Hanuman Chalisa: रामभक्त हनुमान की कृपा पाने के लिए हनुमान चालीसा को बेहद ही सरल और सुगम माध्यम माना गया है। माना जाता है कि हनुमान चालीसा का मन, क्रम और वचन से शुद्ध होकर पाठ करने से व्यक्ति को सिद्धि प्राप्त होती हैं। हनुमान चालीसा का पाठ करने वाले व्यक्ति को कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक होता है।
इन नियमों को अनदेखा करने पर आपको कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। वहीं, अगर आप डेली हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं पर आपको इसका लाभ देखने को नहीं मिल रहा है तो समझ लें कि आप कहीं न कहीं कुछ गलतियां कर रहे हैं। आइए वे कौन सी गलतियां हैं, जो हनुमान चालीसा का पाठ करने वाले व्यक्ति को नहीं करनी चाहिए?
व्यभिचार और अनैतिक संबंध
हनुमान जी ब्रह्मचारी और रामभक्त थे। इस कारण उनके भक्तों को भी ऐसी ही आचरण करने चाहिए। अगर आप शादीशुदा नहीं हैं तो पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन आवश्यक है, वहीं, गृहस्थ जीवन जीने वालों को व्यभिचार से बचना चाहिए। उन्हें किसी भी प्रकार का अनैतिक संबंध नहीं रखना चाहिए। ऐसा न करने पर हनुमान चालीसा के पाठ का फल आपको नहीं मिलता है और व्यक्ति को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उनके भक्तों को व्यभिचार या अनैतिक संबंधों में लिप्त होने से बचना चाहिए।
शराब और मांस का सेवन
हनुमान चालीसा का पाठ करने वाले को शराब और मांस और अंडे का सेवन नहीं करना चाहिए। शास्त्रों में इसे दैत्यों को भोजन माना गया है। हनुमान जी पावरफुल देव हैं, उनके सामने राक्षसी शक्तियां टिक नहीं पाती हैं। इस कारण आपको राक्षसी भोजन से भी दूर रहना चाहिए। हनुमान चालीसा का पाठ करने वाले मनुष्य को सात्विक भोजन करना चाहिए।
छल करना या झूठ बोलना
जो भी व्यक्ति हनुमान चालीसा का पाठ करता है उसे झूठ बोलने और छल करने से बचना चाहिए। छल करने और झूठ बोलने से हनुमान जी क्रोधित हो सकते हैँ। ऐसे व्यक्तियों को चालीसा के पाठ का भी फल नहीं मिलता है।
हिंसा और क्रोध करना
हनुमान जी शक्ति के साथ-साथ करुणा और शांति के भी प्रतीक हैं। उनके भक्तों को हिंसा, क्रोध, या दूसरों को नुकसान पहुंचाने वाले कार्यों से बचना चाहिए। भक्तों को मन को शांत रखें और क्रोध को नियंत्रित करने के लिए ध्यान और प्राणायाम का अभ्यास करें। दूसरों के प्रति दया और सहानुभूति का भाव रखें।
लोभ और स्वार्थ में डूबना
हनुमान चालीसा का पाठ केवल सांसारिक लाभ या स्वार्थ के उद्देश्य के लिए करना उचित नहीं है। लोभ, स्वार्थ, या केवल व्यक्तिगत लाभ की इच्छा से पाठ करने से इसकी आध्यात्मिक शक्ति कम हो सकती है। पाठ को निस्वार्थ भक्ति और हनुमान जी के प्रति समर्पण के साथ करें। आत्मिक उन्नति और दूसरों की भलाई के लिए प्रार्थना करें।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्रों पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।
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