Bihar Mukesh Sahani News: बिहार में इंडिया गठबंधन टूटने वाला है? दरअसल मुकेश साहनी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर अपनी प्रोफाइल पिक्चर बदल कर माहौल गरमा दिया है। यहां तक तो ठीक था, लेकिन जैसे ही नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड ने मुकेश सहनी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सबका स्वागत है। बिहार की राजनीति में गर्मी आ गई। इस बीच मुकेश सहनी ने ऐलान किया है कि बिहार विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी अति पिछड़ों को 33 प्रतिशत टिकट देगी।
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प्रोफाइल पिक्चर बदलने से बदला माहौल
केंद्र की सत्ता में बैठी नीतीश-नायडू पर निर्भर मोदी 3.0 सरकार पूरे देश में हर घर तिरंगा अभियान चला रही है। इस बीच मुकेश सहनी ने सोशल मीडिया पर अपनी डीपी बदली है। मुकेश सहनी ने प्रोफाइल फोटो की जगह अपनी डीपी में तिरंगा लगाया है। इसके बाद से ही यह अटकलें लगाई जानें लगी कि मुकेश सहनी एनडीए में लौटने की तैयारी कर रहे हैं। मुकेश सहनी को लेकर चर्चाओं को बाजार गर्म हुआ तो बिहार सरकार में जदयू कोटे से मंत्री जमा खान ने कहा कि आएंगे तो उनका स्वागत है। डीपी बदलने से माना जा रहा है कि मुकेश सहनी ने बीजेपी के अभियान को अपना समर्थन दिया है।
कहां से कयासों को मिली हवा
जुलाई महीने की 16 तारीख को मुकेश सहनी के पिता की हत्या हो गई। उसके बाद कई नेता मुकेश सहनी के घर पहुंचे। आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद श्राद्ध कर्म में शामिल हुए। तेजस्वी यादव मुकेश सहनी से मिलने उनके पटना स्थित आवास पहुंचे, लेकिन पैतृक आवास नहीं गए। उधर बीजेपी अध्यक्ष दिलीप जायसवाल, डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और डिप्टी सीएम विजय सिन्हा समेत प्रदेश भर के बीजेपी नेता मुकेश सहनी के घर पहुंचे। पीएम मोदी और जेपी नड्डा ने मुकेश सहनी को पत्र लिखकर सांत्वना दिया।
विधानसभा चुनावों पर मुकेश सहनी की नजर
बिहार विधानसभा चुनाव में अभी वक्त है, लेकिन मुकेश सहनी ने अपनी तैयारी तेज कर दी है। मुकेश सहनी ने ऐलान किया है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में वीआईपी 33 प्रतिशत टिकट अति पिछड़े समुदाय को देगी। मुकेश सहनी ने यह ऐलान दांगी समुदाय के साथ मिलन समारोह में किया। इस दौरान दांगी समुदाय के बड़े नेताओं उमेश दांगी, सुनील दांगी, कविंद्र दांगी, सोनू दिनकर, मनोज, निरंजन, राधेश्याम ने वीआईपी की सदस्यता ली। मुकेश सहनी ने कहा कि इन नेताओं के पार्टी ज्वॉइन करने से वीआईपी और मजबूत होगी।
मुकेश सहनी पर क्यों है बीजेपी की नजर
लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने नीतीश, जीतनराम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा और चिराग पासवान के साथ अति पिछड़ी और दलित जातियों का एक मजबूत समीकरण बनाया और यूपी के मुकाबले बिहार में बेहतर प्रदर्शन किया। इसका फायदा बीजेपी को नतीजों में मिला। बिहार में मुकेश सहनी की वीआईपी ही एक मात्र ऐसी पार्टी हैं, जिनके पास वोटबैंक तो है, लेकिन उनके पास न तो विधायक हैं और न ही सांसद। लेकिन विधानसभा चुनावों से पहले बीजेपी का मुकेश सहनी के साथ गठबंधन हो जाता है तो बिहार में एनडीए और मजबूत होगा। बिहार में मुकेश सहनी की जाति का वोट 5 प्रतिशत के करीब है और वह 40 से 50 सीटों पर प्रभावी है। यही कारण है कि हर कोई मुकेश सहनी को अपने साथ रखना चाहता है।
मुकेश सहनी के लिए बीजेपी फायदेमंद क्यों?
मुकेश सहनी 2014 से बीजेपी का साथ दे रहे थे। 2015 के विधानसभा चुनाव में वीआईपी बीजेपी के साथ थी, लेकिन 2019 के चुनाव में सहनी आरजेडी के साथ आ गए। लेकिन किसी भी सीट पर जीत नहीं मिली। फिर विधानसभा चुनाव आए तो मुकेश सहनी एनडीए में लौट आए। 11 सीटों पर चुनाव लड़े और 4 विधायक चुनाव जीते। लेकिन दो साल बाद बीजेपी ने मुकेश सहनी के विधायकों को तोड़ लिया। इससे मुकेश सहनी नाराज हो गए और फिर आरजेडी के साथ चले गए। 2024 के लोकसभा चुनावों में तेजस्वी और मुकेश सहनी ने धुआंधार प्रचार किया, लेकिन तेजस्वी के तो चार सांसद चुनाव जीते भी, लेकिन मुकेश सहनी का खाता नहीं खुला। अब फिर विधानसभा चुनावों से पहले मुकेश सहनी के एनडीए में लौटने के कयास लगने लगे हैं।