Lok Sabha Election 2024 : देश में लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सियासी बिछात बिछ गई है। राजनीतिक दलों के दिग्गज नेता भी चुनावी मैदान में कूद पड़े हैं। आज बिहार की गया लोकसभा सीट की बात करेंगे, जहां से सड़क पर पत्थर तोड़ने वाली एक महिला संसद पहुंची थीं। आइए जानते हैं कि कौन थीं भगवती देवी?
कौन थीं भगवती देवी?
भगवती देवी गया जिले में सड़क पर पत्थर तोड़ने का काम करती थीं। वह पत्थर तोड़कर अपने परिवार का पालन पोषण करती थीं। मजदूरी के साथ-साथ वे महिलाओं के अधिकारों की बात भी करती थीं। वे भले ही सांसद या विधायक रहीं, लेकिन उनकी रहन सहन में कोई बनावटी पन नहीं था। वह सादगी भरा जीवन जीती थीं। भगवती देवी के बेटा-बेटी आज राजनीति में हैं। बेटा विजय कुमार मांझी गया से जेडीयू सांसद और बेटी समता देवी बाराचट्टी से आरजेडी विधायक हैं। इस बार एनडीए गठबंधन के तहत गया सीट हम पार्टी के पास चली है। जीतनराम मांझी इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में पत्थर तोड़ने वाली महिला भगवती देवी के बेटे विजय कुमार मांझी का टिकट कट गया।
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लालू यादव ने पत्थर तोड़ने वाली महिला को पहुंचाया संसद
राष्ट्रीय जनता दल के मुखिया लालू यादव ने फिर से राजनीति में भगवती देवी की वापसी कराई थी। उन्होंने साल 1995 में उन्हें गया लोकसभा सीट से चुनाव लड़ाया था। भगवती देवी गया से चुनाव जीतकर संसद पहुंची थीं। संसद में महिलाओं के अधिकारों की आवाज को बुलंद करने वाली भगवती देवी साल 2000 में फिर विधायक बनी थीं।
सोश्लिस्ट पार्टी ने सड़कों से उठाकर बनाया विधायक
साल 1960 का समय था, उस वक्त सोश्लिस्ट पार्टी के दिग्गज नेता उपेंद्रनाथ वर्मा गया के दौरे पर थे। इस दौरान उनकी नजरें मुसहर समाज की एक महिला भगवती देवी पर पड़ीं, जो मजदूरों को भाषण दे रही थीं। भगवती देवी के भाषण से उपेंद्रनाथ काफी प्रभावित हुए और उन्होंने डॉ. राम मनोहर लोहिया से मजदूर महिला की मुलाकात कराई। वहीं से भगवती देवी की किस्मत चमक गई और राजनीति में आ गईं।
जब भगवती देवी का गाना सुनकर तालियों की आवाज से गूंज उठा था स्टेडियम
उस दौरान दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में समाजवादियों की एक बैठक हुई थी, जिसमें भगवती देवी भी शामिल हुई थीं। इस दौरान भगवती देवी ने एक गाया सुनाया, जिससे पूरा स्टेडियम तालियों की आवाज से गूंज उठा। भगवती देवी ने ‘हम न सहबो हो गाली भैया-हम न सहबो गाया’ गाना सुनाया था।
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जानें कब-कब बनी थीं विधायक
साल 1969 में बिहार में मध्यावधि चुनाव हुआ, जिसमें सोश्लिस्ट पार्टी ने गया जिले की बाराचट्टी सीट से भगवती देवी को चुनावी मैदान में उतारा, जहां से उन्होंने जीत दर्ज की। इसके बाद 1972 में वे चुनाव हार हो गई थीं और फिर 1977 में भगवती देवी विधानसभा सदस्य चुनी गई थीं। 1980 में चुनाव हारने के बाद वे राजनीति से दूर चली गई थीं और फिर मजदूरी करने लगी थीं।