बिहार में इन दिनों विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियों की तरफ खास तैयारियां की जा रही हैं। वहीं, इस बीच जातीय जनगणना को लेकर भी बिहार में काफी सियासी बवाल हुआ। इसके अलावा पार्टियों के नेताओं द्वारा एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला भी जारी है। हाल ही में जदयू महासचिव मनीष कुमार वर्मा ने विपक्ष पर हमला बोलते हुए तेजस्वी यादव, प्रशांत किशोर और आरसीपी सिंह को शराबबंदी और जातीय जनगणना पर आड़े हाथ लिया।
रोज-रोज डोमिसाइल नीति /Domicile Policy की मांग करने वालों को नीतीश कुमार के करीबी और जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव पूर्व आईएएस मनीष वर्मा ने साफ-साफ कह दिया है…#Domicile #BiharDomicile pic.twitter.com/FIRl4DihbY
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तेजस्वी पर जदयू के महासचिव का हमला
भागलपुर के अतिथि गृह सभागार में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मनीष कुमार वर्मा ने सबसे पहले जातीय जनगणना को लेकर अपनी बात रखी और कहा कि जातीय जनगणना सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति के आधार पर ही कराई जाएगी। यह कदम समाज के पिछड़े वर्गों को सशक्त बनाने की दिशा में बेहद जरूरी है।
इस दौरान मनीष कुमार वर्मा ने नीतीश कुमार के स्वास्थ्य को लेकर उठाए जा रहे सवालों पर कहा कि तेजस्वी पहले अपने पिता लालू प्रसाद यादव के स्वास्थ्य को देखें, फिर किसी और नेता के स्वास्थ्य पर टिप्पणी करें।
प्रशांत किशोर पर साधा निशाना
वहीं, प्रेस कॉन्फ्रेंस में जदयू नेता मुकेश कुमार ने जन स्वराज पार्टी के नेता प्रशांत किशोर पर भी जमकर निशाना साधा। उन्होंने प्रशांत किशोर की रैलियों को कुर्सियों की रैली बताया। उन्होंने कहा कि उनकी भीड़ भाड़े के लोगों से होती है, जिनका पार्टी या उसकी विचारधारा से कोई लेना-देना नहीं है। इस दौरान उन्होंने आरसीपी सिंह पर वार करते हुए कहा कि 16 साल तक वह हमारे साथ रहे। तब उन्हें कोई भ्रष्टाचार नहीं दिखा, अब जब अलग हो गए हैं तो उन्हें भ्रष्टाचार नजर आ रहा है। यह केवल धोखे की राजनीति है।
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शराबबंदी पर क्या बोले जदयू नेता
इस दौरान शराबबंदी को लेकर मनीष वर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जब शराबबंदी लागू की थी, तब बिहार की हर गली में शराब खुलेआम बिकती थी। अब इस निर्णय से महिलाओं को सीधा लाभ मिला है और वे पहले से कहीं ज़्यादा सुरक्षित महसूस कर रही हैं। हालांकि उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि अब राज्य में ड्रग्स का चलन बढ़ रहा है, जो नई चुनौती बनकर सामने आ रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार को नशे से मुक्त करने की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाया है, लेकिन अब ड्रग्स की लत चिंता का विषय बन रही है। हमें इससे भी सख्ती से निपटना होगा।