IND vs ENG: टीम इंडिया के लिए इंग्लैंड दौरे का आगाज किसी बुरे सपने की तरह हुआ है। हेडिंग्ले में पांच शतक लगाने के बावजूद टीम इंडिया को इंग्लिश टीम ने 5 विकेट से रौंद डाला। बुमराह-सिराज और प्रसिद्ध कृष्णा जैसे गेंदबाजों के होते हुए भी भारतीय टीम चौथी पारी में 371 रनों के लक्ष्य का बचाव नहीं कर सकी। टीम के बॉलर्स एक-एक विकेट के लिए तरसते हुए नजर आए। हाल यह रहा कि चौथी इनिंग में पहला ही विकेट टीम इंडिया को 42 ओवर बाद मिला। शुभमन गिल की कप्तानी में मिली दौरे की पहली ही हार ने टीम मैनेजमेंट के सामने कई बड़े सवाल खड़ कर दिए हैं।
हर बार लड़खड़ाती बल्लेबाजी
हेडिंग्ले टेस्ट की पहली पारी में टीम इंडिया का स्कोर 429/3 था। ठीक एक रन बाद शुभमन गिल आउट हुए और देखते ही देखते पूरी टीम 471 रन बनाकर ढेर हो गई। यानी भारतीय टीम ने अपने आखिरी 7 विकेट सिर्फ 41 रन बनाकर गंवा दिए। दूसरी पारी में भी यही कहानी दोहराई गई। 333 के स्कोर पर भारतीय टीम ने अपना पांचवां विकेट गंवाया। इसके बाद सिर्फ 31 रन जोड़कर पूरी टीम पवेलियन लौट गई। इस कमजोरी को अगर नहीं सुधारा गया, तो टीम इंडिया को सीरीज में लेने के देने पड़ सकते हैं।
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— Mufaddal Vohra (@mufaddal_vohra) June 24, 2025
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विकेट को तरसते गेंदबाज
हेडिंग्ले टेस्ट में टीम इंडिया के गेंदबाज विकेट के लिए तरसते हुए नजर आए। पहली पारी में जसप्रीत बुमराह के खाते में 5 विकेट आए, लेकिन दूसरी इनिंग में वह एक भी विकेट नहीं चटका सके। बुमराह को बाकी गेंदबाजों का साथ तक नहीं मिला। मोहम्मद सिराज और प्रसिद्ध कृष्णा विकेट तो छोड़िए रनों पर भी लगाम लगाने में पूरी तरह से नाकाम रहे। रविंद्र जडेजा पूरे मैच में सिर्फ एक ही विकेट निकाल सके।
फील्डर्स का शर्मनाक प्रदर्शन
सीरीज के पहले टेस्ट मैच में टीम इंडिया की फील्डिंग बेहद साधारण रही। अकेले यशस्वी जायसवाल ने ही कुल चार कैच टपकाए। सिर्फ यशस्वी ही नहीं, बल्कि बाकी फील्डर्स का भी हाल बेहाल रहा। खराब फील्डिंग के चलते भारतीय गेंदबाज इंग्लिश बल्लेबाजों पर दबाव बनाने में पूरी तरह से नाकाम रहे, जिसका भरपूरा फायदा इंग्लैंड को मिला। टीम इंडिया को अगर इंग्लैंड का किला भेदना है, तो फील्डर्स को हर रन और हर कैच के लिए जी-जान लगानी होगी।
शुभमन गिल की खराब कप्तानी
भले ही बतौर कप्तान शुभमन गिल पहले ही टेस्ट मैच खेलने मैदान पर उतरे थे। मगर उनकी कैप्टेंसी काफी साधारण रही। गेंदबाजी अटैक में बदलाव करने से लेकर फील्डर्स की पोजीशन को सेट करने में गिल पूरी तरह से फेल रहे। यह कहना अभी जल्दबाजी होगी, लेकिन गिल की कप्तानी में वो आक्रामकता कम से कम पहले टेस्ट मैच में तो नजर नहीं आई।