हिन्दू धर्म में सांपों का एक अलग ही महत्व है। लोग कई अवसर पर सांपों की पूजा भी किया करते हैं। हिन्दू वेद-पुराणों में सांप को लेकर कई मान्यताएं भी है। इन्हीं मान्यताओं में से एक यह है कि सांप गर्भवती महिलाओं को नहीं काटते! आइए जानते हैं इससे जुड़ी कथा जिसका वर्णन ब्रह्मवैवर्त पुराण में किया गया है।
ब्रह्मवैवर्त पुराण की कथा
ब्रह्मवैवर्त पुराण में वर्णित कथा के अनुसार पौराणिक काल में किसी शिव मंदिर में एक गर्भवती महिला भगवान शिव की तपस्या में लीन थी। कुछ समय बाद सांपों का एक जोड़ा शिव मंदिर में आया और महिला को तपस्या करता देख हैरान हो गया। फिर उस सांप के जोड़े के मन में विचार आया कि क्यों न इस महिला की तपस्या भंग की जाए। उसके बाद सांपों का वह जोड़ा महिला के चारों ओर परिक्रमा करने लगा। परिक्रमा करते हुए वह सांपों की आवाज भी निकालता ताकि महिला की तपस्या जल्द भंग हो जाए। कई कोशिशों के बाद भी जब महिला विचलित नहीं हुई तो जोड़े को क्रोध आ गया और दोनों महिला के वस्त्र के अंदर जा पहुंचे।
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जिसके बाद महिला का ध्यान भंग हो गया। सांपों के इस व्यवहार से महिला के गर्भ में पल रहा शिशु क्रोधित हो उठा और सम्पूर्ण नाग जाति को श्राप दे दिया कि यदि आज के बाद से कोई भी सांप गर्भवती स्त्री के आस-पास भी आया तो वह अंधा हो जाएगा। तभी से ये मान्यता चली आ रही है कि जब भी कोई सांप किसी गर्भवती महिला के पास आता है तो उसे दिखाई देना बंद हो जाता है। इसी कारण वह गर्भवती महिलाओं को काट नहीं सकता। कहा जाता है कि उस महिला के गर्भ में पल रहा शिशु ही आगे चलकर श्री गोगा जी देव, श्री तेजा जी देव और जाहरवीर के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
वैज्ञानिक कारण
आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि धर्मशास्त्र के इस बात जो विज्ञान भी मान्यता देता है। विज्ञान का मानना है कि जब भी कोई स्त्री गर्भधारण करती है तो उसके शरीर में कई तरह के बदलाव आते हैं। हार्मोन्स में बदलाव के कारण गर्भवती महिलाओं के शरीर से एक अलग ही गंध आती है। इसी गंध को आभास कर शायद सांप गर्भवती महिला के नजदीक नहीं आते।
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।