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Yashoda Jayanti 2025: 18 या 19 फरवरी, कब है यशोदा जयंती? जानें व्रत की सही तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Yashoda Jayanti 2025: प्रत्येक वर्ष फाल्गुन माह में आने वाली कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को यशोदा जयंती मनाई जाती है। हालांकि इस बार षष्ठी तिथि को लेकर कन्फ्यूजन बना हुआ है। चलिए जानते हैं साल 2025 में 18 फरवरी या 19 फरवरी, किस दिन यशोदा जयंती का व्रत रखा जाएगा।

Author Edited By : Nidhi Jain Updated: Feb 17, 2025 12:00
Yashoda Jayanti 2025
यशोदा जयंती 2025

Yashoda Jayanti 2025: सनातन धर्म के लोगों के लिए भगवान श्रीकृष्ण की आराधना का खास महत्व है, जो प्रभु श्रीहरि के आठवें अवतार हैं। श्रीकृष्ण को मां देवकी ने जन्म दिया था। लेकिन उनका पालन-पोषण देवी यशोदा ने किया था। इसलिए श्रीकृष्ण के जीवन में मां यशोदा का स्थान बेहद खास रहा है। वैदिक पंचांग के अनुसार, हर साल फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को मां यशोदा को समर्पित यशोदा जयंती मनाई जाती है।

माना जाता है कि जो लोग यशोदा जयंती के दिन व्रत रखते हैं और श्रीकृष्ण के साथ यशोदा जी की पूजा करते हैं, उन्हें देवी-देवताओं का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही माताओं को संतान की लंबी उम्र का वरदान मिलता है। चलिए जानते हैं साल 2025 में कब यशोदा जयंती का व्रत रखा जाएगा। साथ ही आपको देवी-देवताओं की पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि के बारे में पता चलेगा।

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2025 में कब है यशोदा जयंती?

वैदिक पंचांग के मुताबिक, इस बार षष्ठी तिथि का आरंभ 18 फरवरी 2025, दिन मंगलवार को प्रात: काल 04 बजकर 53 मिनट से हो रहा है, जिसका समापन अगले दिन 19 फरवरी 2025 को सुबह 07 बजकर 32 मिनट पर होगा। ऐसे में उदयातिथि के आधार पर 18 फरवरी 2025 को यशोदा जयंती मनाई जाएगी।

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18 फरवरी 2025 के शुभ मुहूर्त

  • सूर्योदय- सुबह 7:00
  • अमृत काल- प्रात: काल में 01:04 से लेकर 02:52 मिनट तक
  • ब्रह्म मुहूर्त- प्रात: काल में 05:24 से लेकर 06:12 मिनट तक
  • अभिजीत मुहूर्त- दोपहर में 12:18 से लेकर 01:03 मिनट तक
  • राहुकाल- दोपहर में 3:30 से लेकर 4:55 मिनट तक

यशोदा जयंती की पूजा विधि

  • यशोदा जयंती के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें।
  • स्नान आदि कार्य करने के बाद नीले रंग के कपड़े पहनें।
  • घर के मंदिर में एक चौकी रखें। उसके ऊपर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं।
  • कपड़े के ऊपर मां यशोदा की कृष्ण जी के साथ वाली तस्वीर या मूर्ति की स्थापना करें।
  • देसी घी का दीपक जलाएं और हाथ जोड़कर व्रत का संकल्प लें।
  • मां यशोदा और कृष्ण जी को फल, फूल, दीप, धूप, नैवेद्य और मिठाई अर्पित करें। इस दौरान कृष्ण जी को समर्पित मंत्रों का उच्चारण करें।
  • देवी यशोदा को लाल रंग की चुनरी चढ़ाएं और कृष्ण जी को मक्खन का भोग लगाएं।
  • यशोदा जयंती के व्रत की कथा को पढ़ें या सुनें।
  • अंत में मां यशोदा और कृष्ण जी की तीन या 5 बार आरती करके पूजा का समापन करें।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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Edited By

Nidhi Jain

First published on: Feb 17, 2025 12:00 PM

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