Bihar election 2025: बिहार की राजनीति में इन दिनों सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। इसका खुलास विधायक दल की बैठक में हुआ। सोमवार को पटना में एनडीए विधायक दल की बैठक हुई। इस दौरान उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा और ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी के बीच खुलकर बहस हुई। दोनों में एक विधायक को लेकर बहस शुरू हुई जो नल-जल और ग्लोबल टेंडर तक जा पहुंची। इस बहस ने सत्ताधानी एनडीए गठबंधन में उठापठक की स्थिति को बाहर ला दिया। यह बहस ऐसे समय में हुई जब बिहार में विधानसभा चुनाव होने में कुछ ही महीने शेष हैं।
डिप्टी सीएम और मंत्री में हुई बहस
दोनों में विवाद की शुरुआत ग्रामीण कार्य विभाग के एक कार्यक्रम से हुई, जिसमें स्थानीय विधायक को आमंत्रित नहीं किया गया था। इस बात से नाराज उप मुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने बैठक के दौरान ही अशोक चौधरी से इस पर खुलकर आपत्ति जताई। उन्होंने सवाल उठाया कि जब क्षेत्रीय विकास कार्यक्रमों में विधायकों की अनदेखी होगी, तो जनता के बीच उनकी जवाबदेही कैसे तय होगी?
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ग्लोबल टेंडर और नल-जल पर दोनों भिड़े
विधायक दल की बैठक में ग्रामीण कार्य विभाग की योजनाओं में ग्लोबल टेंडर की प्रक्रिया को लेकर भी विधायकों ने नाराजगी जताई। भाजपा विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू समेत कई अन्य विधायकों ने तर्क दिया कि ग्लोबल टेंडर से स्थानीय ठेकेदारों और जनप्रतिनिधियों की भूमिका कमजोर हो रही है। इसका सीधा असर उनकी राजनीतिक स्थिति पर पड़ सकता है और विधानसभा चुनाव 2025 में इसका खामियाजा उठाना पड़ सकता है। इसके अलावा नल-जल योजना में भ्रष्टाचार के आरोप भी बैठक में जोरशोर से उठे। विधायकों ने आरोप लगाया कि पूरे राज्य में योजना के क्रियान्वयन में भारी गड़बड़ी है। ठेकों में धांधली से जनता में आक्रोश है, और यह गुस्सा चुनाव में भारी नुकसान का कारण बन सकता है।
प्रहलाद यादव को लेकर भी सवाल
बैठक में डिप्टी सीएम विजय सिन्हा ने प्रहलाद यादव का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने याद दिलाया कि प्रहलाद यादव ने सरकार बनाने में एनडीए को समर्थन दिया था, और इस बात की जानकारी एनडीए के शीर्ष नेतृत्व को पहले से थी। उन्होंने सवाल किया कि अगर किसी को यादव से आपत्ति थी, तो वह उस समय सामने क्यों नहीं आई? अब टिकट न दिए जाने की बात कहकर संदेश गलत जा रहा है।
मौन रहे नीतीश कुमार और सम्राट चौधरी
बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पूरी बहस के दौरान चुपचाप बैठे रहे। अंत में अपने भाषण में उन्होंने केवल इतना कहा कि विधायक जनता को 2005 से पहले के बिहार की हालत याद दिलाएं। लेकिन विधायकों की नाराजगी और उठाए गए सवालों पर उन्होंने कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं दी। वहीं डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी भी पूरे विवाद पर खामोश दिखे।
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