Tulsi Vivah 2024: धन-समृद्धि में वृद्धि, अज्ञान पर ज्ञान और बुराई पर अच्छाई की जीत का महात्योहार दिवाली कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाई जाएगी। इस बार यह 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी या 1 नवंबर को, इसे लेकर अभी भी लोगों में संशय है। लोगों में यही असमंजस तुलसी विवाह त्योहार को लेकर भी बना हुआ है। सनातन पंचाग के अनुसार, तुलसी विवाह त्योहार देवोत्थान एकादशी के अगले दिन यानी कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है। आइए जानते हैं, हिन्दू धर्म में तुलसी विवाह का क्या महत्व क्या है, इस साल इसे मनाने की सही डेट, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि क्या है?
हिन्दू धर्म में तुलसी विवाह का महत्व
पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय दैत्यों के राज्य जलंधर ने तीनों लोकों में आतंक मचा रखा था। उसकी पत्नी परम विष्णु भक्त और पतिव्रता स्त्री थी। उसके पतिव्रता होने और तप के कारण जलंधर को हराना असंभव था। तब भगवान विष्णु ने जलंधर का रूप धारण करके वृंदा के पतिव्रता धर्म को भंग कर दिया, जिसके फलस्वरूप जलंधर भगवान शिव के हाथों मारा गया। लेकिन इसके बदले में वृंदा ने भगवान विष्णु को पत्थर हो जाने का शाप दे दिया। भगवान विष्णु के इस रूप को ही ‘शालिग्राम’ कहा जाता है।
कहते हैं, पतिव्रता धर्म भंग होने और अशुद्ध हो जाने के बाद वृंदा ने आत्मदाह कर जीवन खत्म कर लिया। जहां पर उसने आत्मदाह किया था, उस स्थान पर एक तुलसी का पौधा प्रकट हुआ। भगवान विष्णु ने वरदान दिया कि तुलसी का विवाह उनके शालिग्राम स्वरूप से होगा और उनकी पूजा में तुलसी के बिना अपूर्ण होगी। इसलिए देवोत्थान एकादशी के अगले दिन शालिग्राम का विवाह वृंदा यानी तुलसी से होता है और यही वजह है कि विष्णु पूजा में तुलसी के पत्ते अवश्य शामिल किए जाता है।
ये भी पढ़ें: Temples of India: इस मंदिर में पत्नी के साथ विराजमान हैं भगवान हनुमान, गृहस्थ रूप में होती है पूजा!
कब है तुलसी विवाह 2024?
सनातन पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि की शुरुआत मंगलवार 12 नवबर, 2024 को शाम 4 बजकर 2 मिनट पर होगी। वहीं इस तथि को समापन बुधवार 13 नवंबर, 2024 को दोपहर बाद 1 बजकर 1 मिनट पर होगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, कार्तिक शुक्ल एकादशी को चातुर्मास का अंत होता है। इसलिए तुलसी विवाह उदयातिथि के अनुसार तुलसी विवाह 13 नवंबर 2024 को किया जाएगा। इस दिन माता तुलसी का विवाह भगवान विष्णुरूपी शालिग्राम से कराया जाएगा।
तुलसी विवाह 2024: पूजा विधि
- तुलसी विवाह के लिए एक चौकी पर आसन बिछा कर तुलसी और शालीग्राम की मूर्ति स्थापित कर लें।
- उसके बाद चौकी के चारों और गन्ने और केले का मण्डप सजाएं और कलश की स्थापना करें।
- अब कलश और गौरी गणेश का पूजन करें।
- फिर माता तुलसी और भगवान शालीग्राम को धूप, दीप, वस्त्र, माला, फूल चढ़ाएं।
- उसके बाद माता तुलसी को श्रृगांर के सभी सामान और लाल चुनरी चढ़ाएं।
- पूजा के बाद तुलसी मंगलाष्टक का पाठ करें। परिवार के लोग विवाह के गीत और मंगलगान गा सकते हैं।
- उसके बाद हाथ में आसन सहित शालीग्राम को लेकर तुलसी के सात फेरे लें।
- सातों फेरे पूरे हो जाने के बाद भगवान विष्णु और तुलसी माता की आरती करें।
- आरती के बाद सपरिवार भगवान विष्णु और तुलसी माता को प्रणाम करें और पूजा संपन्न हो जाने के बाद प्रसाद बाटें।
तुलसी विवाह का भोग और प्रसाद
तुलसी विवाह के मौके पर भगवान विष्णु और माता तुलसी को पंचामृत, केसरयुक्त चावल खीर, पूरियां, शादीवाले मोतीचूर लड्डू और गुलाब जामुन का भोग जरूर लगाएं। पूजा के बाद इन सब भोगों को प्रसाद के तौर पर ग्रहण किया सकता है। पंचामृत बनाने के लिए आप आधा कप दूध, आधा कप दही, 1 चम्मच शहद, 1 चम्मच असली शक्कर, 1 चम्मच घी और 5 तुलसी पत्ते को एक शुद्ध पात्र में डालकर अच्छे से फेंट लें। भगवान को भाग लगाने के लिए पंचामृत तैयार है।
ये भी पढ़ें: Chhath Puja 2024: इन 9 चीजों के बिना अधूरी रहती है छठ पूजा, 5वां आइटम है बेहद महत्वपूर्ण!
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।