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Vighneshwar Chaturthi 2025: 23 या 24 दिसंबर, साल 2025 की आखिरी विनायक चतुर्थी कब है? जानें सही डेट, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Vighneshwar Chaturthi 2025: साल 2025 का समापन होने वाला है और इस वर्ष की अंतिम विनायक चतुर्थी, जिसे विघ्नेश्वर चतुर्थी भी कहा जाता है, भगवान गणेश के भक्तों के लिए विशेष अवसर लेकर आई है. जानिए यह कब है और शुभ मुहूर्त और पूजा विधि क्या है?

Author Written By: Shyamnandan Updated: Dec 17, 2025 15:32
Vighneshwar-Chaturthi-2025

Vighneshwar Chaturthi 2025: हिन्दू धर्म में प्रत्येक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है. दिसंबर माह में आने वाली पौष मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विशेष रूप से विघ्नेश्वर चतुर्थी कहा जाता है. यह दिन प्रथम पूज्य भगवान गणेश के विघ्नहर्ता स्वरूप को समर्पित है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं, साल 2025 की यह विघ्नेश्वर चतुर्थी कब है, पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि क्या है?

विघ्नेश्वर चतुर्थी 2025 कब है?

साल 2025 की आखिरी विनायक चतुर्थी की तारीख को लेकर उलझन में न रहें. पौष मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि का आरंभ 23 दिसंबर को दोपहर 12:12 बजे से होगा और इसका समापन 24 दिसंबर को दोपहर 01:11 बजे होगा. उदया तिथि की मान्यता के अनुसार, विघ्नेश्वर चतुर्थी का व्रत 24 दिसंबर 2025, बुधवार को रखा जाएगा. बुधवार का दिन स्वयं भगवान गणेश को समर्पित है, इसलिए इस बार का संयोग और भी शुभ हो गया है.

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गणपति पूजा का शुभ मुहूर्त

विनायक चतुर्थी पर गणेश जी की पूजा मध्याह्न में यानी दोपहर के समय करने का विशेष विधान है.

पूजा का कुल समय: 1 घंटा 52 मिनट
शुभ मुहूर्त: सुबह 11:19 से दोपहर 01:11 तक

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मान्यता है कि इस शुभ समय में की गई प्रार्थना और पूजा का फल जल्दी और विशेष रूप से प्राप्त होता है.

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इस दिन चंद्रदर्शन है वर्जित

विघ्नेश्वर चतुर्थी के दिन चंद्रमा का दर्शन करना अशुभ माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन चंद्रमा देखने से व्यक्ति पर झूठे कलंक या आरोप लगने का खतरा हो सकता है. विशेष समयावधि इस प्रकार है:

23 दिसंबर (व्रत से एक दिन पहले): दोपहर 12:12 बजे से रात 08:27 बजे तक
24 दिसंबर (मुख्य व्रत का दिन): सुबह 10:16 बजे से रात 09:26 बजे तक

जहां तक संभव हो, इन समयों के दौरान चंद्रमा का दर्शन न करें.

गणेश पूजा की सरल विधि

स्नान और शुद्धता: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और लाल या पीले रंग के स्वच्छ वस्त्र पहनें. पूजा के समय मन और वातावरण दोनों को शुद्ध रखना आवश्यक है.
फोटो या मूर्ति स्थापना: घर के मंदिर में गणेश जी की मूर्ति को गंगाजल से साफ करें. उसके पास दीपक जलाएं और वातावरण को पवित्र बनाएं.
अभिषेक और तिलक: गणेश जी को हल्का जल अभिषेक करें. फिर लाल चंदन का तिलक लगाएं और सिंदूर अर्पित करें.
प्रिय वस्तुएं अर्पित करें: गणेश जी को 21 दूर्वा (घास) की गांठें चढ़ाएं. लाल फूल अर्पित करें. उन्हें मोदक या बेसन के लड्डू का भोग जरूर लगाएं, क्योंकि ये उनके प्रिय हैं.
मंत्र जाप और आरती: ‘ॐ गं गणपतये नमः’ मंत्र का 108 बार जाप करें. अंत में गणेश जी की आरती करें और भूल-चूक के लिए क्षमा मांगें.

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

First published on: Dec 17, 2025 03:32 PM

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