पटना में आयोजित भारतीय जनता पार्टी की कार्यसमिति की बैठक में मंगलवार को उस समय अजीब स्थिति उत्पन्न हो गई। जब पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे मंच पर पहुंचे, लेकिन उन्हें बैठने के लिए सीट नहीं मिली। थोड़ी देर मंच पर खड़े रहने के बाद वे बिना कुछ कहे वापस लौट गए और कार्यक्रम से बाहर चले गए। यह दृश्य वहां मौजूद कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच चर्चा का विषय बन गया। सभी यही कयास लगाने लगे कि क्या अश्विनी चौबे पार्टी से नाराज हैं? क्या उन्हें जानबूझकर नजरअंदाज किया गया?
इस घटनाक्रम के बाद न्यूज24 से बातचीत में अश्विनी चौबे ने साफ किया कि उनकी नाराजगी पार्टी से नहीं, बल्कि बैठक की व्यवस्था से है। उन्होंने कहा कि मैं पार्टी का अनुशासित सिपाही हूं। कभी-कभी अव्यवस्था को देखकर नाराजगी हो जाती है। मेरे लिए मंच पर कोई सीट नहीं थी, इसीलिए वापस चला गया। यह नाराजगी केवल व्यवस्थापक से है, पार्टी से नहीं।
पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्वनी चौबे बोले- पार्टी से नहीं, व्यवस्था से है नाराजगी @news24tvchannel @AshwiniKChoubey#BiharElections pic.twitter.com/euJtjl0eaI
— Deepti Sharma (@DeeptiShar24006) July 2, 2025
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हालांकि, उन्होंने इस मामले को ज्यादा तूल न देने की अपील की और कहा कि वह पार्टी के साथ मजबूती से खड़े हैं। राजनीतिक गलियारों में इस घटना को लेकर कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। कुछ जानकारों के मुताबिक, यह केवल व्यवस्था गत चूक नहीं थी, बल्कि पार्टी में वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी की ओर भी संकेत करता है। वहीं, कई नेताओं के अनुसार, यह महज एक संयोग था जिसे तूल नहीं देना चाहिए।
बीजेपी में वरिष्ठ नेताओं की भूमिका पर सवाल?
बीजेपी में हाल के दिनों में कई वरिष्ठ नेताओं के हाशिए पर जाने की चर्चा होती रही है। अश्विनी चौबे जैसे जमीनी और लंबे समय से सक्रिय नेताओं के साथ ऐसी घटनाएं सवाल खड़े करती हैं कि क्या पार्टी में वरिष्ठता को वह सम्मान मिल पा रहा है जिसकी अपेक्षा की जाती है। फिलहाल, अश्विनी चौबे के बयान ने इस पूरे प्रकरण को शांत करने की कोशिश जरूर की है, लेकिन इस घटना ने एक बार फिर पार्टी के अंदरूनी संचालन और समन्वय पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
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