने उद्देश्यों की बारे में दी जानकारी

मो. नुरुल होदा ने अपने उद्देश्यों को लेकर कहा कि ‘एक गर्वित बिहारी (मुस्लिम) के रूप में मानवता और समानता के विजन को आकार देते हुए मैं बिहार में मुसलमानों के बीच नेतृत्व संकट को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध हूं। राजनीतिक बहिष्कार, आंतरिक विभाजन, सामाजिक-आर्थिक बाधाओं और आधुनिक, एकीकृत आवाजों की अनुपस्थिति से पैदा हुई चुनौती को मैं शिक्षा को बढ़ावा देकर, विभाजनकारी राजनीति को खारिज करके और मूल्यों को मूर्त रूप देने वाले नेताओं की एक पीढ़ी का पोषण करके एक नए युग को प्रज्वलित करूंगा। एक अटूट भावना के साथ मेरा लक्ष्य हमारे समुदाय को एकजुट करना और सभी बिहारियों का उत्थान करना है। एक ऐसा भविष्य बनाना है, जहां समानता का शासन हो, प्रगति हो और हमारी सामूहिक शक्ति एक उज्ज्वल कल की शुरुआत करे।’

कौन हैं नुरुल होदा?

बिहार के सीतामढ़ी जिले के रहनेवाले मो. नुरुल होदा आरपीएफ में आईजी स्तर के अधिकारी थे, अब नौकरी से इस्तीफा देने के बाद वह बुधवार को राजनीति के मैदान में उतरेंगे। मो. नुरुल होदा 1995 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। हाल ही में महानिरीक्षक (रेलवे) के पद से उच्च प्रशासनिक ग्रेड (HAG-LEVEL-15) वेतनमान पर रहते हुए उन्होंने पद से इस्तीफा दिया था। UPSC में सफल होने से पहले उनका अवर सेवा चयन परिषद और 39वीं BPSC में भी हुआ चयन हुआ था, लेकिन उन्होंने जॉइन नहीं किया था।

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कई भाषाओं के जानकार हैं नुरुल होदा

सीतामढ़ी में जन्मे होदा ने प्रारंभिक शिक्षा के बाद बिहार विश्वविद्यालय से रसायन शास्त्र और दिल्ली विश्वविद्यालय से विधि स्नातक (LL.B.) की डिग्री हासिल की। उनका शैक्षणिक जीवन शुरू से ही उत्कृष्टता, अनुशासन और गहन अध्ययन का प्रतीक रहा। एक कुशल प्रशासक होने के साथ-साथ वे बहुभाषाविद् भी हैं। हिंदी और अंग्रेजी भाषा में निपुण होने के अलावा उन्हें उर्दू, फारसी और अरबी का भी गहरा ज्ञान है, जो उनकी संवाद क्षमता और कूटनीतिक दक्षता को असाधारण बनाता है।

आतंकवाद व आंतरिक सुरक्षा पर विशेष प्रशिक्षण लिया

अपनी प्रबंधकीय और रणनीतिक क्षमता को निखारने के लिए उन्होंने इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस (हैदराबाद), IIM इंदौर, NAIR (बड़ौदा), INSEAD (सिंगापुर) और ICLIF (मलेशिया) जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से प्रशासनिक प्रबंधन और नेतृत्व विकास के पाठ्यक्रम पूरे किए। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका के राजनयिक सुरक्षा ब्यूरो (BUREAU OF DIPLOMATIC SECURITY) द्वारा आयोजित आतंकवाद विरोधी सहायता कार्यक्रम और कैलिफोर्निया से आतंकवाद व आंतरिक सुरक्षा पर विशेष प्रशिक्षण प्राप्त किया।

सुरक्षा के लिए प्रभावी रणनीतियां लागू कीं

रेलवे सुरक्षा आयुक्त (धनबाद और आसनसोल) के रूप में अपराध नियंत्रण, नक्सलवाद और संवेदनशील क्षेत्रों में सुरक्षा के लिए प्रभावी रणनीतियां लागू कीं। वरिष्ठ सुरक्षा आयुक्त (दिल्ली मंडल), उप-महानिरीक्षक (रेल अपराध) और महानिरीक्षक (रेलवे) जैसे पदों पर यात्री सुरक्षा और अपराध नियंत्रण में इनोवेशन किए। डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (DFCCIL) में नौ राज्यों में 6000 हेक्टेयर से अधिक भूमि अधिग्रहण, अवैध अतिक्रमण हटाने और विश्व बैंक के मानकों के अनुरूप विस्थापितों के पुनर्वास को सुनिश्चित किया। उनकी दूरदर्शिता और निष्पक्ष निर्णयों ने इस परियोजना को राष्ट्रीय अवसंरचना का मील का पत्थर बनाया।

दो बार विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया गया

उनके असाधारण योगदान के लिए उन्हें दो बार विशिष्ट सेवा पदक और दो बार महानिदेशक चक्र से सम्मानित किया गया। स्वस्थ जीवनशैली के प्रति समर्पित रहते हुए वे प्रतिदिन 10 किमी दौड़ते हैं और मैराथन में उत्साहपूर्वक भाग लेते हैं। वैज्ञानिक दृष्टिकोण और तार्किक सोच के पक्षधर और प्रभावी संवादक हैं। सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत अपने पैतृक स्थान पर 300 बच्चों को मुफ्त आधुनिक शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। उनकी सोच, कार्यशैली और प्रतिबद्धता उन्हें एक दूरदर्शी प्रशासक, अनुशासित अधिकारी और समाज के लिए प्रेरणास्रोत बनाती है।

किस पार्टी का दामन थामेंगे होदा?

फिलहाल चर्चा है की नुरुल होदा बुधवार को मुकेश साहनी की पार्टी वीआईपी का दामन थामेंगे। इसी बीच नुरुल होदा का एक वीडियो संदेश वायरल हो रहा है, जिसमें वक्फ बिल को लेकर उनकी नाराजगी साफ झलकती है।

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Edited By

Satyadev Kumar

First published on: Apr 15, 2025 11:49 PM

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