Mahabharat Facts: महाभारत के युद्ध में बड़े-बड़े वीर योद्धाओं ने भाग लिया। यह युद्ध करीब 18 दिनों तक चला और इस युद्ध में पांडवों की विजय हुई और कौरवों की हार हुई थी। भले ही यह युद्ध 18 दिनों तक चला हो, लेकिन इस युद्ध का प्रत्यक्षदर्शी एक ऐसा योद्धा भी था, जिसने पूरा युद्ध तो देखा पर वह युद्ध में भाग नहीं ले सका। अगर वह योद्धा महाभारत में भाग लेता तो मात्र 1 दिन और 1 बाण से ही पूरा युद्ध समाप्त कर देता।
जी हां, ग्रंथों के अनुसार इस योद्धा के मात्र 3 बाण पूरा ब्रह्मांड समाप्त करने में सक्षम थे। फिर ऐसा क्या था? जो इस योद्धा ने युद्ध में भाग नहीं लिया, लेकिन इस पूरे युद्ध को अपनी आंखों से देखा। इसके साथ वो योद्धा आखिर कौन था?
कौन था वो योद्धा?
उस योद्धा का नाम वीर बर्बरीक था, जो घटोत्कच और अहिलावती के सबसे बड़े पुत्र और महाबली भीम के पौत्र थे। महाभारत ग्रंथ के अनुसार भीम और हिडिम्बा के पुत्र घटोत्कच थे। इस कारण बर्बरीक भीम के पौत्र हुए। बर्बरीक की मां ने उनको हमेशा हारे हुए का साथ देने की शिक्षा दी थी। यही कारण था कि बर्बरीक हमेशा हारे हुए का साथ देते थे। बर्बरीक ने भगवान शिव की तपस्या की थी, जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनको तीन अमोघ बाण दिए थे। इसके साथ ही अग्निदेव ने प्रसन्न होकर उन्हें दिव्य धनुष दिया था। माना जाता है कि इन तीन बाणों से पूरा ब्रह्मांड समाप्त हो सकता था।
युद्ध में लेने जा रहे थे भाग
जब बर्बरीक को अपने दादा पांडवों और कौरवों के बीच होने वाले युद्ध का पता चला तो उन्होंने अपनी मां से युद्ध में जाने की इच्छा प्रकट की। उस समय बर्बरीक की मां को लगा कि पांडवों के पास सेनाबल कम है, शायद उनकी युद्ध में हार हो सकती है। इस कारण उन्होंने बर्बरीक से हारने वाली सेना का साथ देने का वचन लिया था। माता को वचन देकर जब बर्बरीक युद्ध के लिए निकले तो भगवान श्रीकृष्ण को सारी बात का ज्ञान हो गया। भगवान श्रीकृष्ण इस बात को पूरी तरह से जानते थे कि युद्ध में विजय पांडवों की होगी। इस कारण उन्हें पता चल गया गया कि बर्बरीक हारने वाली सेना मतलब कौरवों की ओर से युद्ध करेंगे। इसको देखते हुए भगवान श्रीकृष्ण ब्राह्मण के भेष में बर्बरीक के रास्ते में पहुंच गए।
बर्बरीक की ली परीक्षा
भगवान श्रीकृष्ण ने बीच रास्ते में बर्बरीक को रोक दिया। इसके साथ ही उन्होंने हंसी उड़ाई कि तुम कैसे योद्धा हो, जो मात्र 3 बाणों को लेकर युद्ध में जा रहे हो। इस पर बर्बरीक ने जवाब दिया कि मेरी तरकस का एक बाण ही पूरे युद्ध को समाप्त कर सकता है। अगर मैंने 3 बाणों का प्रयोग कर लिया तो तीनों लोकों में हाहाकार मच जाएगा।
भगवान श्रीकृष्ण ने दी चुनौती
इस पर भगवान श्रीकृष्ण ने उनको चुनौती दी कि वे बट वृक्ष के सभी पत्ते भेदकर दिखाएं। इस चुनौती को देने के साथ ही भगवान श्रीकृष्ण ने पेड़ के एक पत्ते को अपने पैरों के नीचे दबा लिया। बर्बरीक ने चुनौती स्वीकार की और बाण चलाया, उस एक बाण ने पूरे पेड़ के पत्तों में छेद कर दिया और इसके बाद वह तीर भगवान श्रीकृष्ण के पैर के पास आकर रुक गया। इस पर बर्बरीक ने कहा कि हे ब्राह्मणदेव कृपया अपना पैर हटाएं और तीर को बचा हुआ एक पत्ता जो आपके पैरों के नीचे है उसे भेदने दें। मैंने तीर को सिर्फ पत्ते भेदने की अनुमति दी है, आपके चरण नहीं।
भगवान कृष्ण को होने लगी थी चिंता
बर्बरीक की इस शक्ति को देखते हुए भगवान श्रीकृष्ण ने उनसे पूछा कि वे युद्ध में किसका साथ देंगे तो बर्बरीक ने कहा कि मैंने अपनी मां को वचन दिया है कि मैं हारने वाली सेना की ओर से युद्ध करूंगा। भगवान श्रीकृष्ण ये जानते थे कि युद्ध में हार कौरवों की होगी, ऐसे में अगर बर्बरीक कौरवों की ओर से लड़ेंगे तो पांडवों की सेना हार जाएगी। इसको देखते हुए भगवान श्रीकृष्ण ने बर्बरीक दान देने की बात कही। बर्बरीक ने वचन दिया कि हे ब्राह्मण देव आप जो मांगेंगे मैं आपको उसे दान में दूंगा।
दान में मांगा सिर
इस पर भगवान श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से दान में उनका सिर मांग लिया। ऐसे में बर्बरीक क्षण भर के लिए सोच में पड़ गए, लेकिन वे वचन के पक्के थे। बर्बरीक ने कहा कि हे ब्राह्मणदेव मैं आपको अपना शीश तो दे दूंगा पर आप मुझको साधारण ब्राह्मण नहीं लगते हैं, आप अपना वास्तविक परिचय दें। इस पर भगवान श्रीकृष्ण ने अपना विराट स्वरूप बर्बरीक दिखाया। भगवान को सामने देखकर बर्बरीक ने उन्हें दान में अपना शीश दे दिया।
बने खाटू श्याम
शीश दान देने के साथ ही उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण से युद्ध देखने की इच्छा भी जताई । इस पर उन्होंने बर्बरीक का शीश युद्धभूमि के समीप ही एक पहाड़ी पर रख दिया। यहां से बर्बरीक ने पूरा युद्ध देखा। भगवान श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को वचन दिया कि आने वाले नए युग मतलब कलयुग में तुम श्याम नाम से जाने जाओगे और तुम हर हारे का सहारा बनोगे। इसी कारण खाटू में बर्बरीक का मंदिर है, जिसे खाटू श्याम नाम से जाना जाता है। उन्हें हारे का सहारा कहा जाता है।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।
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