Live In Relationship Regarding Important Decision Allahabad High Court: लिव इन रिलेशनशिप को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि किसी भी कपल को साथ रहने का पूरा अधिकार है। भले ही वे किसी भी जाति-धर्म या संप्रदाय के हों। माता-पिता को उनके जीवन में हस्तक्षेप करने का केाई अधिकार नहीं है। हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि इनके जीवन में हस्तक्षेप करना अनुच्छेद 19 और 21 का उल्लंघन होगा। यह आदेश न्यायमूर्ति राजेंद्र सिंह की पीठ ने गौतमबुद्धनगर की रजिया और अन्य की याचिका को खारिज करते हुए दिया।
यह थी याचिका
मामले में कपल की ओर से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि वो अपनी मर्जी से लिव इन में रहते हैं। उनके परिवार वाले इस रिश्ते को पसंद नहीं करते हैं। वे उनके इस कार्य से खुश नहीं हैं और उनकी हत्या हो सकती है। वहीं मामले में अपर शासकीय अधिवक्ता ने बताया कि दोनों अलग-अलग धर्म के हैं। मुस्लिम पर्सनल लाॅ में ऐसा करना अपराध है।
पुलिस करें आरोपियों पर कार्रवाई
कोर्ट ने शासकीय अधिवक्ता की बात पर सुप्रीम कोर्ट के हवाले से टिप्पणी करते हुए कहा कि किसी भी बालिग जोड़े को अपनी मर्जी से साथ रहने का अधिकार है। फिर चाहे वह किसी भी धर्म या जाति के हो। ऐसे कपल को ना तो परेशान करना चाहिए और ना ही हिंसा। चाहे वे उसके मां-बाप ही क्यों न हों। कोर्ट ने आदेश दिया कि पुलिस मामले में संबंधित आरोपियों पर कार्रवाई करें ताकि जोड़े के जीवन में कोई बाधा नहीं आए।
सुप्रीम कोर्ट ने की थी यह टिप्पणी
बता दें कि लिव इन रिलेशनशिप के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि दो बालिग लोग अपनी सहमति से एक-दूसरे के साथ रह सकते हैं। ये कानून की दृष्टि से गलत नहीं है। कोर्ट ऐसे जोड़े को परंपरागत शादी करने वाले की तरह ही देखता है। बशर्ते वह कोर्ट के द्वारा बनाए गए नियमों को मानते हुए रह रहे हों।
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