Tej Pratap Yadav Mahua seat: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के ऐलान से पहले ही नेताओं के बयान लगातार सियासी सरगर्मी बढ़ा रहे हैं। ताजा मामला बिहार के पूर्व मंत्री और आरजेडी विधायक तेज प्रताप यादव के ऐलान से जुड़ा है। तेज प्रताप यादव ने ऐलान किया है कि वे इस बार महुआ सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि मेरी राजनीतिक पार्टी लॉन्च करने की कोई योजना नहीं है। हमने टीम तेज प्रताप यादव बनाया है यह कोई राजनीतिक पार्टी नहीं बल्कि ओपन प्लेटफॉर्म है, जहां पर हर किसी को जुड़ने का मौका मिलेगा।
उन्होंने आगे कहा कि हमारा दरवाजा सभी के लिए खुला है। बता दें कि तेजप्रताप फिलहाल समस्तीपुर की हसनपुर सीट से विधायक हैं। महुआ सीट से उन्होंने 2015 में पहली बार चुनाव लड़ा था और जीत दर्ज की थी। ऐसे में उन्होंने एक बार फिर अपनी महुआ सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। आइये जानते हैं इस सीट का इतिहास और जातीय समीकरण क्या है?
महुआ सीट का इतिहास
महुआ सीट बिहार के वैशाली जिले में आती है। इस सीट पर आरजेडी को सबसे पहली जीत 2000 में मिली। यहां से दसई चौधरी ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद 2005 में शिवचंद्र राम भी चुनाव जीत गए। हालांकि 2010 के चुनाव में यहां से जेडीयू को पहली बार जीत मिली। जेडीयू के उम्मीदवार रवींद्र रे ने बड़ी जीत दर्ज की। इसके बाद ये सीट एक बार फिर आरजेडी के पास चली गई। 2015 में पहली बार चुनाव लड़ रहे तेज प्रताप यादव ने यहां से जीत दर्ज की और मंत्री बने। हालांकि 2020 में तेज प्रताप यादव पड़ोसी जिले समस्तीपुर की हसनपुर सीट से चुनाव लड़े। वहीं महुआ सीट से आरजेडी के ही मुकेश कुमार रोशन चुनाव जीते।
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मुस्लिम-यादव बहुल सीट
देखा जाए तो यह सीट 2000 के बार से आरजेडी के पास ही रही है। केवल एक चुनाव को छोड़ दिया जाए तो यहां पर आरजेडी ने हर बार जीत दर्ज की है। वैशाली जिले की इस सीट पर आबादी के लिहाज से मुस्लिम और यादव की हिस्सेदारी करीब 35 प्रतिशत है। मुस्लिम यादव और आरजेडी का वोटबैंक माना जाता है। इसके अलावा एससी की आबादी भी करीब 21 प्रतिशत है। उसमें भी पासवान और रविदास समुदाय से जुड़े लोग हैं। ऐसे में इस सीट से लड़कर तेजप्रताप आरजेडी के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी कर सकते हैं। तेजप्रताप के साथ बड़ी संख्या में युवा जुड़ रहे हैं जोकि तेजस्वी और लालू यादव की चिंता बढ़ाने वाले हैं।
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