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IPS Vikas Vaibhav Controversy: नीतीश के नौकर शाह इतने बेलगाम क्यों ?

अमिताभ कुमार ओझा, पटना: बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर अक्सर विपक्ष आरोप लगते रहा है कि वो नौकरशाही को बढ़ावा देते रहे हैं। अपने चंद नौकरशाहों की सलाह पर ही राजकाज चलाते हैं। कई बार तो मंत्रिमंडल में शामिल सहयोगियों ने भी यही आरोप लगाया है लेकिन अब नौकरशाहों के खिलाफ नौकरशाह ही खड़े […]

Edited By : Pankaj Mishra | Updated: Apr 23, 2024 18:28
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IPS Vikas Vaibhav Controversy

अमिताभ कुमार ओझा, पटना: बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर अक्सर विपक्ष आरोप लगते रहा है कि वो नौकरशाही को बढ़ावा देते रहे हैं। अपने चंद नौकरशाहों की सलाह पर ही राजकाज चलाते हैं। कई बार तो मंत्रिमंडल में शामिल सहयोगियों ने भी यही आरोप लगाया है लेकिन अब नौकरशाहों के खिलाफ नौकरशाह ही खड़े हो गए हैं। अभी बिहार के सीनियर आईएएस अधिकारी केके पाठक द्वारा बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के खिलाफ किये गए गाली गलौज का मामला अभी ख़त्म भी नहीं हुआ था कि आईजी स्तर के आईपीएस अधिकारी विकास वैभव का मामला सामने आ गया है।

इस मामले में विकास वैभव ने जो आरोप अपने डीजी मैडम पर लगाये है उसने कई सवालों को जन्म दे दिया है। केके पाठक वाले मामले की तरह मुख्यमंत्री ने इस मामले में भी कह दिया कि दिखवा रहे हैं, जांच करवा रहे हैं। हालांकि उनकी नाराजगी इस बात को लेकर रही की सोशल मीडिया पर विभाग की बातें नहीं लिखनी चाहिए, लेकिन इस मामले ने तूल पकड़ लिया है।

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बिहार के आईजी होमगार्ड और फायर सर्विस विकास वैभव के एक ट्विट ने बिहार की ब्यूरोक्रेसी ही नहीं बल्कि बिहार की सियासत में भी हंगामा मचा दिया है। बुधवार की रात विकास वैभव ने अपने ट्विटर पर लिखा था, डीजी मैडम से रोज गालिया सुन रहा हूं, यात्री मन व्यथित है। हालांकि बाद में उन्होंने अपने उस ट्विट को डिलीट कर दिया लेकिन तब-तब इसका स्क्रीन शॉर्ट वायरल हो गया। विकास वैभव ने दो महीने के अवकाश की अर्जी दी थी लेकिन डीजी मैडम यानि शोभा अहोतकर ने उन्हें 24 घंटे के अन्दर जवाब देने के लिए शो काउज थमा दिया।

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इस शो कॉज में लिखा गया है की “आपने सोशल मीडिया पर अपने वरीय अधिकारियों पर बेबुनियाद आरोप लगाकर उनकी छवि धूमिल करने का प्रयास किया है। आपका यह काम अखिल भारतीय सेवा संघ के आचार नियमावली के खिलाफ है, लेटर में लिखा गया है कि वायरल मैसेज में आपके द्वारा रिकार्डिंग किये जाने की बात पब्लिक डोमेन में लाया गया है।

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इससे स्पष्ट है कि आप द्वारा कार्यालय की बैठकों में होने वाली चर्चाओं की रिकॉडिंग की जाती है ये आपकी गलत मंशा को दर्शाता है। यह ऑफिसियल सीक्रेट एक्ट के सुसंग प्रावधानों का भी उल्लंघन है। आपका आचरण एक वरीय पुलिस अधिकारी के आचरण के लिए सही नहीं है। यही नहीं विकास वैभव द्वारा दिए गए दो महीने के अवकाश के आवेदन की अनुसंशा में डीजी मैडम ने अपर मुख्य सचिव को लिखा है कि विकास वैभव को अवकाश नहीं देने की अनुसंशा की जाती है।

इस पत्र में डीजी मैडम ने लिखा है कि विकास वैभव (महानिरीक्षक सह अपर महासमादेष्टा गृह रक्षा वाहिनी एवं अग्निशमन) द्वारा मांगे गए 60 दिनों के उपार्जित अवकाश की स्वीकृति नहीं दी जा सकती है। हालांकि इस मुद्दे पर जब पुलिस मुख्यालय में एडीजी मुख्यालय से सवाल किया गया था उन्होंने मीडिया के सामने हाथ जोड़ लिए।

