Lalu Yadav Bihar politics: बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव प्रस्तावित है। इस बीच बजट सत्र में तेजस्वी यादव और सीएम नीतीश कुमार ने एक-दूसरे पर जमकर निशाना साधा। वहीं सम्राट चौधरी और तेजस्वी भी एक-दूसरे पर बयान देते नजर आए। ऐसे में बिहार में चुनाव से पहले बीजेपी और आरजेडी में जमकर तकरार देखने को मिल सकती है।
एनडीए का फोकस लालू पर क्यों?
चुनाव से पहले बीजेपी नई-नई रणनीति बनाने में माहिर मानी जाती है। इस बार उनकी ये रणनीति कैमरे में कैद हो गई। भागलपुर में पीएम मोदी की रैली के बाद बीजेपी के नेता सर्किट हाउस के एक कमरे में आगामी चुनाव को लेकर रणनीति बनाते नजर आए। इस दौरान डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी कह रहे थे कि बिहार की सरकार पर मत बोलिए, लालू पर बोलने से ही फायदा होगा। जब यह वीडियो आया तो लोगों ने इसके मायने नहीं समझे लेकिन अब आपको समझाते हैं उस बयान के मायने।
विधानसभा सत्र के दौरान बीजेपी के नेताओं ने लगातार लालू यादव पर हमले किए। लालू यादव अब सक्रिय राजनीति में नहीं है, लेकिन यदा-कदा अपने बयानों से शिगूफा छोड़ देते हैं, जिससे बिहार की राजनीति में सियासी सरगर्मियां तेज हो जाती है। मंगलवार को बिहार विधानसभा में सम्राट चौधरी और तेजस्वी यादव के बीच जमकर तू-तू, मैं-मैं हुई।
सदन में जमकर हुई तू-तू, मैं-मैं
तेजस्वी ने सम्राट चौधरी से कहा कि क्या आपने और आपके पिताजी ने बीजेपी को गाली नहीं दी क्या? सम्राट ने कहा आपके पिताजी ने बिहार को लूटने का काम किया है। तेजस्वी ने कहा कि आपने आखिरी बार राजद से ही चुनाव जीता था, लेकिन इस बार नहीं जीतेंगे। इस पर सम्राट पलटवार करते हुए कहते हैं आप राजा हैं क्या? वहीं सीएम नीतीश कुमार ने भी तेजस्वी पर हमला करने की बजाय लालू यादव पर निशाना साधा।
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जब तेजस्वी पिछले 20 साल के कार्यकाल का हिसाब बताने लगे तो सीएम झल्ला गए और उन्होंने कहा कि ये बच्चा है, इसे कुछ नहीं पता। 2005 के पहले कुछ नहीं था। तुम्हारे पिता को हमने ही बनाया है।
20 साल की उपलब्धियां क्यों नहीं गिना रहा एनडीए?
बीजेपी और अब नीतीश दोनों ने सदन में एक बार फिर लालू यादव के बहाने आरजेडी पर निशाना साधा। बिहार में लालू और राबड़ी की सरकार 1989 से 2005 तक रही। इस दौरान भ्रष्टाचार के आरोप में लालू यादव जेल चले गए। इसके बाद राबड़ी देवी ने लंबे समय तक शासन किया। लालू पर जेल से शासन चलाने का आरोप लगाया गया। लालू यादव के दौर में बिहार में साफ-सुथरी सड़कें नहीं थी। शिक्षा की व्यवस्था लचर थी, कानून व्यवस्था समाप्त हो चुकी थी। 2005 में बिहार में नीतीश की पहली बार सरकार बनी। इसके बाद से लेकर अब तक वे लगातार सीएम रहे हैं। ऐसे में सवाल यह है कि बीजेपी और जेडीयू पिछली 20 साल की उपलब्धियां बताने की बजाय लालू यादव पर आकर क्यों रुक जाते हैं? हो सकता है इस सवाल का जवाब जनता इस बार के चुनाव में दे दें।
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