---विज्ञापन---

Religion

Vaikasi Visakam: कब है वैकासी विसाकम, क्या है इस पर्व का भगवान कार्तिकेय से संबंध?

Vaikasi Visakam Festival:वैकासी विसाकम, वृषभ मास का सबसे प्रमुख पर्व, भगवान मुरुगन के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। इस पर्व को भारत के दक्षिण क्षेत्र में बेहद धूमधाम से मनाया जाता है। इसके साथ ही वृषभ मास में कई अन्य त्योहार भी पड़ते हैं। इस बार 9 जून को वैकासी विसाकम पड़ रहा है।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Mohit Tiwari Updated: Jun 8, 2025 20:55
Vaikasi Visakam
भगवान कार्तिकेय Credit- pexels

Vaikasi Visakam Festival: वृषभ मास जिसे तमिल परंपरा में वैकासी के नाम से जाना जाता है, हिंदू पंचांग का एक महत्वपूर्ण महीना है। यह मास आमतौर पर मई-जून के महीनों में पड़ता है और इसकी शुरुआत तब होती है जब सूर्य वृषभ राशि में प्रवेश करता है। वैकासी मास का विशेष महत्व है क्योंकि यह भगवान मुरुगन (कार्तिकेय) के जन्म से जुड़ा हुआ है। हिंदू पंचांग के अनुसार वृषभ मास वर्ष का दूसरा महीना है। यह मास प्रकृति के सौंदर्य और उर्वरता का प्रतीक है। इस समय भारत में गर्मी अपने चरम पर होती है, लेकिन यह मास आध्यात्मिक और धार्मिक गतिविधियों के लिए विशेष माना जाता है। वृषभ मास में कई महत्वपूर्ण त्योहार और व्रत मनाए जाते हैं, जिनमें अक्षय तृतीया, नरसिंह जयंती और वैकासी विसाकम प्रमुख हैं।

वृषभ मास का संबंध स्थिरता, समृद्धि और भक्ति से है। इस मास में किए गए धार्मिक कार्यों, जैसे दान, पूजा और व्रत का विशेष फल प्राप्त होता है। यह मास भगवान विष्णु और उनके अवतारों की पूजा के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। तमिल परंपरा में, वैकासी मास भगवान मुरुगन की भक्ति का प्रतीक है, जो युद्ध, विजय और ज्ञान के देवता माने जाते हैं।

---विज्ञापन---

कब है भगवान मुरुगन का जन्मदिन वैकासी विसाकम?

वैकासी विसाकम, वैकासी मास में पड़ने वाला एक प्रमुख पर्व है, जो नक्षत्र विसाकम (विशाखा) के दिन पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह पर्व विशेष रूप से दक्षिण भारत, खासकर तमिलनाडु, में भगवान मुरुगन के जन्मोत्सव के रूप में उत्साह के साथ मनाया जाता है। साल 2025 में वैकासी विसाकम 2025 में 9 जून 2025 को मनाया जाएगा, क्योंकि इस दिन विशाखा नक्षत्र और पूर्णिमा का संयोग होगा। विशाखा नक्षत्र 8 जून 2025 को दोपहर 12:42 बजे शुरू होकर 9 जून 2025 को दोपहर 3:31 बजे तक रहेगा।

कौन हैं भगवान मुरुगन?

भगवान मुरुगन, जिन्हें कार्तिकेय, स्कंद, या सुब्रमण्य के नाम से भी जाना जाता है, भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र हैं। उनकी पूजा विशेष रूप से तमिल समुदाय में प्रचलित है। वैकासी विसाकम के दिन भक्त मुरुगन मंदिरों में विशेष पूजा,अभिषेक और अर्चना करते हैं। प्रसिद्ध मंदिर जैसे तमिलनाडु के पलनी, तिरुचेंदुर और स्वामिमलई में हजारों भक्त एकत्रित होते हैं। भक्त इस दिन व्रत रखते हैं, भजन-कीर्तन करते हैं और भगवान मुरुगन की कथाओं का पाठ करते हैं। वैकासी विसाकम का महत्व केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक भी है।

---विज्ञापन---

क्या है भगवान मुरुगन का भगवान शिव से संबंध?

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान मुरुगन का जन्म वैकासी मास में विशाखा नक्षत्र के दिन हुआ था। उनका जन्म राक्षसों, विशेष रूप से तारकासुर, के अत्याचारों को समाप्त करने के लिए हुआ था। भगवान शिव की दिव्य शक्ति से उत्पन्न मुरुगन ने तारकासुर का वध कर धर्म की स्थापना की। इस कारण उन्हें युद्ध और विजय का प्रतीक माना जाता है। उनकी छह सिर और बारह भुजाएं उनके ज्ञान, शक्ति और बुद्धि का प्रतीक हैं।

मंदिरों में होता है पूजन

वैकासी विसाकम के दिन मंदिरों में विशेष उत्सव आयोजित किए जाते हैं। भक्त सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और मंदिरों में जाकर भगवान मुरुगन की पूजा करते हैं। कई लोग इस दिन उपवास रखते हैं और केवल फल या हल्का भोजन ग्रहण करते हैं। मंदिरों में भगवान मुरुगन की मूर्ति को दूध, शहद और पंचामृत से स्नान कराया जाता है। भक्त कावड़ी लेकर मंदिरों की यात्रा करते हैं और भगवान को फूल, नारियल और अन्य प्रसाद चढ़ाते हैं।

इस दिन कई स्थानों पर भव्य शोभायात्राएं निकाली जाती हैं, जिनमें भगवान मुरुगन की मूर्ति को रथ पर सजाकर ले जाया जाता है। भजन, कीर्तन और नृत्य इस उत्सव का हिस्सा होते हैं। तमिलनाडु के कुछ मंदिरों में, विशेष रूप से तिरुचेंदुर में, समुद्र तट पर पूजा और स्नान का आयोजन किया जाता है, जो इस पर्व को और भी विशेष बनाता है।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्रों मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

ये भी पढ़ें- इन 7 राशियों की हो जाएगी बल्ले-बल्ले, बुध और गुरु की पूर्ण युति से होगा मोटा लाभ

First published on: Jun 08, 2025 08:55 PM

संबंधित खबरें