Sawan 2025: बीती 11 जुलाई को सावन माह की शुरुआत हो चुकी है। 14 जुलाई को सावन का पहला सोमवार भी है। सावनभर भक्त भगवान शिव का पूजन करते हैं। इस दौरान वे विभिन्न प्रकार के फल, फूल, पत्तियां, मिठाइयां और पकवान प्रभु को अर्पित करते हैं। शास्त्रों में कुछ ऐसे भी फूल और चीजें बताई गई हैं, जिनको शिव की पूजा में कभी भी शामिल नहीं करना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से शुभ फल की जगह अशुभ फल प्राप्त होता है। इस कारण आइए जानते हैं कि भगवान शिव को क्या अर्पित करना शुभ है और क्या अशुभ है?
भगवान शिव को क्या करें अर्पित
बेलपत्र
शिव पुराण के अनुसार बेलपत्र शिवजी को अत्यंत प्रिय है क्योंकि यह उनके त्रिनेत्र और त्रिशूल का प्रतीक माना जाता है। तीन पत्ती वाला बेलपत्र सामान्य रूप से अर्पित किया जाता है, लेकिन चार या पांच पत्ती वाले बेलपत्र भी विशेष फलदायी माने जाते हैं। बेलपत्र अर्पित करने से मन की शुद्धि होती है और शिवजी की कृपा प्राप्त होती है। बेलपत्र को साफ पानी से धोकर, उसका उल्टा भाग शिवलिंग की ओर करके अर्पित करना चाहिए।
जल और दूध
शिवलिंग पर गंगाजल या शुद्ध जल से अभिषेक करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। वहीं, गाय के कच्चे दूध को आप प्रभु को अर्पित कर सकते हैं। इसके साथ ही दूध में केसर या शहद मिलाकर चढ़ाने से और अधिक पुण्य प्राप्त होता है।
भांग और धतूरा
शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव को भांग और धतूरा प्रिय हैं। भांग और धतूरे के फूल व फल को शिवलिंग पर अर्पित करने से भक्तों को मानसिक शांति और भौतिक सुख प्राप्त होते हैं।
चंदन और भस्म
चंदन का लेप और भस्म शिवजी को अर्पित करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है। स्कंद पुराण में कहा गया है कि भस्म अर्पित करने से भक्तों के पाप नष्ट होते हैं और आध्यात्मिक उन्नति होती है। वहीं, चंदन अर्पित करने से व्यक्ति धनवान होता है।
फूल और अक्षत
शिवजी को सफेद फूल जैसे मदार, चमेली आदि अर्पित करना चाहिए। इसके साथ ही पीला कनेर और कुसुम का फूल चढ़ाने से भी भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं। शिव को हमेशा अक्षत (साबुत चावल) चढ़ाना चाहिए। इससे समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
मिठाई और प्रसाद
शिवजी को मिठाई के रूप में खीर, हलवा या शुद्ध घी से बनी मिठाइयां अर्पित की जा सकती हैं। ये प्रसाद सात्विक और शुद्ध होने चाहिए। शिव पुराण के अनुसार शिव जी को सात्विक भोजन अर्पित करने से भक्तों को दीर्घायु और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
भगवान शिव को क्या न अर्पित करें
शिवजी की पूजा में कुछ चीजें अर्पित करना शास्त्रों में वर्जित माना गया है। इनका उपयोग करने से पूजा का फल नहीं मिलता और शिवजी की कृपा में कमी आ सकती है।
तुलसी
शिव पुराण के अनुसार, तुलसी के पत्ते भगवान शिव को अर्पित नहीं किए जाते है। एक पौराणिक कथा केअनुसार भगवान शिव ने जालंधर का वध किया था। जालंधर वृंदा (तुलसी) का पति था।
टूटे हुए चावल
शिवजी को टूटे हुए चावल (खंडित अक्षत) अर्पित नहीं करने चाहिए। शास्त्रों में कहा गया है कि टूटे चावल अपूर्णता का प्रतीक हैं और शिवजी की पूजा में केवल साबुत चावल ही अर्पित किए जाते हैं, जो समृद्धि और पूर्णता का प्रतीक हैं।
केतकी का फूल
केतकी (केवड़ा) का फूल भगवान शिव को अर्पित करना वर्जित है। शिव पुराण में एक कथा के अनुसार, केतकी ने ब्रह्माजी के साथ मिलकर शिवजी से झूठ बोला था, जिसके कारण शिवजी ने इसे अपनी पूजा में स्वीकार करना बंद कर दिया। इस फूल को अर्पित करने से पूजा का फल नहीं मिलता है।
शंख से जल
शिवलिंग पर शंख से जल चढ़ाना शास्त्रों में निषिद्ध है। शिव पुराण के अनुसार शिवजी ने शंखचूड़ नामक असुर का वध किया था। इस कारण शंख से जल चढ़ाने के बजाय तांबे या पीतल के पात्र का उपयोग करना चाहिए।
हल्दी
हल्दी को भगवान शिव की पूजा में अर्पित नहीं किया जाता। हल्दी को मंगलकारी और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है, जो देवी लक्ष्मी और विष्णु पूजा से जुड़ा है। शिवजी के वैरागी स्वरूप के लिए हल्दी उपयुक्त नहीं मानी जाती है। इसके बजाय चंदन या भस्म का उपयोग करना चाहिए।
तांबे के पात्र में दूध
शिवलिंग पर दूध अर्पित करने के लिए तांबे के पात्र का उपयोग नहीं करना चाहिए। शिव पुराण के अनुसार, तांबा अम्लीय गुणों वाला धातु है और दूध के साथ इसकी प्रतिक्रिया हानिकारक हो सकती है। इसके लिए चांदी, मिट्टी के पात्र का उपयोग करना उचित है।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्रों पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।
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