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Religion

साल 2025 में कब सोएंगे और कब जागेंगे भगवान विष्णु, जानें देवशयनी और देवोत्थान एकादशी की सही डेट

हिन्दू धर्म में सावन, भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक महीने की अवधि को चातुर्मास कहते हैं। इस अवधि में भगवाण विष्णु सो जाते हैं और शुभ मांगलिक काम रोक दिए जाते हैं। आइए जानते हैं, साल 2025 में भगवान विष्णु कब सोएंगे और कब जागेंगे। देवशयनी और देवोत्थान एकादशी की सही डेट क्या है?

Author Edited By : Shyamnandan Updated: May 18, 2025 14:37
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हिन्दू धर्म में चातुर्मास का बहुत महत्व है। यह चार महीने की अवधि होती है, इसलिए चातुर्मास कहलाती है। ये चार महीने हैं: सावन, भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक। साल 2025 में चातुर्मास 6 जुलाई, 2025 को शुरू होकर 1 नवंबर, 2025 को समाप्त होगा। इस अवधि में कोई भी मांगलिक और शुभ कार्य करना वर्जित माना जाता है। इसका कारण है यह है कि इस दौरान जगत के पालनकर्ता श्री हरि विष्णु सो जाते हैं और ब्रह्मांड के पालन का दायित्व अन्य देवताओं को सौंप देते हैं।

कब सोएंगे और कब जागेंगे भगवान विष्णु

साल 2025 में चातुर्मास का आरंभ, जिसमें भगवान विष्णु योग निद्रा में रहेंगे, देवशयनी एकादशी से होगा। यह एकादशी इस साल 6 जुलाई, 2025 को पड़ रही है। इसके चार महीने बाद देवोत्थान एकादशी को भगवान विष्णु योग निद्रा से जागेंगे और जगत-कल्याण में वयस्त हो जाएंगे। पंचांग के अनुसार, देवोत्थान या देवउठनी एकादशी 1 नवंबर, 2025 को मनाए जाएगी। इस दिन से शुभ कार्य फिर से शुरू हो जाते हैं।

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देवशयनी एकादशी 2025

हिन्दू धर्म में हर महीने दो एकादशी होती है, एक कृष्ण पक्ष में और दूसरी शुक्ल पक्ष में। आषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवशयनी एकादशी कहते है। भगवान विष्णु इसी दिन से विश्राम करने चले जाते हैं। पंचांग के अनुसार, यह एकादशी रविवार 6 जुलाई, 2025 को मनाई जाएगी। चूंकि इस दिन से भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं, इसलिए यह देवशयनी एकादशी कहलाती है।

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देवोत्थान एकादशी 2025

हिन्दू धर्म की प्रचलित मान्यता के अनुसार, जिस एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु योग निद्रा से जागते हैं, वह देवउठनी एकादशी कहलाती है, जो कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि होती है। इसे प्रबोधिनी एकादशी भी कहते हैं। पंचांग के अनुसार, यह एकादशी रविवार 1 नवंबर, 2025 को पड़ रही है।

चातुर्मास में नहीं होते हैं ये काम

इन चार महीनों यानी सावन, भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक हिन्दू धर्म के मांगलिक कार्य रोक दिए जाते हैं। आइए जानते हैं, इस दौरान क्या न करना चाहिए?

  • चातुर्मास के 4 महीनों में दही, अचार, साग या पत्तेदार सब्जियां और मूली नहीं खाना चाहिए। इनके सेवन से पाचन संबंधी पेट की की समस्याएं बढ़ सकती है।
  • तामसिक भोजन, जैसे मांस, मछली, अंडा, शराब आदि का पूर्णत: त्याग करने की सलाह दी जाती है क्योंकि ये आध्यात्मिक और मानसिक शुद्धता में बाधा डालते हैं।
  • चातुर्मास में विवाह, सगाई, मुंडन, नामकरण, गृहप्रवेश जैसे कार्य नहीं किए जाते हैं।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

First published on: May 18, 2025 02:37 PM

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