Space News: बहुत से लोगों के मन में प्रश्न उठता है कि अंतरिक्ष यात्रियों की मृत्यु किस प्रकार हो सकती है? और मृत्यु के बाद उनके मृत शरीर का क्या होता है? इस सवाल को लेकर वैज्ञानिकों ने शोध किया है और चौंकाने वाले जवाब सामने आए हैं। जानिए NASA और कनाड़ा की स्पेस रिसर्च एकेडमी के अनुसार अंतरिक्ष में मृत्यु होने पर क्या होता है?
यह भी पढ़ें: इन जगहों पर आते हैं इतने विशाल तूफान कि पूरी धरती एक बार में बर्बाद हो जाए
इन कारणों से हो सकती है अंतरिक्ष यात्री की मृत्यु
वैज्ञानिकों के अनुसार अंतरिक्ष में कई कारणों से किसी अंतरिक्ष यात्री की मृत्यु हो सकती है। ये निम्न प्रकार हैं
- स्पेस में चहलकदमी के दौरान स्पेस सूट से किसी माइक्रो मेटियोराइट के टकराने से अंतरिक्ष यात्री के स्पेस सूट में छेद हो जाता है। इसकी वजह से कुछ ही सैकंड्स में उनकी मृत्यु हो सकती है।
- किसी कारण से यदि अंतरिक्ष यात्री सीधे रेडिएशन के संपर्क में आ जाएं तो भी उनकी मृत्यु संभव है।
- यदि साथी अंतरिक्ष यात्री के साथ किसी कारणवश झगड़ा हो जाए तो वे आपस में एक-दूसरे की हत्या भी कर सकते हैं। हालांकि इस तरह की घटना होने के चांसेज नगण्य हैं परन्तु यह भी एक संभावना हो सकती है।
- हार्ट अटैक या किसी अन्य बीमारी के कारण भी मृत्यु संभव है। परन्तु यहां यह ध्यान देने वाली बात है कि अंतरिक्ष यात्री को भेजने से पूर्व उनके शारीरिक स्वास्थ्य की अच्छे से जांच की जाती है।
यह भी पढ़ें: मंगल पर 4 लाख साल पहले था हिमयुग, अचानक बदली हवा की दिशा और सब खत्म!
किस प्रकार होती है अंतरिक्ष में मृत्यु और क्या होता है मृत शरीर का
वैज्ञानिकों के अनुसार यदि अंतरिक्ष यात्री किसी भी प्रकार अंतरिक्ष में मौजूद वैक्यूम में संपर्क में आ जाए तो मृत्यु संभव है। उस स्थिति में कुछ सैकंड्स में ही मृत्यु हो जाती है। इस स्थिति में श्वांस लेना असंभव हो जाएगा और शरीर में मौजूद पानी तथा ब्लड तुरंत ही उबलने लगेंगे। अगले 15 सैकंड में ही अतंरिक्ष यात्री अचेत हो जाएगा।
बेलर कॉलेज ऑफ मेडिसिन में स्पेस मेडिसिन के प्रोफेसर एम्मानुएल के अनुसार महज दस सैकंड में ही अंतरिक्ष यात्री के शरीर में मौजूद पानी और रक्त भाप बनकर उड़ जाएंगे। एस्ट्रोनॉट का शरीर किसी गुब्बारे की तरह फूलने लगेगा और फेफड़े फट जाएंगे। यदि इसके बाद भी अंतरिक्ष यात्री जिंदा रहा तो अगले 30 सैकंड में उसे लकवा आ जाएगा।
यहां भी एक तथ्य (Space News) महत्वपूर्ण है कि यदि अंतरिक्ष यात्री इस समयकाल में अपनी श्वांस को रोक पाया तो फेफडे़ फटने के कारण तुरंत ही उसकी मृत्यु हो जाएगी। परन्तु यदि वह ऐसा नहीं कर पाया तो लगभग 2 मिनट तक वह जीवित और होश में रहेगा।
यह भी एक संभावना है
वैज्ञानिकों के अनुसार ऐसा भी हो सकता है कि मृत अंतरिक्ष यात्री की देह अंतरिक्ष की ठंड में जमकर ममी बन जाए और ब्रह्माण्ड में अनंत समय तक यूं ही भटकती रहें। यदि वह किसी तरह दूसरे ग्रह पर चली जाए या अंतरिक्ष के घातक रेडिएशन के सीधे संपर्क में आ जाएं तो ही शरीर नष्ट होगा, अन्यथा मृत शव स्पेस में लगातार घूमता रहेगा।