इस बीच विकास वैभव के मामले में अब सियासत भी तेज हो गई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से जब इस मुद्दे पर सवाल किया गया तो उनकी नाराजगी चेहरे पर साफ़ दिखी। उन्होंने कहा की जांच करवा रहे हैं कि क्या मामला है। लेकिन जो कोई भी नौकरी कर रहा है और उसे कोई शिकायत है तो वो अपने वरीय अधिकारिओं से शिकायत करें। सक्षम अधिकारी को बताए लेकिन इस तरह से ट्विट नहीं करना चाहिए। पब्लिक डोमेन में बातें नहीं आनी चाहिए। हालांकि इससे अलग जेडीयू के ही एक विधायक डॉ संजीव कुमार ने ट्विट कर विकास विभव का समर्थन किया है।

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दूसरी तरफ आरजेडी का भी कहना है की विकास वैभव के साथ जो हुआ है वो बिलकुल गलत है। लेकिन विकास वैभव को पब्लिक प्लेटफॉर्म की बजाए प्रशसनिक प्लेटफोर्म पर रखनी चाहिए। हालांकि बीजेपी विकास वैभव के समर्थन में खुल कर सामने आ गई है। बीजेपी डीजी मैडम पर कारवाई की मांग कर रही है। इस बीच बिहार के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी की तरफ से एक पत्र सभी विभागों को जारी किया गया है जिसमें उच्च पदस्थ पदाधिकारियों द्वारा अपने अधीनस्थ पदाधिकारियों और कर्मचारियों के साथ सभ्य आचरण एवं मर्यादित व्यवहार करने को कहा गया है।

नीतीश कुमार के मुख्य मंत्रित्वकाल में नौकरशाही को लेकर सवाल उठाते रहे हैं। कहा जाता है की नीतीश कुमार को सिर्फ अपने चंद अधिकारियों पर ही सबसे ज्यादा भरोसा होता है।

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  • इन अधिकारियो में पहला नाम है आमिर सुबहानी का है। आमिर सुबहानी लम्बे समय तक गृह सचिव और फिर मुख्य सचिव के पद पर हैं।
  • दूसरा नाम है दीपक कुमार का। इन्हें मुख्यमंत्री का बेहद ख़ास माना जाता है। मुख्य सचिव के पद पर रहते हुए उन्हें दो बार सेवा विस्तार दिया गया और फिर अवकाश के बाद इन्हें मुख्य मंत्री का प्रधान सचिव बनाया गया है।
  • डॉ एस सिद्धार्थ ये बेहद खास और भरोसेमंद अधिकारी माने जाते है ये मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव होने के साथ ही कैबिनेट सेक्रेटरी और अपर मुख्य सचिव वित विभाग के पद पर हैं।
  • मनीष वर्मा ये भी काफी अहम भूमिका में रहे हैं। आरसीपी सिंह के बगावत के बाद मनीष वर्मा में ने अचानक नौकरी से वीआरएस ले लिया और फिलहाल मुख्य मंत्री की अतिरिक्त परामर्शी के पद पर हैं।
  • प्रत्यय अमृत, इन्हें भी मुख्यमंत्री का विश्वासपात्र माना जाता है। इनके जिम्मे दो महतवपूर्ण विभाग है। अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य विभाग और अपर मुख्य सचिव पथ निर्माण विभाग।

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वरिष्ट पत्रकार डॉ संजय कुमार बताते है कि नीतीश कुमार को शुरू से ही नौकर शाही पर भरोसा रहा है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि ब्यूरोक्रेट्स को जब खुली छुट मिलती है तो वे निरंकुश हो जाते है और जह उनके ऊपर करवाई नहीं होती तो उनका मन और भी बढ़ जाता है। बात चाहे केके पाठक का मामला हो या विकास वैभव का हो। नीतीश कुमार ने खुद अधिकारियों को निरंकुश बना दिया है। जिसका अब खामियाजा विभाग के लोगों को भुगतना पड़ रहा है।

बहरहाल एक तरफ जहा विकास वैभव के मामले में सरकार जांच की बात कह रही है वहीं दूसरी तरफ विकास वैभव के समर्थन में सोशल मीडिया में अभियान चल रहा है। ट्विटर पर गुरुवार से ही ट्रेंड कर रहा है। आपको बता दें की लेट्स इंस्पायर बिहार के नाम से विकास वैभव एक मुहीम चलाते हैं। उनके इस मुहीम से हजारों युवा जुड़े हुए हैं। इसके अलावा समाज के विभिन्न क्षेत्र के लोग शामिल हैं। बिहार में इस मुहीम से सिर्फ वाट्सएप ग्रुप में 85 हजार लोग जुड़े हैं। इसमें अलग-अलग चैप्टर है। इस मुहीम के तहत गरीब बच्चों की मुफ्त पढाई लिखाई और कोचिंग की व्यवस्था भी की जाती है। देश के अलग-अलग शहरों में रहने वाले बिहारियों ने इसकी शाखा तैयार की है। सोशल मीडिया पर बात करे तो उनके लाखों फोलोवार्स है।

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rahul solanki

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Manish Shukla

First published on: Feb 12, 2023 08:04 AM

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