बिहार में अब हर वर्ग की आवाज सुनी जाएगी। समाज के अलग-अलग हिस्सों के लोगों को बराबरी का हक दिलाने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने दो नए आयोगों का गठन किया है। ये आयोग न सिर्फ लोगों की समस्याएं जानेंगे, बल्कि सरकार को सुझाव भी देंगे कि उनके लिए क्या-क्या किया जा सकता है। एक ओर जहां उच्च जातियों के विकास पर ध्यान दिया जाएगा, वहीं दूसरी ओर अनुसूचित जनजातियों की परेशानियों को समझकर समाधान खोजा जाएगा। यह कदम दिखाता है कि सरकार अब हर समाज के साथ न्याय और बराबरी चाहती है।
सामाजिक समावेशिता की दिशा में सरकार का नया कदम
बिहार सरकार ने सामाजिक समावेशिता और सभी वर्गों के विकास को ध्यान में रखते हुए दो नए आयोगों के गठन को मंजूरी दी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई वाली सरकार ने ‘उच्च जाति विकास आयोग’ और ‘राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग’ का गठन किया है। यह निर्णय राज्य में सभी समुदायों के सामाजिक और आर्थिक विकास को सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
उच्च जाति विकास आयोग का गठन और उसकी जिम्मेदारियां
सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, उच्च जातियों के विकास के लिए गठित आयोग का अध्यक्ष भाजपा नेता और पूर्व मंत्री महाचंद्र प्रसाद सिंह को बनाया गया है। इस आयोग में कुल पांच सदस्य होंगे। जदयू नेता राजीव रंजन प्रसाद को उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है, जबकि अन्य तीन सदस्यों में दयानंद राय, जय कृष्ण झा और राजकुमार सिंह शामिल हैं। इन सभी का कार्यकाल तीन वर्षों का होगा। यह आयोग उच्च जातियों की सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक स्थिति का अध्ययन करेगा और सरकार को नीतिगत सुझाव देगा।
अनुसूचित जनजाति आयोग की टीम और उद्देश्य
इसी के साथ बिहार सरकार ने अनुसूचित जनजातियों के हितों की रक्षा और उनके कल्याण के लिए ‘राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग’ का भी गठन किया है। इस आयोग के अध्यक्ष पश्चिम चंपारण निवासी शैलेंद्र कुमार बनाए गए हैं। इनके साथ सुरेंद्र उरांव उपाध्यक्ष के रूप में कार्य करेंगे। आयोग के अन्य सदस्यों में प्रेमशिला गुप्ता, तल्लू बासकी और राजू कुमार शामिल हैं। इस आयोग का कार्यकाल भी तीन वर्षों का होगा। यह आयोग अनुसूचित जनजातियों की समस्याओं की पहचान करेगा और उनके समाधान के लिए सरकार को सिफारिशें देगा।
समावेशी विकास की ओर सरकार की पहल
इन दोनों आयोगों के गठन को राज्य सरकार द्वारा सामाजिक संतुलन और समावेशी विकास के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। यह पहल राज्य में सभी समुदायों के लिए समान अवसर और सुविधाएं सुनिश्चित करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। सरकार का मानना है कि जब तक समाज के हर वर्ग को विकास की मुख्यधारा से नहीं जोड़ा जाएगा, तब तक राज्य का समग्र विकास संभव नहीं है। इसलिए इन आयोगों के माध्यम से संबंधित वर्गों की जरूरतों को समझकर योजनाएं बनाई जाएंगी।