IRCTC Hotel Corruption: राउज एवेन्यू कोर्ट ने मंगलवार को पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव और उनकी पत्नी राबड़ी देवी की IRCTC होटल भ्रष्टाचार मामले में दैनिक सुनवाई के खिलाफ याचिका खारिज कर दी. अदालत ने कहा कि उनकी याचिका सुनवाई योग्य, व्यावहारिक या न्यायोचित नहीं है. विशेष सीबीआई अदालत उनके और अन्य आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने के बाद अभियोजन पक्ष के साक्ष्य दर्ज कर रही है. विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि मामले को तारीखों के बीच एक सप्ताह के अंतराल के बाद ही सूचीबद्ध करने की उनकी प्रार्थना सुनवाई योग्य, व्यावहारिक या न्यायोचित नहीं है और दर्ज कारणों से इसे अस्वीकार किया जाता है.
दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश का भी हवाला दिया
ऐसे मामलों को सप्ताह में केवल एक बार सूचीबद्ध करने की सीमा तय करने के बजाय, उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया कि सूचीबद्धता कम से कम सप्ताह में एक बार हो. इसके अलावा, गवाहों की जांच, जिरह पूरी होने तक मामले को दिन-प्रतिदिन सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया. वरिष्ठ अधिवक्ता डीपी सिंह ने इस आवेदन का विरोध किया. उन्होंने दलील दी कि किसी भी सत्र न्यायालय के लिए दिन-प्रतिदिन सुनवाई अनिवार्य है और सांसदों, विधायकों से संबंधित मामलों की सुनवाई के लिए नामित न्यायालय होने के नाते, इस न्यायालय को स्वप्रेरणा से न्यायालय में दिए गए निर्देशों के साथ-साथ एक अन्य मामले में सर्वोच्च न्यायालय के 9 नवंबर 2023 के आदेश के अनुसार कार्यवाही में तेजी लानी चाहिए.
अभियोजन पक्ष के गवाहों से जिरह के लिए पहले ही दे दिया पर्याप्त समय
आरोपियों के वकील ने कहा कि 18000 दस्तावेज हैं और आरोप-पत्र पर लगभग 250 पृष्ठों का आदेश है. इनका अध्ययन करने के लिए समय चाहिए. यह मामला लालू प्रसाद यादव के रेल मंत्री रहते हुए रांची और पुरी स्थित दो आईआरसीटीसी होटलों के टेंडर में कथित भ्रष्टाचार से संबंधित है. 13 अक्टूबर को आरोप तय करते समय, राउज एवेन्यू कोर्ट ने अभियोजन पक्ष के साक्ष्य दर्ज करने के लिए मामले को दिन-प्रतिदिन की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया था. अदालत ने इस मामले में लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव और अन्य के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र और अन्य अपराधों से संबंधित धाराओं में आरोप तय किए थे. अदालत ने 27 अक्टूबर के आदेश में कहा कि ‘आरोप तय करने और साक्ष्य प्रस्तुत करने के बीच कम समय को देखते हुए, संबंधित वकीलों को अभियोजन पक्ष के गवाहों से जिरह की तैयारी के लिए पर्याप्त समय की आवश्यकता होगी.
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क्या है पूरा मामला?
यह मामला 2004-2009 के दौरान लालू प्रसाद यादव के कार्यकाल के दौरान आईआरसीटीसी होटल टेंडरों के रखरखाव कार्य के आवंटन में भ्रष्टाचार के आरोपों से संबंधित है. आरोप है कि आईआरसीटीसी के दो होटलों, बीएनआर रांची और बीएनआर पुरी के रखरखाव का ठेका विजय और विनय कोचर की निजी कंपनी सुजाता होटल को दिया गया था. सीबीआई ने आरोप लगाया था कि इस सौदे के बदले में लालू प्रसाद यादव को किसी बेनामी कंपनी के जरिए तीन एकड़ बेशकीमती जमीन मिली थी. 7 जुलाई, 2017 को सीबीआई ने लालू के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की. एजेंसी ने पटना, नई दिल्ली, रांची और गुड़गांव में लालू और उनके परिवार के सदस्यों से जुड़े 12 ठिकानों पर छापेमारी भी की. अप्रैल 2018 में एक आरोप पत्र दायर किया गया था.
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