जौनपुरः उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की राजधानी लखनऊ (Lucknow) से करीब 250 किमी दूर जौनपुर (Jaunpur) जिले में एक पेंटर ने अद्भुत कारनामा करके दिखाया है। देश में तिरंग यात्रा और आजादी के अमृत महोत्सव काल में उसने अपने गांव न के बराबर संसाधनों के साथ एक ब्रह्मोस मिसाइल (Brahmos missile) और सेना के हेलीकॉप्टर (Army Helicopter) की डमी (Dummy) तैयार की है। हालांकि उन्हें तैयार करने के लिए उसे पूरे दो साल का वक्त लग गया, लेकिन समय उसके हौसले को डिगा नहीं पाया। मिसाइल और हेलीकॉप्टर आसपास ही नहीं पूरे इलाके में आकर्षण का केंद्र बन गया है। जो भी इन्हें देख रहा है। वह बस दो ही शब्द कह रहा है… अद्भुत-अकल्पनीय।
पैसों की कमी से कई बार काम रुका, दो साल लगे
उत्तर प्रदेश के छोटे से शहर के छोटे से गांव में रहने वाले एक मजदूर ने देश की रक्षा प्रणाली में अहम भूमिका निभाने वाले ब्रह्मोस मिसाइल और हथियारी के लैस सेना के हेलीकॉप्टर की डमी तैयार की है। इस चमत्कारी कार्य को करने के पीछे सर्वेश की दो साल की कड़ी मेहनत है। पेंटर सर्वेश ने बताया कि उसने इस निजी योजना पर तब तक काम किया जब तक उसके पास पैसा नहीं था, जिसके बाद कई बार इस काम को बीच में रोकना पड़ा।
UP | Painter from Jaunpur- Sarvesh makes skeleton design of Brahmos Missile prototype & of a helicopter
I started work on this almost 2 years back. I worked on it till I had the budget for it after which I stopped: Painter Sarvesh pic.twitter.com/Mh5dBkrxWT
---विज्ञापन---— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) September 19, 2022
मजदूरी में से रोजाना 10-20 रुपये बचाता हूं
फ्लेक्स बोर्ड बनाने वाले सर्वेश ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि प्रिंटिड फ्लेक्स बोर्ड बाजार में आने के बाद से मेरा काम बंद हो गया। उन्होंने कहा कि अब वह एक मजदूर के रूप में काम करते हैं। मजदूरी में मिलने वाले मेहनताने से वह रोजाना 10 या 20 रुपये बचाने की कोशिश करते हैं। उन्होंने कहा कि इस चुनौतीपूर्ण काम को सीमित साधनों के साथ करने का मुख्य उद्देश्य ‘हमारे देश में लोगों के हित को बढ़ाना’ और मातृभूमि के लिए हमारे रक्षा जवानों के बलिदान का सम्मान करना है।
जानें ब्रह्मोस मिसाइल प्रणाली के बारे में
आपको बता दें कि ब्रह्मोस लंबी दूरी की सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल प्रणाली (long-range supersonic cruise missile system) है, जिसे जमीन, समुद्र और हवा से लॉन्च किया जा सकता है। इसे DRDO (रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन), भारत और रूस के NPO Mashinostroyeniya (NPOM) द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है। सिस्टम को एंटी-शिप और लैंड-अटैक भूमिकाओं के लिए दो वेरिएंट के साथ डिजाइन किया गया है। हथियार प्रणाली को शामिल कर लिया गया है और यह भारतीय नौसेना के साथ-साथ भारतीय सेना में भी काम कर रही है।