नई दिल्ली: बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट को एशियन गेम्स में बिना ट्रायल के डायरेक्ट एंट्री मिल गई है। इसके बाद निवर्तमान डब्ल्यूएफआई प्रमुख बृज भूषण शरण सिंह का बयान सामने आया है। महिला पहलवानों की ओर से लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों का सामना कर रहे बृज भूषण शरण सिंह ने बुधवार को कहा कि यह निर्णय दुर्भाग्यपूर्ण है। इससे भारतीय कुश्ती को नुकसान होगा। वहीं जूनियर पहलवानों अंतिम पंघाल और सुजीत कलकल ने भी ये छूट देने के लिए एडहॉक पैनल की आलोचना की है। सभी श्रेणियों में निष्पक्ष सुनवाई की मांग करते हुए उन्होंने इस मामले को अदालत ले जाने की बात कही है।
बृज भूषण ने विशेष बातचीत में पीटीआई से कहा- “तदर्थ पैनल द्वारा यह निर्णय लिए जाने के बाद से मैं बहुत व्यथित हूं। इससे इस देश में कुश्ती के खेल को नुकसान होगा। इस खेल को ऊपर उठाने के लिए बहुत से लोगों ने कड़ी मेहनत की है। एथलीट, उनके माता-पिता, खेल के प्रशंसक, सभी ने कड़ी मेहनत की। आज कुश्ती एक ऐसा खेल है जिसमें ओलंपिक पदक पक्का माना जाता है। ये पहलवान एशियाई खेलों जैसी प्रतियोगिता में जाएंगे, यह निर्णय दुर्भाग्यपूर्ण है।
सिंह फिलहाल अंतरिम जमानत पर हैं। वह खेल संहिता के दिशानिर्देशों के कारण आगामी डब्ल्यूएफआई चुनाव लड़ने के पात्र नहीं हैं। उन्होंने आगे कहा- जब यह विरोध जनवरी में शुरू हुआ तो मैं सोचता था कि यह सब क्यों हो रहा है? मुझे लगता है कि जूनियर्स ने इस प्रकार अपने लिए मुसीबतें आमंत्रित कर लीं। 19 साल के पंघाल कई अन्य पहलवानों, उनके परिवारों और बुजुर्गों के साथ तदर्थ पैनल के फैसले के विरोध में हिसार में सड़कों पर उतरे। बृजभूषण ने कहा- अब चीजें एकदम साफ होती जा रही हैं।
जब उनसे पूछा गया कि अध्यक्ष के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान भी डब्ल्यूएफआई ने विनेश, बजरंग और अन्य को 2018 एशियाई खेलों के लिए ट्रायल से छूट दी थी और 2022 सीडब्ल्यूजी ट्रायल के दौरान भी उन्हीं पहलवानों को सीधे सेमीफाइनल में प्रवेश दिया गया था, तो उन्होंने स्वीकार किया कि यह एक गलती थी। सिंह ने कहा- “हमने इन पहलवानों को सीधे राष्ट्रमंडल खेलों में नहीं भेजा, हालांकि हमने उन्हें सीधे सेमीफाइनल में जगह दी। हमें बाद में एहसास हुआ कि शायद यह सही नहीं है और यही कारण है कि हमने अपनी कार्यकारी समिति में इस मुद्दे पर चर्चा की, कोचों से सलाह ली।” अन्य देशों के नियमों का अध्ययन किया और आम सभा की बैठक में नए नियम पारित किए कि किसी भी स्थिति में किसी भी पहलवान को आगे ऐसी छूट नहीं दी जाएगी।” यह नियम मैंने स्वयं एकतरफा तरीके से नहीं बनाया। इस पर व्यापक चर्चा हुई और फिर निर्णय लिया गया।
डब्ल्यूएफआई ने पिछले साल 25 अगस्त को रोहतक में अपनी आम सभा की बैठक में यह प्रस्ताव पारित किया था। जब सिंह से पूछा गया कि वह आईओए तदर्थ पैनल में तकनीकी विशेषज्ञ के रूप में ज्ञान सिंह और अशोक गर्ग की मौजूदगी के बारे में क्या सोचते हैं तो उन्होंने इस मामले पर चुप्पी साध ली। उन्होंने कहा- “अब मैं आपसे अनुरोध करूंगा कि इसे जाने दें। ये कोच आधुनिक कुश्ती से कितने अच्छे से वाकिफ हैं, यह एक और विषय है। मैं अब मीडिया से बात नहीं करता हूं, लेकिन कुछ मुद्दे मुझे परेशान कर रहे थे, इसलिए मैंने आज बात की।”