Car Racing in India: कार रेसिंग की दुनिया में भारत से नारायण कार्तिकेयन, करुण चंडोक, और अरमान इब्राहिम के बाद अब एक और नाम चर्चा में आ रहा है। ये नाम ली केशव हैं, जो भारत में कार रेसिंग के क्षेत्र में उभरता सितारा है। लगभग 10 साल से इस फील्ड में एक्टिव ली केशव ने कई टॉप लेवल चैंपियनशिप्स जैसे, जेके फॉर्मूला बीएमडब्ल्यू और एमआरएफ फॉर्मूला फोर्ड 1600 चैंपियनशिप में हिस्सा लिया है।
16 साल की उम्र में शुरू किया था सफर
ली केशव (Lee Keshav) ने केवल 16 साल की आयु में 10 साल पहले कार रेसिंग करना शुरू किया था। इसके लिए उन्होंने तुरंत थाईलैंड में पेशेवर प्रशिक्षण लिया और फिर रेसिंग क्षेत्र में अपना सफर शुरू किया। कार रेसिंग के अलावा ली केशव एक प्रोडक्ट डिजाइन लीडर के रूप में स्टार्टअप क्षेत्र में काम करते हैं, लेकिन उन्हें वीकेंड पर एक कार रेसर भी होने का आनंद आता है।
ली केशव ने बताया अपना सफर
अपने सफर के बारे में बात करते हुए, ली केशव कहते हैं कि 2010 से उनका रेसिंग का सफर शुरू हुआ था। उन्होंने कहा, “बचपन से ही मुझे गाड़ियों और स्पोर्ट्स में बड़ा शौक था। उस समय मैंने टेलीविजन पर रेसिंग देखी थी, लेकिन मुझे इसके बारे में कुछ ज्ञान नहीं था। 2002 में, मैंने पहली बार गूगल पर इस विषय में शोध किया कि रेसिंग ड्राइवर कैसे बनते हैं। वहाँ से मुझे इसके बारे में थोड़ा गहन ज्ञान मिला। हालांकि, तब तक यह सिर्फ मेरी इच्छा थी। इस इच्छा के बल पर, मैंने कुछ साधनसील कार्य किए और मुझे एक इवेंट में शामिल होने का मौका मिला।
ली केशव ने इन्हें दिया क्रेडिट
ली केशव ने बताया कि ‘मैंने अपनी माँ को काफी मनाया कि मुझे उस इवेंट में ले जाएं। तब मैं सिर्फ 14-15 साल का था जब मैं पहली बार एक रेसिंग संबंधी इवेंट में गया। पहले 2-3 साल मैंने रिसर्च की। 2010 में, मैंने पहली बार एक मेंटर से मिला, जो यूरोप में रेड बुल का एक प्रोग्राम संचालित करते हैं। उन्होंने मुझे पहली बार एक्सपोजर दिया और रेसिंग के बारे में बहुत कुछ सिखाया। उस बात से मेरा सफर शुरू हुआ।’
नौकरी के साथ पैशन को मैनेज कैसे करते हैं ली केशव
वह स्टार्टअप क्षेत्र में प्रोडक्ट डिजाइन लीडर हैं। हालांकि, आज वे रेसिंग और जॉब दोनों को मैनेज कर रहे हैं। ली ने कहा, “सबसे अच्छा था कि मैंने अपनी जिंदगी के बहुत शुरुआती पड़ाव पर ही ये सोच लिया था कि मुझे रेसिंग करनी है। हालांकि, दुनिया में कई सारे ऐसे टैलेंट हैं जैसे म्यूजिक, स्पोर्ट्स आदि, जिनमें एकदम से पैसे नहीं मिलते हैं। वे लॉन्ग टर्म वाले होते हैं। तो मुझे शुरू से ही पता था कि अगर मुझे रेसिंग में जाना है तो मुझे उसके लिए अलग से पैसे कमाने और सेविंग्स करनी होगी। रेसिंग का जो ड्राइव है वही मुझे हिम्मत देता है कि जॉब के साथ मैं अपने पैशन का पालन करूं। और फिर ये दोनों अलग चीजें हैं। जब हम एक तरह की चीजें करते हैं तो हमारा दिमाग ओवरलोड होने लगता है और हमें बोरियत होने लगती है। हालांकि, टाइम मैनेजमेंट काफी मुश्किल होता है, इसलिए हमें अनुशासित रहने की आवश्यकता होती है।”
रेसिंग काफी महंगा स्पोर्ट है
