बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसे लेकर प्रदेश का सियासी पारा पहले ही गरमाया हुआ है। ऐसे में राज्य में बढ़ते अपराध को लेकर सियासत और गरमा गई है। भाजपा नेताओं ने अपराधियों पर एनकाउंटर की मांग करते हुए बिहार पुलिस को योगी मॉडल अपनाने की सलाह दी है। वहीं, ADG कुंदन कृष्णन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि एनकाउंटर से समस्या का समाधान नहीं होगा। इसके लिए समाज के लोगों को आगे आना होगा। पुलिस और प्रशासन दोनों को सहयोग चाहिए, बिना सहयोग कुछ नहीं हो सकता है।
साथ ही बिहार पुलिस के ADG हेडक्वार्टर कुंदन कृष्णन ने बुधवार को बिहार में क्राइम को लेकर कहा था कि अप्रैल-मई में राज्य में अधिक हत्याएं होती रहती हैं। पिछले कई सालों से यह ट्रेंड रहा है। जब तक बरसात नहीं होती है, तब तक ये सिलसिला जारी रहता है। दरअसल, कुंदन कृष्णन ने बिहार में बढ़ते क्राइम रेट के लिए किसानों को जिम्मेदार ठहराया है। अब कुंदन कृष्णन के इस बयान राजनीति शुरू हो गई है। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने इसे लेकर ADG कृष्णन पर निशाना साधा है।
क्या कहा पवन खेड़ा ने?
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने एडीजी कुंदन कृष्णन के बयान वाले वीडियो को टैग कर एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, ‘अप्रैल मई में किसान को कोई काम नहीं रहता इसलिए वो मर्डर करते हैं। बिहार के ADG का ये बयान कितना बेतुका और शर्मनाक है। काम तो रिटायरमेंट के बाद ADG साहब के पास भी नहीं रहेगा तो क्या वो भी गोलीबारी करेंगे सड़कों पर? जब कोतवाल ही ऐसा हो तो फिर भगवान ही रखवाला है बिहार की जनता का।’
‘अप्रैल मई में किसान को कोई काम नहीं रहता इसलिए वो मर्डर करते हैं ‘
---विज्ञापन---बिहार के ADG का ये बयान कितना बेतुका और शर्मनाक है। काम तो रिटायरमेंट के बाद ADG साहब के पास भी नहीं रहेगा तो क्या वो भी गोलीबारी करेंगे सड़कों पर ?
जब कोतवाल ही ऐसा हो तो फिर भगवान ही रखवाला है बिहार की जनता… pic.twitter.com/kjGQkok177
— Pawan Khera 🇮🇳 (@Pawankhera) July 17, 2025
क्या कहा था ADG कुंदन कृष्णन ने?
दरअसल, बेखौफ अपराधियों ने पटना के फेमस पारस अस्पताल में घुसकर इलाज करा रहे एक कैदी की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसके बाद बिहार पुलिस के ADG हेडक्वार्टर कुंदन कृष्णन ने बुधवार को बिहार में क्राइम को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि अप्रैल, मई और जून में राज्य में अधिक हत्याएं होती रही हैं। पिछले कई सालों से यह ट्रेंड रहा है। जब तक बरसात नहीं होती है, तब तक ये सिलसिला जारी रहता है।
कुंदन कृष्णन ने बेतुका बयान देते हुए कहा कि ‘मई-जून में ज्यादा मर्डर होते हैं, क्योंकि इस दौरान किसानों के पास काम नहीं होता और इसलिए ज्यादा क्राइम होते हैं। जब बरसात शुरू होती है तो किसान अपने काम में व्यस्त हो जाते हैं। ऐसे में घटनाएं कम हो जाती हैं।’ इसके साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि सभी जिलों के शूटर्स का एक डेटा बनवाएंगे और उसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि सभी जिलों के एसपी को निर्देश जारी कर दिया गया है।
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गोपाल खेमका का मर्डर की जांच में निभाई थी अहम भूमिका
कुंदन कृष्णन सख्त पुलिसिंग और अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए जाने जाते हैं। अभी हाल ही में बिहार की राजधानी पटना में जाने-माने बिजनेसमैन गोपाल खेमका का मर्डर हुआ था और इस हत्याकांड की जांच में ADG हेडक्वार्टर कुंदन कृष्णन ने अहम भूमिका निभाई थी। उनके नेतृत्व में STF और पटना पुलिस ने 72 घंटे में ही मुख्य शूटर उमेश को गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद आईपीएस कुंदन कृष्णन की खूब वाहवाही हुई थी।
कौन हैं कुंदन कृष्णन?
कुंदन कृष्णन बिहार के तेज-तर्रार आईपीएस अधिकारियों में से एक हैं। वह 1994 बैच के बिहार कैडर के आईपीएस ऑफिसर हैं। बिहार के नालंदा जिले के रहने वाले कुंदन कृष्णन अपनी सख्त पुलिसिंग और अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर चर्चित हैं। बिहार में उनकी छवि एक ऐसे आईपीएस अधिकारी के रूप में होती है, जो न तो माफियाओं से डरता है और न ही बाहुबलियों से। अपराधी तो उनके नाम सुनकर ही पीछे हट जाते हैं। कुंदन कृष्णन जब पटना के सिटी एसपी थे तो उन्होंने बाहुबली और पूर्व सांसद आनंद मोहन को गिरफ्तार कर तहलका मचा दिया था। दरअसल, आनंद मोहन पटना के एक होटल में रुके हुए थे और आईपीएस कुंदन कृष्णन ने तत्काल कार्रवाई करते हुए उन्हें वापस सहरसा जेल भेज दिया था।
साल 2002 में कुंदन कृष्णन सारण (छपरा) के पुलिस अधीक्षक (SP) थे। इस दौरान छपरा जेल में दंगा भड़क गया था। लगभग 1200 कैदियों ने जेल पर कब्जा कर लिया था और पुलिस पर भी अटैक कर दिया था, लेकिन कृष्णन निर्भय होकर एके-47 लेकर कैदियों से भिड़ गए। इस कार्रवाई में 5 कैदी मारे गए थे, जिसके बाद स्थिति नियंत्रण में आई थी।
आईपीएस कुंदन कृष्णन की पढ़ाई की बात करें तो उनके पास एमए की डिग्री है। उन्होंने इतिहास से पोस्ट-ग्रेजुएशन की डिग्री ली थी और उसके बाद यूपीएससी की तैयारी में जुट गए थे। फिर उन्होंने देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास की और आईपीएस अधिकारी बन गए। 4 सितंबर 1994 को उन्होंने बतौर IPS सर्विस ज्वाइन की थी।
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