नई दिल्ली: रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (WFI) के एडहॉक पैनल ने मंगलवार को ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पूनिया और विश्व चैम्पियनशिप पदक विजेता विनेश फोगाट को एशियाई खेलों में सीधे एंट्री दे दी है। यह निर्णय नेशनल चीफ कोचों की सहमति के बिना लिया गया है।
पैनल के सदस्य ने की पुष्टि
इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन (IOA) एडहॉक पैनल ने एक परिपत्र में कहा कि उसने पहले ही पुरुषों की फ्रीस्टाइल 65 किग्रा और महिलाओं की 53 किग्रा में पहलवानों का चयन कर लिया है, लेकिन तीनों शैलियों में से प्रत्येक में सभी छह वेट कैटेगरी में ट्रायल आयोजित किए जाएंगे। तदर्थ पैनल ने परिपत्र में बजरंग और विनेश का नाम नहीं लिया, लेकिन पैनल के सदस्य अशोक गर्ग ने पीटीआई से पुष्टि की कि दोनों पहलवानों को ट्रायल से छूट दी गई है।
ट्रायल से ठीक चार दिन पहले निर्णय
गर्ग ने कहा- “हां, बजरंग और विनेश को ट्रायल से छूट दे दी गई है।” बता दें कि इन दोनों पहलवानों ने 65 किग्रा और 53 किग्रा वर्ग में अच्छा प्रदर्शन किया है, लेकिन डब्ल्यूएफआई प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के विरोध के कारण उन्होंने इस साल किसी भी अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में भाग नहीं लिया। भारतीय ओलंपिक संघ की तदर्थ समिति ने 23 सितंबर को चीनी शहर हांगझू में शुरू होने वाले एशियाई खेलों के लिए कुश्ती टीम का चयन करने के लिए ट्रायल से ठीक चार दिन पहले यह निर्णय लिया। हालांकि पैनल ने विरोध करने वाले चार अन्य पहलवानों – साक्षी मलिक, उनके पति सत्यव्रत कादियान, जितेंद्र किन्हा और बजरंग की पत्नी संगीता फोगाट का पक्ष नहीं लिया।
किर्गिस्तान में प्रशिक्षण ले रहे हैं बजरंग
ग्रीको-रोमन ट्रायल 22 जुलाई को होने हैं, जबकि पुरुषों की फ्रीस्टाइल का ट्रायल 23 जुलाई को नई दिल्ली के आईजी स्टेडियम में होगा। बजरंग वर्तमान में किर्गिस्तान के इस्सिक-कुल में प्रशिक्षण ले रहे हैं। 2018 एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली विनेश हंगरी के बुडापेस्ट में ट्रेनिंग कर रही हैं। विनेश ने बीमारी के कारण हाल ही में बुडापेस्ट में रैंकिंग सीरीज़ कार्यक्रम से नाम वापस ले लिया था। विरोध करने वाले चार अन्य पहलवानों के साथ दो शीर्ष पहलवानों ने एशियाई खेलों और विश्व चैंपियनशिप ट्रायल की तैयारी के लिए 10 अगस्त तक का समय मांगा था।
ये है छूट का क्राइटेरिया
डब्ल्यूएफआई दिशानिर्देशों के अनुसार, सभी भार वर्गों में चयन ट्रायल अनिवार्य है। हालांकि, चयन समिति के पास मुख्य कोच/विदेशी विशेषज्ञ की सिफारिश के बिना ट्रायल के ओलंपिक/विश्व चैम्पियनशिप के पदक विजेताओं जैसे प्रतिष्ठित खिलाड़ियों का चयन करने का विवेकाधिकार है। बजरंग और विनेश दोनों उस मानदंड में फिट बैठते हैं, लेकिन इस मामले में पुरुषों के फ्री-स्टाइल राष्ट्रीय कोच जगमंदर सिंह और महिलाओं के राष्ट्रीय कोच वीरेंद्र दहिया को अंधेरे में रखा गया।
बैठकों के लिए बुलाना बंद कर दिया था
जगमंदर ने पीटीआई से कहा- मुझे इस बात की जानकारी भी नहीं है कि ऐसा कोई फैसला लिया गया है। तदर्थ पैनल ने हमें बैठकों के लिए बुलाना बंद कर दिया था। हमने ऐसी कोई सिफारिश नहीं की है। हमने सभी श्रेणियों में ट्रायल का समर्थन किया है। दहिया ने कहा- हमें नहीं पता कि बजरंग और विनेश किस स्थिति में हैं। उन्होंने पिछले आठ महीनों में प्रतिस्पर्धा नहीं की है। गति, ताकत, वजन के बारे में आपको प्रतियोगिताओं के दौरान ही पता चलता है। उन्होंने पिछले साल राष्ट्रमंडल खेलों और विश्व चैम्पियनशिप के बाद प्रतिस्पर्धा नहीं की है, इसलिए हम नहीं जानते कि वे इस समय कितने अच्छे हैं।
एशियाई खेलों के निष्पक्ष ट्रायल की मांग
कई महिला पहलवानों ने पीएम मोदी, IOA, SAI को पत्र लिखकर निष्पक्ष एशियाई खेलों के ट्रायल की मांग की है। यह पता चला है कि 53 किग्रा और 65 किग्रा में पहलवानों के माता-पिता और कोच निष्पक्ष ट्रायल की मांग को लेकर अदालत का रुख करेंगे। एक पहलवान के पिता ने कहा- हम अदालत जाएंगे। तदर्थ पैनल के भेदभावपूर्ण फैसले का खामियाजा हमारे बच्चों को क्यों भुगतना चाहिए। हम बस एक निष्पक्ष सुनवाई चाहते हैं।