ली केशव कहते हैं, “मुझे बहुत कम उम्र से ही पता था कि रेसिंग काफी महंगा स्पोर्ट है। तो उसमें अगर मुझे जाना है तो मुझे थोड़े पैसे तो रखने ही पड़ेंगे। इसलिए मैंने अपना लाइफस्टाइल बहुत सिंपल रखा। जितना भी मुझे खर्च करना था, वह मैंने रेसिंग पर ही किया। हालांकि, इस दौरान मुश्किलें भी आईं। कई बार चोट लग जाने या कभी थोड़ा नीचे फील होने पर आप अकेले ही होते हो। आपको इन सभी चीजों का सामना खुद करना होता है। इसलिए आपके मन में दो ही विचार आते हैं। एक तो आप छोड़ देते हैं और किसी अन्य दिशा में मुड़ जाते हैं, या फिर आप उससे डटकर सामना करते हैं और उससे सीखते हैं। मुश्किलें हर प्रकार की होती हैं, चाहे वे आर्थिक स्तर पर हों, मानसिक हों या हिम्मत से जुड़ी हों, लेकिन आपको उनका सामना करना पड़ता है।”
खुद को ही हिम्मद देनी चाहिए
ली केशव आगे कहते हैं, “एक बार जब मैं इंटरनेशनल खेलने गया था, तब मेरे साथ मेरे कंपटीशन करने वाले रूसी थे और वे एक खानदान से संबंध रखते थे। वे काफी प्रैक्टिस और ट्रेनिंग के बाद वहां पहुंचे थे। मैं बहुत परेशान था क्योंकि मेरी ट्रेनिंग इतनी अच्छी नहीं थी और अब मुझे उन्हें कैसे हराऊंगा? लेकिन केवल दो दिनों बाद ही मैं उनसे आगे था। इससे मुझे यह ज्ञात हुआ कि मैं खुद को ही आगे बढ़ाना है और खुद को ही हिम्मत देनी है।”
भारत में रेसिंग के लिए अनुशासन बहुत जरूरी है
भारत में रेसिंग के बारे में ली केशव कहते हैं, “हमारे देश में रेसिंग का कॉन्सेप्ट पुराना है, यह आजादी से पहले ही मौजूद था। लेकिन इसे केवल कुछ ही लोगों के बीच में सीमित रखा गया है, इसलिए भारत में रेसिंग की इमेज ऐसी ही है।” उन्होंने कहा, “पिछले 8-9 साल में इस तस्वीर में बदलाव हुआ है। हमारी नेशनल चैंपियनशिप को ओलंपिक में भी मान्यता मिली है। पहले इसे एंटरटेनमेंट की श्रेणी में रखा जाता था, लेकिन अब यह स्पोर्ट्स में मान्यता प्राप्त कर ली है। अब लोग भारत में बड़ी आसानी से रेसिंग कर सकते हैं और इस स्पोर्ट के बारे में जानने और उसे अपनाने की इच्छा रखते हैं।”
कार रेसिंग की ट्रेनिंग बेहद मुश्किल
ली केशव ने कई उच्च स्तरीय चैंपियनशिप में भाग लिया है, जैसे जेके फॉर्मूला बीएमडब्ल्यू और एमआरएफ फॉर्मूला फोर्ड 1600 चैंपियनशिप, और उन्होंने कई जीते विजेता कप भी हासिल किए हैं। ली केशव आज भारत के सबसे तेजी से प्रगति कर रहे ड्राइवरों में से एक हैं। हालांकि, यह आसान काम नहीं है। ली ने रेसिंग के मुश्किलों के बारे में कहा, “कार रेसिंग में सबसे ज्यादा मुश्किल ट्रेनिंग होती है। इसके लिए अनुशासन बहुत आवश्यक है। इसे एविएशन के साथ तुलना करें तो यह गलत नहीं होगा।
भारत में रेसिंग के लिए क्या जरूरी है
भारत में भी रेसिंग के नियम बहुत कठोर हैं। यदि किसी को भारत में रेसिंग सीखनी हो तो उसे पहले बिगिनर लाइसेंस प्राप्त करनी होगी। लाइसेंस के लिए पहले एक हेल्थ सर्टिफिकेट प्राप्त करना चाहिए, जिसमें आपकी स्वस्थता का प्रमाणित होता है। हालांकि, जब आप रेसिंग शुरू करते हैं, तो आपको अपनी फिटनेस और स्वास्थ्य पर पूरी तरह से ध्यान देना पड़ता है। इसके साथ-साथ, आपको मानसिक प्रशिक्षण भी लेना होता है।
भारत में कौन करता है राष्ट्रीय रेसिंग चैंपियनशिप का आयोजन
2011 से 2013 तक भारत ने फॉर्मूला वन इंडियन ग्रांड प्रिक्स का आयोजन किया था। यह आयोजन उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट पर हुआ था। भारत में फेडरेशन ऑफ मोटर स्पोर्ट्स क्लब ऑफ इंडिया (एफएमएससीआई) राष्ट्रीय रेसिंग चैंपियनशिप आयोजित करता है। इसमें इंडियन टूरिंग कार चैंपियनशिप, इंडियन जूनियर टूरिंग कार चैंपियनशिप, और वोक्सवैगन एमियो कप जैसे कार्यक्रम शामिल होते हैं।