सभी के मन में अक्सर ये सवाल गूंजता है कि भगवान कहां रहते हैं। क्या उनके रहने के लिए कोई स्पेशल जगह है। अगर हां तो वह जगह कैसी है और क्या हम वहां जा सकते हैं। भगवान को मानने वाले इसपर अलग-अलग तरह से बातें कहते हैं, लेकिन सभी के मन में यह जिज्ञासा रहती है कि आखिर भगवान का घर कहां है। कुछ लोग कहते हैं कि भगवान तीर्थस्थलों में रहते हैं तो कुछ का कहना है कि भगवान सभी जगह निवास करते हैं, यानी वे कण-कण में विराजमान हैं।
तब सवाल उठता है कि अगर भगवान कण-कण में रहते हैं तो हम धार्मिक तीर्थस्थलों पर क्यों जाते हैं। आखिर काशी, मथुरा, कैलाश हम किसलिए जाते हैं। सभी इस बात का उत्तर चाहते हैं और सोचते हैं कि आखिर हम तीर्थयात्रा करने कौन सी जगह जाएं जहां भगवान रहते हों और उनसे मुलाकात हो जाए।
पटनायक ने दिया इसका उत्तर
भारत के प्रसिद्ध पौराणिक कथाकार और लेखक देवदत्त पटनायक ने इसके बारे में अपने विचार रखे हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि18 नवंबर, 2023 को नई दिल्ली के सुंदर नर्सरी में ‘पौराणिक कथाओं का भूगोल: देवता कहाँ रहते हैं’ शीर्षक से एक वार्ता के दौरान पटनायक ने इस प्रश्न का उत्तर दिया।
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भारतीय अवधारणा का किया जिक्र
पटनायक का मानना है कि भारतीय अवधारणा है कि ‘भगवान आपके भीतर रहता है’। वे बताते हैं कि अगर आप ऐसे लोगों के समूह के बीच जाएं जो भारतीय नहीं हैं तो उन्हें यह अवधारणा बहुत अलग और दिलचस्प लगेगी। यह आप और आपके विश्वास ही हैं जो ईश्वर और उनके निवास के बारे में आपके विचार को आकार देते हैं।
पटनायक बताते हैं कि कैसे भगवान भी जंगलों और पवित्र उपवनों में निवास कर सकते हैं। कैसे पेड़ों को दुनिया भर में पवित्र माना जाता है, क्योंकि वे उर्वरता और विकास के प्रतीक हैं। वे उदाहरण देते हैं कि कैसे भगवान गणेश इक्षुवन से संबंधित हैं और भगवान कृष्ण को मधुबन में दिखाया गया है।
ईश्वर वहीं है जहां आप सोचते हैं-पटनायक
पटनायक के मुताबिक तीर्थयात्रा लोगों को एक समुदाय के रूप में एक साथ बांध रही है। यह धारणा कि भगवान पवित्र शहरों में रहते हैं, आपके लिए सच हो सकती है और किसी और के लिए गलत हो सकती है। जब आप किसी तीर्थ स्थल पर जाते हैं तो आप क्या और कैसा महसूस करते हैं, यह निर्धारित करता है कि आपके भगवान वहां रहते हैं या नहीं। पटनायक ने इस बात पर जोर दिया कि ईश्वर वहीं है जहां आप सोचते हैं कि वह है।
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