Tejashwi Yadav on Voter List Review: बिहार में इन दिनों विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर सियासत काफी तेज हो गई है। इस समय बिहार में चुनाव आयोग द्वारा वोटर लिस्ट रिव्यू को लेकर काफी बवाल मचा हुआ है। राज्य की सभी राजनीतिक पार्टियां चुनाव से पहले हो रहे वोटर लिस्ट रिव्यू को लेकर लगातार विरोध कर रही हैं। बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी इस मामले को लेकर राज्य और केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। साथ ही उन्होंने चुनाव आयोग की प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए हैं।
क्यों अमान्य माने जा रहे हैं डॉक्यूमेंट्स?
तेजस्वी यादव ने बिहार के वोटर लिस्ट रिव्यू को लेकर मजबूती से अपना पक्ष रखते हुए कहा कि वोटर लिस्ट की सुनवाई कोर्ट में चल रही है। इसके साथ ही उन्होंने चुनाव आयोग की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि आम जनता के पास जो डॉक्यूमेंट्स उपलब्ध हैं, जिनमें आधार कार्ड, राशन कार्ड और मनरेगा जॉब कार्ड जैसे आईडी प्रूफ शामिल हैं, आखिर उन्हें अब क्यों अमान्य माना जा रहा है?
बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने वोटर लिस्ट रिव्यू को लेकर चुनाव आयोग की प्रक्रिया पर कई सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने चुनाव से सवाल किया कि आखिर अब बिहार के लोगों का आधार, राशन और मनरेगा कार्ड को क्यों नकारा जा रहा है? चलिए जानते हैं कि उन्होंने और आगे क्या कहा… pic.twitter.com/t4oUsOLk9M
— Pooja Mishra (@PoojaMishr73204) July 10, 2025
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आयोग पर पक्षपात करने का आरोप
इस दौरान तेजस्वी यादव ने आयोग से सवाल करते हुए पूछा कि आखिर आयोग इस मामले पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करके स्थिति को स्पष्ट क्यों नहीं कर रहा है। इसके साथ ही तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग पर पक्षपात करने का आरोप भी लगाया है। तेजस्वी ने कहा कि ऐसा लगता है जैसे आयोग भाजपा के इशारों पर काम कर रहा है। उन्होंने साफ कहा कि कोर्ट का जो भी फैसला आएगा, उसे वह मानेंगे, लेकिन चुनाव आयोग को जनता के सवालों का जवाब देना चाहिए।
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इस मामले पर क्या बोला सुप्रीम कोर्ट?
बता दें कि आरजेडी सांसद मनोज झा, एडीआर, और महुआ मोइत्रा समेत 10 लोगों ने वोटर लिस्ट रिव्यू को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने कोर्ट से चुनाव आयोग के आदेश को रद्द करने की मांग की थी। आज सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान में जो दिया गया है, चुनाव आयोग वही कर रहा है। आयोग ऐसा कुछ कर रहा है जो उन्हें नहीं करना चाहिए। इस पर गोपाल शंकरनारायणन ने इसे मनमाना और भेदभावपूर्ण बताया। इस पर कोर्ट ने कहा कि चुनाव से ठीक पहले यह नहीं होना चाहिए था।