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Nitish Kumar 74th Birthday: लालू के चाणक्य कहे जाने वाले नीतीश क्यों बने उनके धुर विरोधी? बिहार की सियासत से साफ कर दिया पत्ता

Nitish Kumar 74th Birthday Special Story Lalu Yadav: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का आज 74वां जन्मदिन है। इस खास मौके पर हम आपको नीतीश और लालू यादव का दिलचस्प किस्सा बताने जा रहे हैं। तो आइए जानते हैं कि बिहार के जय और वीरू कहे जाने वाले नीतीश और लालू आखिर एक-दूसरे के कट्टर विरोधी क्यों बन गए?

Author Edited By : Sakshi Pandey Updated: Mar 1, 2025 09:48
Nitish Kumar and Lalu Yadav

Nitish Kumar 74th Birthday Special Story Lalu Yadav: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज अपना 74वां जन्मदिन मना रहे हैं। JDU की बागडोर संभालने वाले नीतीश बेहद कम समय में बिहार की राजनीति का जाना-माना चेहरा बन गए। नीतीश के बारे में एक कहावत काफी मशहूर है कि सरकार किसी की भी हो पर राजगद्दी नीतीश को ही मिलती है। नीतीश पिछले 10 साल से बिहार के मुख्यमंत्री हैं। तो आइए जानते हैं नीतीश के जन्मदिन पर उनसे जुड़े कुछ दिलचस्प किस्सों के बारे में…

नीतीश और लालू की कहानी

बिहार में JDU और RJD की टक्कर किसी से छिपी नहीं हैं। नीतीश की पार्टी JDU और लालू यादव की पार्टी RJD अलग-अलग गठबंधन का हिस्सा हैं। वहीं लालू और नीतीश को भी एक-दूसरे का धुर विरोधी कहा जाता है। मगर क्या आप जानते हैं कि कभी नीतीश और लालू पक्के दोस्त हुआ करते थे। इस दोस्ती की मिसाल पूरे बिहार में दी जाती थी। नीतीश साए की तरह लालू के साथ रहते थे। तो आखिर ऐसा क्या हुआ कि नीतीश और लालू के रास्ते अलग हो गए? नीतीश ने लालू को सत्ता से हटाने की कसम खा ली और बिहार की सियासत का सबसे लोकप्रिय चेहरा रहे लालू का पत्ता हमेशा के लिए साफ हो गया?

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Lalu yadav nitish kumar

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लालू की जीत के पीछे नीतीश का हाथ

बात 1973 की है। लालू यादव पटना लॉ कॉलेज में पढ़ाई कर रहे थे और नीतीश बिहार कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के छात्र थे। सियासत में दिलचस्पी ने दोनों को एक कर दिया। छात्र संघर्ष समिति के चुनाव में लालू यादव ने हिस्सा लिया। नीतीश ने लालू को जीताने की रणनीती बनाई और जीत लालू के नाम हो गई। छात्र संघर्ष समिति का अध्यक्ष बनने के बाद लालू बिहार की राजनीति का जाना-माना चेहरा बन गए।

संपूर्ण क्रांति की रखी नींव

1974 में लालू यादव और नीतीश कुमार ने छात्र संघर्ष समिति के साथ मिलकर सरकार का विरोध किया। यह इमरजेंसी का दौर था। बड़ी संख्या में छात्रों ने विधानसभा को घेर लिया था। इसी आंदोलन की कमान बाद में जय प्रकाश नारायण को सौंपी गई, जिसने इंदिरा सरकार को हिलाकर रख दिया था।

nitish kumar lalu yadav rabri devi

नीतीश ने किया केंद्र का रुख

1977 में पहली बार लालू यादव और नीतीश कुमार ने विधानसभा चुनाव लड़ा। लालू चुनाव जीतने में सफल रहे मगर नीतीश को हार का सामना करना पड़ा। 1980 के चुनाव में एक बार फिर लालू जीते और नीतीश हार गए। लगातार 2 बार हारने के बावजूद नीतीश ने लालू का साथ नहीं छोड़ा। 1985 के विधानसभा चुनाव में आखिर नीतीश ने जीत हासिल कर ली। मगर 4 साल बाद ही देश में लोकसभा चुनाव हुए, जिसमें नीतीश ने अपनी किस्मत आजमाई और चुनाव जीतकर वो सांसद बन गए। इसी के साथ लालू यादव ने बिहार संभाला और नीतीश केंद्र के हो गए।

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नीतीश ने लालू को बनाया बिहार का CM

1990 में बिहार में जनता दल की सरकार बनी। मुख्यमंत्री पद के लिए लालू यादव का नाम सामने आया। मगर वीपी सिंह, लालू को सीएम बनाने के पक्ष में नहीं थे। ऐसे में नीतीश ने फिर अपनी चाणक्य नीति का इस्तेमाल किया और चंद्रशेखर को इस बात के लिए राजी कर लिया। बस फिर क्या था लालू के सिर पर CM का ताज सजा और नीतीश ने केंद्र पर फोकस करना शुरू कर दिया।

nitish kumar lalu yadav

क्यों टूटी नीतीश-लालू की दोस्ती?

नीतीश कुमार और लालू यादव की दोस्ती में खटास तब आई, जब 1994 में वीपी सिंह की सरकार गिर गई। एक तरफ लालू बिहार के सीएम थे, तो दूसरी तरफ नीतीश की कुर्सी खतरे में थी। इसी बीच नीतीश बिहार के कुछ किसानों का मुद्दा लेकर लालू के पास पहुंचे। लालू को डर था कि केंद्र की सत्ता जाने के बाद नीतीश उनकी पार्टी हड़पने की कोशिश न करने लगे। इसी बात से परेशान लालू, नीतीश पर भड़क गए और सरेआम उन्हें बेइज्जत करके बाहर निकाल दिया।

नीतीश ने छीनी लालू की कुर्सी

राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो इस अपमान के बाद नीतीश ने लालू को सत्ता से हटाने की कसम खा ली थी। नीतीश ने समता पार्टी के नाम से अपनी एक नई पार्टी बनाई और बिहार की सियासत में पैर जमाने शुरू कर दिए। नीतीश के दोस्त रहे अरुण कुमार सिन्हा ने अपनी किताब में लिखा है कि नीतीश से लालू का रिश्ता कभी इतना पक्का नहीं था, जितना दिखाया गया। नीतीश को अपना छोटा भाई कहना भी लालू ने ही शुरू किया था। नीतीश ने कभी लालू को अपना बड़ा भाई नहीं कहा। 2005 में नीतीश बिहार के मुख्यमंत्री बने। 2014 में 1 साल के लिए सत्ता खोने के बाद नीतीश दोबारा सीएम के पद पर विराजमान हुए और अभी भी बिहार की सत्ता की चाबी नीतीश के हाथ में है।

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Edited By

Sakshi Pandey

First published on: Mar 01, 2025 09:48 AM

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