Cardiac Arrest: हाल ही एक 12 वर्ष के बच्चे की स्कूल में कार्डियक अरेस्ट के कारण मृत्यु हो गई। यह सब कुछ इतनी तेजी से हुआ कि उसे अस्पताल तक ले जाने का भी समय नहीं मिल पाया। इसी तरह कर्नाटक के चामराजनगर में एक 15 वर्षीय छात्रा राष्ट्रगान गाते समय बेहोश हो गई और अस्पताल ले जाते ही उसे मृत घोषित कर दिया गया। ये कुछ घटनाएं बताती हैं कि इन दिनों छोटे बच्चों को भी हार्ट अटैक या कार्डियक अरेस्ट के मामले एकदम से बहुत ज्यादा बढ़ गए हैं।
कुछ वर्ष पहले तो इन दोनों बीमारियों को बूढ़े-बुजुर्गों की बीमारी माना जाता था लेकिन अब स्थिति बदल गई है। कुछ लोग इसे कोरोना वायरस के दूरगामी प्रभाव तथा कोरोना वैक्सीन के साईड इफेक्ट्स से भी जोड़ते हैं, हालांकि अभी इस बारे में वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं। आइए जानते हैं कि बच्चों में कार्डियक अरेस्ट क्यों होता है और किस तरह इसकी रोकथाम की जा सकती है।
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इन वजहों से आ सकता है Cardiac Arrest
कुछ बच्चों के हार्ट जन्म से ही असामान्य होते हैं जिन्हें मेडिकल लैंग्वेज में कंजेनाइटल हार्ट डिफेक्ट कहा जाता है। इसकी वजह से बच्चों के हार्ट में ब्लड सर्कुलेशन सही तरह से नहीं हो पाता है और कार्डियक अरेस्ट आने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
इसी तरह कुछ बच्चे निमोनिया या ब्रोंकाइटिस बीमारी के शिकार हो जाते हैं। ये दोनों ही बीमारियां सही समय पर दवा लेने से ठीक भी हो जाती हैं। परन्तु कई बार इंफेक्शन इतना अधिक गंभीर हो जाता है कि वह हमारे श्वसन तंत्र तथा अन्य अंगों को प्रभावित करने लगता है। उस स्थिति में भी कार्डियक अरेस्ट आने की संभावनाएं होती हैं।
कई बार बच्चों में हार्ट में छेद होने जैसी समस्याएं भी देखने को मिलती हैं। इनके अलावा भी किसी अन्य तरह की बीमारी हो सकती है जिसकी वजह से बच्चों में अचानक ही ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। ऐसे में भी कम उम्र के बच्चों को कार्डियक अरेस्ट हो सकता है।
कार्डियक अरेस्ट आने पर क्या करना चाहिए
जब भी किसी बच्चे में ऐसा कोई भी लक्षण दिखाई दें तो सबसे पहले एंबुलेंस को फोन करना चाहिए या निकटतम डॉक्टर को दिखाना चाहिए। इसके बाद देखें कि बच्चा रेस्पोंस कर पा रहा है या नहीं और उसकी श्वास चल रही है क्या नहीं। यदि बच्चा सही तरह से श्वांस नहीं ले पा रहा है तो उसे सीपीआर देनी चाहिए।
डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है और इसे डॉक्टरी सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। किसी भी तरह की स्वास्थ्य समस्या दूर करने के लिए डॉक्टर से संपर्क अवश्य करें एवं उनकी सलाह से ही दवा लें।