तिरूपति बालाजी मंदिर के प्रसिद्ध लड्डू जो वर्षों से श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक बने हुए हैं अब विवादों के घेरे में आ गए हैं। आचार्य संगम ने इस प्रसाद में मिलावट और अवैध सामग्री के इस्तेमाल को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। उनका आरोप है कि तिरूपति बालाजी मंदिर में बनाए जा रहे लड्डू में मिलावटी घी, बीफ़, जानवरों की चर्बी और फ़िश ऑयल जैसे पदार्थों का इस्तेमाल हो रहा है।
आचार्य संगम ने इस मामले को हिंदू धर्म पर हमला बताया और कहा “मंदिरों में हो रही मिलावट केवल एक व्यावसायिक साज़िश नहीं है बल्कि यह सनातन धर्म को भीतर से कमजोर करने की गहरी चाल है। यह हिंदू समाज की आस्था और विश्वास के साथ खिलवाड़ है जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
मंदिरों में मिलावट: व्यापार या साज़िश?
मंदिर जो कभी आस्था और भक्ति का केंद्र हुआ करते थे आज व्यापार का अड्डा बनते जा रहे हैं। आचार्य संगम का कहना है कि मंदिरों में प्रसाद और अन्य धार्मिक सामग्रियों में हो रही मिलावट और भ्रष्टाचार पुजारियों और मंदिर प्रशासन की मिलीभगत से हो रहा है। उन्होंने कहा “यह व्यापार अब इतना फैल चुका है कि श्रद्धालुओं को धोखे में रखा जा रहा है। मंदिर के नाम पर धंधा चलाया जा रहा है जो आस्था के मूल्यों पर सीधा हमला है।
धर्म और आस्था पर संकट
आचार्य संगम ने स्पष्ट रूप से कहा कि यह मामला सिर्फ तिरूपति बालाजी मंदिर तक सीमित नहीं है बल्कि कई धार्मिक स्थलों पर मिलावट का खेल खेला जा रहा है। ‘यह धर्म के खिलाफ एक सुनियोजित हमला है। जब तक हम इसे नहीं रोकते, तब तक हमारी धार्मिक आस्था और परंपराएं खतरे में रहेंगी’ उन्होंने कहा।
सनातन_बोर्ड की मांग
आचार्य संगम ने मंदिरों में हो रहे भ्रष्टाचार और मिलावट को रोकने के लिए सनातन_बोर्ड के गठन की मांग की है। उनका कहना है कि इस बोर्ड का काम यह सुनिश्चित करना होगा कि धार्मिक स्थलों पर पवित्रता और शुद्धता बनी रहे। ‘मंदिरों की पवित्रता बनाए रखना हमारा कर्तव्य है और इसके लिए सख्त नियम और निगरानी की जरूरत है’ उन्होंने कहा।
सवालों के घेरे में तिरूपति बालाजी मंदिर प्रशासन
तिरूपति लड्डू विवाद ने पूरे देश में धार्मिक स्थलों की शुद्धता और पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या तिरूपति बालाजी मंदिर प्रशासन इस गंभीर आरोप का सामना करेगा? यह विवाद अब धार्मिक आस्था के केंद्र पर चोट कर रहा है जिसका समाधान जल्द निकलने की उम्मीद की जा रही है।