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पिता नहीं रहे, मां करती हैं मजदूरी…कौन हैं प्रेमा विश्वास? जिन्होंने ‘संघर्ष की चट्टान’ तोड़ जीता ब्रॉन्ज

Egypt Championship 2025: भारतीय पैरा-बैडमिंटन खिलाड़ी प्रेमा विश्वास ने 2025 मिस्र पैरा-बैडमिंटन चैंपियनशिप में दो कांस्य पदक जीते। आर्थिक संघर्षों के बावजूद, उन्होंने अपनी सफलता से देश का नाम रोशन किया और सरकार से बेहतर सुविधाओं की मांग की।

Edited By : Ankita Pandey | Updated: Jan 30, 2025 21:23
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Egypt Championship 2025: भारतीय पैरा-बैडमिंटन खिलाड़ी प्रेमा विश्वास ने 21 से 26 जनवरी तक काइरो, इजिप्ट में आयोजित 2025 मिस्र पैरा-बैडमिंटन अंतर्राष्ट्रीय चैंपियनशिप में दो कांस्य पदक जीते। महिला सिंगल्स वर्ग (W-1) श्रेणी में, उन्होंने केन्या की खिलाड़ी नगोजी को 21-2, 21-4 के स्कोर से हराया। इसके अलावा, महिला डबल (W-1/W-2) में M Antunes ANZIOKI के साथ मिलकर P VISHWAS, SHABABA को 21-4, 21-11 से हराकर एक और कांस्य पदक हासिल किया। यह पैरा-एशियाई खेलों की चयन रैंकिंग का हिस्सा था। इस टूर्नामेंट में दुनिया भर के शीर्ष खिलाड़ियों ने भाग लिया था।

अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट तक पहुंचना था बड़ी चुनौती 

प्रेमा ने न्यूज 24 से बात करते हुए बताया कि इस प्रतिष्ठित आयोजन में भाग लेना बड़ी चुनौती तो थी ही, साथ ही उन्होंने कहा, “आर्थिक अभाव और वित्तीय बाधाओं के कारण मिस्र तक पहुंचना भी मेरे लिए चुनौतीपूर्ण था।” हालांकि, उन्होंने अपने समर्थकों के प्रति गहरा आभार व्यक्त किया और कहा कि सौम्या मेम, सुभान, भगवतुला और आशीष कोगनोलकर को उनके वित्तीय सहयोग के लिए बहुत आभारी हूं, जिसकी वजह से मेरी भागीदारी और पदक जीतना संभव हो पाया।

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देश के लिए गोल्ड मेडल जीतना चाहती है प्रेमा

अपनी सफलता के बावजूद, प्रेमा और भी अधिक हासिल करने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। उन्होंने दुख जताते हुए कहा, “मेरा सपना अपने देश के लिए स्वर्ण पदक जीतना है, लेकिन इसके लिए मुझे उचित संसाधनों की आवश्यकता है, जिसमें सर्वश्रेष्ठ कोच और उपकरण, और सर्वश्रेष्ठ कोच द्वारा मेरी प्रैक्टिस भी शामिल है।” प्रेमा ने आगे बताया कि दुर्भाग्य से, वे आर्थिक स्थिति की कठिनाइयों के कारण प्रशिक्षण का खर्च नहीं उठा पा रही हैं।

उत्तराखंड के छोटे से गांव से हैं प्रेमा

आपको बता दें कि प्रेमा विश्वास उत्तराखंड के उधम सिंह नगर जिले के छोटे से गांव चंदन नगर, दिनेशपुर से आती हैं, जहां मूलभूत सुविधाएं पूर्ण रूप से नहीं पहुंच पाती हैं। प्रेमा ने बताया कि उनके पिता नहीं हैं, जिसके लिए घर चलाने के लिए उनकी मां मिन्टी विश्वास को मजदूरी कर घर का भरण-पोषण करना पड़ता है। परिवार खराब आर्थिक स्थिति से गुजर रहा है, लेकिन देश के लिए मेडल लाने का जुनून प्रेमा को उत्साहित करता रहता है।

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जीत चुकी हैं 16 राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पदक

प्रेमा ने न्यूज 24 से बात करते हुए बताया कि 2023 और 2024 दोनों अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में कांस्य सहित 16 राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पदक जीतने के बाद, प्रेमा अब ऐसे प्रायोजकों की तलाश कर रही हैं जो उन्हें अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने और उच्चतम स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व करने में मदद कर सकें।

38वें नेशनल गेम्स पर बोली प्रेमा

38वें नेशनल गेम्स उत्तराखंड में हो रहे हैं, जो बहुत गर्व की बात है। प्रेमा का कहना है कि जितनी सुविधाएं सरकार दूसरे खिलाड़ियों को दे रही है, उतनी ही सुविधाएं पैरा खिलाड़ियों को भी दी जानी चाहिए। प्रेमा ने बताया कि उत्तराखंड में पैरा खिलाड़ियों के लिए भी स्टेडियम में रुकने की व्यवस्था होनी चाहिए। साथ ही, उन्हें प्रैक्टिस करने के लिए मध्य प्रदेश जाना पड़ता है, जिसके चलते काफी मशक्कत का सामना करना पड़ता है। सरकार पैरा खिलाड़ियों के लिए भी एक स्टेडियम और एक सर्वश्रेष्ठ कोच प्रदान करना चाहिए।

भारत के लिए जीतूंगी गोल्ड 

प्रेमा विश्वास का कहना है कि अगर सरकार उन्हें सर्वश्रेष्ठ कोच और उपकरणों द्वारा मदद करती है, तो भविष्य में वह भारत का नेतृत्व करते हुए पैरा-बैडमिंटन में गोल्ड मेडल लाने की पूरी कोशिश करेंगी।

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Edited By

Ankita Pandey

First published on: Jan 30, 2025 09:08 PM

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